शिक्षकों की नियुक्ति में फर्जीवाड़ा.. एसटीएफ ने सिद्धार्थनगर से लिपिक को पकड़ा
कूटरचित प्रमाणपत्रों के सहारे परिषदीय विद्यालयों में नौकरी दिलाने वालों के गर्दन तक एसटीएफ का हाथ पहुंच गया है। एसटीएफ की टीम ने संबंधित कलर्क को हिरासत में लिया है।
गोरखपुर, जेएनएन। सिद्धार्थनगर जनपद में कूटरचित प्रमाणपत्रों के सहारे परिषदीय विद्यालयों में नौकरी दिलाने वालों के गर्दन तक एसटीएफ का हाथ पहुंच गया है। पिछले साल अगस्त माह में जांच मिलने से लेकर अब तक तीन बार एसटीएफ जिले में आकर शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों से पूछताछ कर चुकी है। डीएम द्वारा सीडीआे के नेतृत्व में गठित जांच टीम ने 82 फर्जी शिक्षकों की पहचान की है। इन्हे बर्खास्त कर दिया गया है। भर्ती कराने वाला गिरोह अभी तक पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। मामले की जांच एसटीएफ गोरखपुर की टीम कर रही है। शुक्रवार को एसटीएफ टीम ने बीएसए कार्यालय में तैनात नियुक्ति पटल देख रहे लिपिक धमेंद्र कुमार को पकड़कर अपने साथ ले गई।
एसटीएफ की टीम शुक्रवार को बीएसए आफिस पहुंची। लिपिक के बारे में जानकारी ली तो पता चला कि वह सड़क पर स्थित चाय की दुकान पर बैठा है। टीम के सदस्य दुकान पर गए और पूछताछ कर लिपिक को पकड़लिया। चर्चा यह भी है कि एक और लिपिक की मौजूदगी के बारे में पूछा। जानकारी मिली कि उक्त लिपिक नहीं हैं तो टीम धमेंद्र को लेकर गोरखपुर चली गई। बीएसए राम सिंह ने कहा कि धमेंद्र के पकड़े जाने की जानकारी है। वह किस मामले में पकड़े गए हैं इसकी जानकारी मुझे नहीं है।
इन मामलों की चल रही जांच
शिक्षा विभाग में वर्ष 2016 में प्रदेश में भर्ती हुए 16448 शिक्षकों की भर्ती हुई थी। इसके अलावा पिछले साल प्रदेश में हुए 41460 शिक्षकों भी भर्ती प्रदेश में हुई। इन भर्तियों में दूसरे के दस्तावेजों के सहारे सैकड़ों लोगों ने फर्जी नौकरी हासिल कर ली। शिकायत के पश्चात इसकी जांच वर्तमान में चल रही है। बर्खास्त शिक्षकों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया जा चुका है। अभी कुछ और के फर्जी होने की संभावना है। एसटीएफ गोरखपुर के निरीक्षक सत्य प्रकाश सिंह ने कहा कि उक्त लिपिक को फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति कैसे हुई इसकी जानकारी लेने के लिए बुलाया गया है। जांच अंतिम चरण में है। जल्द ही आरोपितों की गिफ्तारी की जाएगी।