घोषणाओं के हकीकत बनने से गोरखपुर में बढ़ा निवेश का माहौल
कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट गोरखपुर व आसपास के जिलों में आधारभूत संरचना के विकास के बाद एम्स एवं खाद कारखाना के लोकार्पण के बाद विश्वास और बढ़ा है। खाद कारखाना की स्थापना बाद कुछ स्थानीय इकाइयों को सहयोगी इकाई का दर्जा पाने की संभावना भी बढ़ गई है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। केंद्र एवं राज्य सरकारों की ओर से की गई विकासपरक योजनाओं की घोषणा को जैसे-जैसे हकीकत में बदला जा रहा है गोरखपुर में निवेश का माहौल भी बन रहा है। बाहर के उद्यमी यहां औद्योगिक इकाई लगाने को आगे आ रहे हैं। कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट, गोरखपुर व आसपास के जिलों में आधारभूत संरचना के विकास के बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) एवं खाद कारखाना के लोकार्पण के बाद विश्वास और बढ़ा है। खाद कारखाना की स्थापना बाद कुछ स्थानीय इकाइयों को सहयोगी इकाई का दर्जा पाने की संभावना भी बढ़ गई है।
अराजकता व नकारात्मक माहौल की वजह से गोरखपुर आने से घबराते थे उद्यमी
गोरखपुर के औद्योगिक विकास के लिए स्थापित गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) लंबे समय तक अपनी स्थापना के उद्देश्य को नहीं प्राप्त कर सका था। अराजकता, नकारात्मक माहौल के कारण उद्यमी यहां औद्योगिक इकाई लगाने में घबराते थे। आवागमन की समस्या होने के कारण यहां व्यापारी भी आने में कतराते थे लेकिन अब सड़क, रेल के साथ ही वायु मार्ग से भी यातायात के साधन उपलब्ध हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी ने किया खाद कारखाना व एम्स का लोकार्पण
सात दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खाद कारखाना, एम्स एवं आरएमआरसी में नौ प्रयोगशालाओं का लोकार्पण किया। खाद कारखाना जैसे भारी उद्योग के स्थापित होने का यहां के उद्यमियों ने स्वागत किया है। खाद कारखाना में बोरा का भरपूर उपयोग होगा और गोरखपुर में छोटी-बड़ी पांच इकाइयां बोरा बनाती हैं। प्रधानमंत्री ने अपने उद्बोधन में भी इस उद्योग के सहयोगी उद्योगों की स्थापना की संभावना जताई थी जिसके बाद यहां के उद्यमियों में काफी उत्साह है। बोरा के साथ ही रसायन बनाने वाली फैक्ट्रियों को भी खाद कारखाना से फायदा होगा।
संकल्प से सिद्धि का नायाब उदाहरण गोरखपुर खाद कारखाना : चंद्र प्रकाश अग्रवाल
गैलेंट इंडस्ट्रीज के चेयरमैन चंद्र प्रकाश अग्रवाल ने खाद कारखाना की स्थापना को संकल्प से सिद्धि का नायाब उदाहरण बताया है। उन्होंने कहा कि सकारात्मक राजनीति में संकल्प की परिणति जब सिद्धि के रूप में दिखती है तो परिणाम निश्चित ही जनता की खुशहाली के रूप में सामने आता है। 31 साल बाद गोरखपुर में पुराने स्थान पर ही बना नया खाद कारखाना ऐसे ही संकल्प की सिद्धि है। संकल्प था, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का और सिद्ध हुआ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ उनके समन्वित प्रयासों से।
सीएम योगी के प्रयास का परिणाम है खाद कारखाना
गोरखपुर का खाद कारखाना योगी के जनहित में किए गए उस संघर्ष का शानदार परिणाम है जो अपने पांच बार के संसदीय कार्यकाल में बिना थके, बिना डिगे किया। गोरखपुर में इसके पहले भी एक खाद कारखाना लगा था। फर्टिलाइजर कारपोरेशन आफ इंडिया की तरफ से लगाया गया यूरिया प्लांट 1968 से 1990 तक चला। जून 1990 में अमोनिया गैस के रिसाव से एक छोटा हादसा हुआ और इस प्लांट को बंद कर दिया गया। कारखाना बंद हुआ तो इसमें नौकरी करने वालों का भविष्य तो डगमगाया ही, इससे जुड़ी अन्य व्यापारिक व सेवा संबंधी गतिविधियों पर आश्रित हजारों लोगों के रोजगार चौपट हो गए।