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70 साल में भी नहीं बन पाया पुल तो शुरू किया जल सत्याग्रह

संतकबीर नगर के कठिनइया नदी पर पुल न बनने से स्थानीय लोगों ने शुरू किया है जलसत्याग्रह

By JagranEdited By: Published: Thu, 02 Aug 2018 01:10 PM (IST)Updated: Thu, 02 Aug 2018 04:41 PM (IST)
70 साल में भी नहीं बन पाया पुल तो शुरू किया जल सत्याग्रह
70 साल में भी नहीं बन पाया पुल तो शुरू किया जल सत्याग्रह

गोरखपुर : संतकबीर नगर जनपद के दक्षिण-पश्चिम सीमा पर स्थित ग्राम पंचायत चंगेरा-मंगेरा के राजस्व ग्राम असनहरा और मुंडेरवा (बस्ती) के बीच कठिनइया नदी पर पक्का पुल निíमत करने की मांग को लेकर लोगों ने जल सत्याग्रह किया। ऐतिहासिक अगस्त क्रांति की तरह लोगों ने इसे पुल के लिए अगस्त क्रांति का नाम दिया और जल सत्याग्रह संघर्ष मोर्चा असनहरा के सैकड़ों लोगों ने कठिनइया नदी में घंटों खड़े रहकर प्रदर्शन किया।

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आंदोलनकारियों का कहना है कि आजादी के 70 साल बाद असनहरा और मुंडेरवा के बीच पक्का पुल नही बना। मांग उठती रही और आश्वासन मिलता रहा। स्थिति जैसे आजादी के पहले थी वैसी आज भी है। चार किलोमीटर का चक्कर काटने से बचने के लिए अपने संसाधनों से बांस का पुल बनाकर असनहरा के लोग कठिनइया नदी पार करते हैं। चीनी मिल मुंडेरवा और असनहरा गांव के बीच की दूरी मात्र एक किलोमीटर है ¨कतु बीच में कठिनइया नदी पड़ती है जिस पर पक्का पुल बनाने की मांग दशकों से चली आ रही है। हालांकि सरकार ने असनहरा गांव को पिच मार्ग से जोड़ दिया है लेकिन इस रास्ते से होकर मुंडेरवा की दूरी चार किलोमीटर है।

सत्याग्रह मोर्चा के शैलेश राजभर के मार्गदर्शन में पक्के पुल की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन सत्याग्रह की शुरूआत हुई है। सत्याग्रह शुरू करने वालों में सुमिरन राजभर, राम तिलक, राम नेवास, केवला देवी, देवेन्द्र राजभर महेश, देवीसरन, राजेन्द्र, नर¨सह ,दिलीप, सागर, हरीश, झिनकू और बीडीसी सदस्य शेषनाथ यादव आदि मौजूद रहे।

वर्षों से उठ रही है पुल की मांग

लोगों द्वारा असनहरा घाट पर पक्के पुल की मांग बस्ती और संतकबीर नगर के बंटवारे के पूर्व से उठती रही है। विभाजन से पूर्व एकीकृत जनपद के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियो ने आश्वासन भी दिया ¨कतु पुल नहीं बना। संतकबीर नगर जनपद के सृजन के बाद असनहरा के लोगों ने पुल के लिए के लिए 2013 दिसंबर में पहली बार तीन दिन का अनवरत सत्याग्रह किया और लोग पानी में लगातार खड़े रहे थे। 2015 जनवरी में लगातार 9 दिन-9 रात पुल के लिए लोगों ने जल सत्याग्रह किया था। स्थानीय लोगो का कहना है कि असनहरा घाट पर पुल के लिए 4 करोड 74 लाख 88 हजार रुपये की वित्तीय स्वीकृति भी हुई ¨कतु पुल का निर्माण शुरू नहीं हुआ। आरोप है कि 2015 में उपजिलाधिकारी और अधिशाषी अभियंता ने पुल निर्माण का आश्वासन देकर सत्याग्रह समाप्त करवा था ¨कतु वर्तमान अधिशाषी अभियंता द्वारा पुल निर्माण की किसी भी स्वीकृति या प्रस्ताव से इन्कार कर रहे हैं। इस कारण से एक बार फिर असनहरा पुल को लेकर आंदोलन की शुरुआत हुई है।


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