जापान से मित्रता में भारतीय संगीत भी अहम : मूसा हितोमी
जापान की जानी मानी कोरियोग्राफर, अभिनेत्री और संगीतकार मूसा हितोमी का कहना है कि भारतीय गीत-संगीत से जापानी काफी प्रभावित हैं। यहां के आंचलिक गीत भी जापानी बेहतद पंसद करते हैं। यही कारण है कि प्रत्येक जापानी भारतीयों से मन से अपने को जुड़ा पाता है।
गोरखपुर : जापान की जानी मानी कोरियोग्राफर, अभिनेत्री और संगीतकार मूसा हितोमी का कहना है कि जापान-भारत की मित्रता में भारतीय संगीत भी अहम भूमिका निभा रहा है। खासकर भारत की क्लासिकल संगीत के जापानी बेहद दीवाने हैं। हितोमी कहती हैं कि उसके तो रोम-रोम में भारतीय नृत्य और संगीत बसा हुआ है।
जापानी अदाकारा गुरुवार को कुशीनगर की धार्मिक यात्रा पर आईं थीं और शनिवार को यहां से रवाना हुई। महापरिनिर्वाण मंदिर में बुद्ध की शयन मुद्रा वाली प्रतिमा के समक्ष पूजन-अर्चन के बाद उन्होंने जागरण से बातचीत कीं। वह बोलीं कि जापानी लोगों को भारतीय शास्त्रीय संगीत और रागों की भी अच्छी पहचान है। हितोमी भारतीय सितारवादक पं. रविशंकर की प्रशंसक हैं। उन्हें राग भैरवी, राग मधुवंती, राग यमन बेहद प्रिय है। वे कहती हैं कि जापान में गाने ¨सथेसाइजर और कंप्यूटर पर बनाए जाते हैं, जबकि भारत में सितार, तबले और अन्य पारंपरिक वाद्य यंत्रों पर। इसी वजह से भारतीय गीत अपनी खास पहचान बनाए हुए है। हितोमी ने बताया कि जापान की मेलोडी भारत के गानों से मिलती जुलती है। भारतीय संगीत में शांति और सकून का अहसास होता है। ¨हदी की समझ रखने वाले जापानी ¨हदी गाने तो सुनते ही हैं, उन्हें भारतीय आंचलिक गीत, गजल, ठुमरी, दादरा, चैती भी पसंद है। बौद्ध परिपथ के स्थलों के भ्रमण के क्रम में वह कुशीनगर में दो दिनों तक थीं। ¨हदी सहित छह भाषाओं की जानकार जापानी कलाकार ने कुशीनगर और पावानगर स्थित बुद्ध से संबंधित दर्शनीय स्थलों का भ्रमण किया। उन्होंने महापरिनिर्वाण बुद्ध मंदिर कुशीनगर में भगवान बुद्ध की 21 फुट लंबी लेटी प्रतिमा पर श्रद्धापूर्वक चीवर चढ़ाया। बुद्ध के अंतिम संस्कार स्थल रामाभार स्तूप का पूजन कर विपश्यना किया। माथा कुंवर बुद्ध मंदिर का भी दर्शन किया। उन्होंने कहा कि कुशीनगर की धरती में काफी ऊर्जा है। बुद्धस्थली शांत और स्वच्छ है। सचमुच यह अद्भुत और दर्शनीय स्थल है। यहां पर धार्मिक इतिहास बिखरे पड़े हैं।
-----------------