दलितों को मुख्य धारा से जोड़ने की पहल, सामाजिक सद्भाव के लिए करते सहभाेज
कहते हैं कि दो ऐसे मुसहर अपने को पूरी तरह बदल गए हैं जो थाने के टाप टेन की सूची में शामिल थे जो अब पूरी तरह बदल गए हैं और सामान्य जीवन जी रहे हैं। इसमें संकल्प में पत्नी अनुराधा सिंह का हमेशा सहयोग रहता है।
गोरखपुर, अनिल पाठक। कुशीनगर जिले का दलित व मुसहर समाज दशकों से छुआछूत के कारण उपेक्षित रहा है। परिवेश बदला, परिस्थितयां बदली तो समानता के अधिकार की बात उठने लगी। इन लोगों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता व स्वयंसेवी संगठन आगे आने लगे। उन्हीं में से उदित नारायण डिग्री कालेज के भूगोल विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डा. सीबी सिंह हैं, जिन्हाेंने दलित व मुसहर समाज के लोगों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए एक मुहिम शुरू की, जो सहभोज के माध्यम से तीन गांवों तक पहुंच गई है।
डा. एसएन सुब्बाराव ने दलितों व मुसहरों के साथ किया था भोज
इसके सबसे पहले गवाह राष्ट्रीय युवा योजना के निदेशक रहे स्व. डा. एसएन सुब्बाराव बने, जिन्होंने वर्ष 1993 में जंगल बेलवा में दलित व मुसहरों की कतार में बैठ भोजन किया था। इसके बाद के वर्षों में गोविवि के प्रो.विनोद सोलंकी, अनिल स्वरूप, तत्कालीन मंडलायुक्त राजेंद्र तिवारी, राजीव कुमार व पूर्व कुलपति प्रो.यूपी सिंह भी दलित व मुसहर बच्चों के साथ सहभोज में शामिल हो चुके हैं। अपने गुरु रहे गोविवि के स्व. प्रो. शैलनाथ चतुर्वेदी व डा. सुब्बा राव की प्रेरणा से प्रभावित होकर डा. सिंह विवेकानंद युवा कल्याण केंद्र के माध्यम से अब तक तीन गांवों की तस्वीर बदल चुके हैं। वह दलिताें व मुसहरों के लिए शिक्षा, शिविर लगा कर स्वास्थ्य सुविधा दिलाने के साथ ही स्वरोजगार के लिए महिलाओं को समूह का गठन करने को प्रेरित करते हैं।
छह स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हैं 72 महिलाएं
-पडरौना ब्लाक का बेलवा जंगल (मुसहर टोली) में तीन समूह-सब्जी थोक भाव से लेकर फुटकर में बेचना, रंग बिरंगी डलिया बना बेचना, सिलाई प्रशिक्षण
-विशुनपुरा ब्लाक के बिंदवलिया (मुसहर टोली) में तीन समूह-मिर्चा अाचार बना बेचना, कागज का लिफाफा बनाना, झाडू बनाना व बेचना
-पडरौना के बंधु छपरा के (दलित बस्ती) में दो और समूह गठन के लिए महिलाओं को किया जा रहा प्रोत्साहित
मुख्यधारा से जुड़े यह लोग
-गांव बंधुछपरा निवासी तूफानी व सुदामा, बेलवा जंगल के सुबाष, कन्हैया, मोतीचंद समेत 55 लोगों को मुख्यधारा से जोड़ा, जो खुद के पैरों पर खड़ा होकर कहीं माली तो कहीं सब्जी व फल बेच अपना रोजगार कर रहे हैं।
गुरु की प्रेरणा से लिया संकल्प
-डा. सीबी सिंह कहते हैं कि गुरुजनों से प्रेरणा लेकर वर्ष 1985 में पहले दलित व मुसहर बस्तियों में स्वच्छता अभियान से शुरू हुए अभियान से अब तीन गांवों की तस्वीर बदल चुकी है। लोग स्वरोजगार के साथ मेहनत-मजदूरी करते हैं। इन गांवों के सभी बच्चे स्कूल जाते हैं, जिन्हें निश्शुल्क शिक्षा दी जाती है। कहते हैं कि दो ऐसे मुसहर अपने को पूरी तरह बदल गए हैं जो थाने के टाप टेन की सूची में शामिल थे, जो अब पूरी तरह बदल गए हैं और सामान्य जीवन जी रहे हैं। इसमें संकल्प में पत्नी अनुराधा सिंह का हमेशा सहयोग रहता है।