भारत चौथी औद्योगिक क्रांति के द्वार पर खड़ा Gorakhpur News
अभी तक हमारी मशीनें कमांड पाकर काम करती थीं। अब मशीनें खुद समझेंगी और उस आधार पर काम करेंगी। इसके लिए मशीनों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का प्रयोग किया जा रहा है।
गोरखपुर, जेएनएन। आइआइटी गुवाहाटी के पूर्व निदेशक व आइआइटी कानपुर के प्रो.गौतम विश्वास ने कहा कि भारत चौथी औद्योगिक क्रांति के द्वार पर खड़ा है। चीजें धीरे-धीरे मैनुअल से आटोमेटिक होती जा रही हैं। इससे धीरे-धीरे मानव का हस्तक्षेप कम हो जाएगा। अभी तक हमारी मशीनें कमांड पाकर काम करती थीं। अब मशीनें खुद समझेंगी और उस आधार पर काम करेंगी। इसके लिए मशीनों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का प्रयोग किया जा रहा है। प्रो.गौतम यहां मदनमोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय(एमएमएमयूटी) की ओर से आर्यभट्ट सभागार में आयोजित मालवीय रिसर्च कॉन्क्लेव को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
रोबोट प्रदर्शन का दिया उदाहरण
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मशीनों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पावर का सशक्त उदाहरण है कि आइआइटी बीएचयू (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय) के टेक्नीकल फेस्टीवल में अमेरिका के एक रोबोट का प्रदर्शन हुआ है। वह लोगों से बातें भी कर सकता है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक क्रांति के क्षेत्र में चार चीजों का तेजी से विकास हुआ है। पहला आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जरिये मशीनों को सेंसर क्षमता को विकसित किया जा रहा है। दूसरा इंटरनेट आफ थिंग्स के जरिये तमाम वस्तुओं को एक दूसरे से कम्यूनिकेशन के आधार पर कनेक्ट किया जा रहा है। तीसरा बिगडेटा के आधार पर चीजों को एनालिसिस करने का कार्य किया जा रहा है। चौथी है रोबोटिक्स। रोबोट बनाकर क्षेत्र में प्रगति हो रही है।
भारत अब विकासशील नहीं, बल्कि पूर्ण विकसित राष्ट्र
रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन के प्रोफेसर सुरेंद्र पाल ने कहा कि भारत अब विकासशील नहीं, बल्कि पूर्ण विकसित राष्ट्र है। आज यूएसए(संयुक्त राष्ट्र अमेरिका) के तमाम सैटेलाइट हम खुद लांच कर रहे हैं। इंजीनियरिंग रिसर्च एंड डेवलपमेंट सतत चलने वाली प्रक्रिया है। इंडिया में ऊर्जा के विभिन्न स्रोत भारत में दिए गए हैं। सीमित संसाधनों में रिसर्च करना हमारी काबिलियत है। इसका प्रत्यक्ष रूप विगत एक दशक से विश्व के लोगों द्वारा देखा जा रहा है।
शैक्षणिक संस्थानों को सपोर्ट करें कार्पोरेट सेक्टर
डाटा रिजाल्व टेक्नोलॉजी के चीफ एक्यूटिव आफिसर कमांडर कौशल कुमार चौधरी ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को कार्पोरेट सेक्टर सपोर्ट करें। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एमएमएमयूटी के कुलपति प्रो.एसएन सिंह ने कहा कि उत्तम शोध वही है, जिससे समाज के लोगों का भला हो सके। सिर्फ बड़े-बड़े प्रोजेक्ट लेकर ही चलने की जरूरत नहीं है, बल्कि उन छोटे प्रोजेक्ट पर भी ध्यान दिये जाने की जरूरत है, जिससे लोगों का भला हो सके। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विश्वनाथ पाण्डेय ने महामना मदन मोहन मालवीय के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी समन्वयक प्रो.राकेश कुमार ने दी। संचालन डॉ अभिजीत मिश्र ने किया। आभार ज्ञापन डॉ संजय मिश्र व डॉ राजेश वर्मा ने किया।