Gorakhpur Coronavirus Vaccination: इस रफ्तार से तो सभी को टीका लगाने में लग जाएंगे पांच साल
गोरखपुर में कोविड टीकाकरण की रफ्तार सुस्त है। कहने को तो 146 बूथ बना दिए गए लेकिन संचालित 20 से 30 फीसद ही हो पा रहे हैं। वैक्सीन न होने की वजह से एक दिन में सभी बूथों को मिलाकर औसतन 3050 लोगों को ही वैक्सीन लग पा रही है।
गोरखपुर, जेएनएन। कोविड टीकाकरण की जो मौजूदा रफ्तार है, उस हिसाब से तो जिले के सभी लोगों को टीका लगाने में पांच साल से अधिक समय लग जाएगा और कोरोना तब तक न जाने कितनी तबाही मचा चुका होगा। मुकम्मल तैयारियों के बिना अभियान शुरू करने वाले स्वास्थ्य विभाग के पास न तो पर्याप्त वैक्सीन है न ही कर्मचारी। ऐसे में तमाम बूथों पर पहुंचने वाले युवा और बुजुर्गों को निराश होकर लौटना पड़ रहा है।
जिले में कोविड टीकाकरण की रफ्तार बहुत सुस्त है। कहने को तो 146 बूथ बना दिए गए, लेकिन संचालित 20 से 30 फीसद ही हो पा रहे हैं। वैक्सीन न होने की वजह से एक दिन में सभी बूथों को मिलाकर औसतन 3050 लोगों को ही वैक्सीन लग पा रही है।
ऐसे में जिले की 45 लाख की आबादी को वैक्सीन के कवच से सुरक्षित करने में चार साल से अधिक समय लग जाएगा वो भी तब 365 दिन टीकाकरण हो। यदि छुट्टियां घटा दी जाएं तो इस रफ्तार से टीकाकरण पांच साल में पूरा होगा। यहां यह बताना जरूरी है कि 16 जनवरी से जिले में टीकाकरण शुरू होने के बाद अब तक महज 3,33,194 डोज ही लग सकी है। इसमें 271779 लोगों को पहली जबकि 614015 लोगों को दोनों डोज लगाई जा चुकी है।
टीकाकरण केंद्रों से निराश लौट रहे लोग
अनेक बूथों पर टीकाकरण बंद कर दिया गया है। टीकाकरण के प्रति लोगों में जागरूकता आई है। लाकडाउन व तेज धूप के बावजूद लोग केंद्रों पर पहुंच रहे हैं लेकिन वहां वैक्सीन न होने से उन्हें निराश लौटना पड़ रहा है। जहां टीकाकरण हो रहा है वहां दोपहर बाद वैक्सीन खत्म हो जा रही है। किसी तरह विभाग काम चला रहा है।
कुल टीकाकरण 333194
स्वास्थ्य कर्मी फर्स्ट डोज- 26318
स्वास्थ्य कर्मी सेकेंड डोज- 16708
फ्रंटलाइन वर्कर फर्स्ट डोज- 23637
फ्रंटलाइन वकर्र सेकेंड डोज- 11943
45 प्लस- फर्स्ट डोज- 214544
45 प्लस सेकेंड डोज- 32764
18 प्लस- 7280
वैक्सीन समय-समय पर शासन भेज रहा है। उस हिसाब से बूथों पर टीकाकरण किया जा रहा है। पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध होते ही सभी बूथ संचालित कर दिए जाएंगे। जल्द से जल्द लोगों को टीकाकरण से आच्छादित करने की कोशिश की जा रही है। - डा. सुधाकर पांडेय, सीएमओ