मंदी की आहट का असर ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पर भी, बंद हुआ 50 फीसद कारोबार Gorakhpur News
आर्थिक मंदी की आहट का असर गोरखपुर में भी पड़ता दिख रहा है। इसे लेकर कारोबारी चिंतित हैं। उनका कहना है कि समय रहते सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए।
गोरखपुर, जेएनएन। आर्थिक मंदी की आहट का असर गोरखपुर में भी पड़ता दिख रहा है। इसे लेकर कारोबारी चिंतित हैं। उनका कहना है कि समय रहते सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए। कारोबार और बाजार की स्थिति की पड़ताल करने के लिए जागरण ने मंदी की आहट सीरीज शुरू की है। इस क्रम में जागरण कार्यालय में शहर के प्रमुख ट्रांसपोर्टरों के साथ परिचर्चा आयोजित की गई। परिचर्चा में यह बात सामने आई कि मंदी की आहट ट्रांसपोर्ट कारोबार में साफ दिखने लगी है।
ट्रांसपोर्ट का कार्य लगभग 50 फीसद प्रभावित है। पूर्वांचल के प्रमुख बाजार गोरखपुर में ही गिट्टी, मोरंग, सीमेंट और खाद्य सामग्री आदि की डिमांड घटी है और इसका असर सीधे ट्रांसपोर्ट पर पड़ा है। इससे उबरने के लिए सरकार को समय रहते कदम उठाने चाहिए। गिट्टी और मोरंग आदि की ढुलाई में रायल्टी बढ़ जाने से परेशानी खड़ी हुई है। यही नहीं अंडरलोड और ओवरलोड में भी पूरा सिस्टम फंसा है। व्यवसाय पर जीएसटी और नोटबंदी का भी असर दिख रहा है। काम के अभाव में पांच हजार ट्रकों में से ढाई हजार के पहिए थम गए हैं।
मंदी की आहट दिसंबर से ही है। ट्रांसपोर्टर तो पिछले दो साल से परेशान हैं। ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पर सरकार ने अभी तक प्रभावी नीति नहीं बनाई है। सरकार को अपनी नीति स्पष्ट करनी होगी। - एसपी पांडेय, अध्यक्ष, गोरखपुर ट्रक आपरेटर एसोसिएशन
दरअसल ट्रकों के खड़े होने की एक मुख्य वजह यह भी है कि जब बाजार में काम अधिक दिखा तो ट्रांसपोर्टरों ने ट्रकों की संख्या बढ़ा ली। अब फिर डिमांड कम हो गई तो ट्रकों का खड़ा होना स्वभाविक है। - अजय कुमार ओझा, ट्रांसपोर्टर
मंदी का असर छोटे उद्योगों पर पड़ा है। निर्माण कार्य भी लगभग ठप हैं। ऐसे में बाजार में डिमांड कम हो गया है। डिमांड नहीं होने से ट्रांसपोर्ट व्यवसाय प्रभावित हो रहा है। इस मंदी की आंच छोटे ट्रांसपोर्टरों पर अधिक पड़ी है। - अशोक यादव, महामंत्री
बाजार में रुपये का फ्लो नहीं है। किसी भी व्यवसाय में लोग रुपया नहीं लगाना चाह रहे। अधिकतर कार्य बाहरी के हाथों में आ गया है। जीएसटी ने भी कमर तोड़ दिया है। व्यवसाय लगातार गिर रहा है। - अजीत सिंह, ट्रांसपोर्टर
विशेषज्ञ की राय
नोटबंदी और आर्थिक नीतियों में लगातार बदलाव के साथ प्रतिष्ठानों में काम करने वाले लोगों में रोजगार खत्म होने के डर ने समग्र मांग को कम किया है। इससे देश में मंदी की आहट मिलनी शुरू हुई है। जहां तक ट्रांसपोर्टेशन व्यवसाय का मामला है, इसके लिए स्थानीय समस्याएं काफी हद तक जिम्मेदार हैं, क्योंकि गोरखपुर के ट्रांसपोर्टर का अधिकतर व्यवसाय गिट्टी, बालू और सीमेंट से संबंधित है। - प्रो आलोक गोयल, आचार्य, अर्थ शास्त्र, गोरखपुर विश्वविद्यालय
इन ट्रांसपोर्टरों ने भी रखे विचार
कंजन त्रिपाठी, शैलेश सिंह, संदीप सिंह, अशोक यादव, मनोज यादव, अमरनाथ चौबे, संजय यादव, जनार्दन यादव, सिंगारे यादव और नवनाथ यादव।
दिए गए सुझाव
- 12 वर्ष से अधिक उम्र पूरी कर चुके वाहनों को स्क्रैप किया जाए।
- इंश्योरेंस पालिसी को लचीला बनाया जाए। रायल्टी भी कम की जाए।
- लोडिंग चेकिंग प्वाइंट पर ही ट्रक को चेक करने की व्यवस्था सुनिश्चित हो।
- सामग्री की लदान कराने वाले संबंधित लोगों की भी जिम्मेदारी तय की जाए।
- सरकार को खनन नीति की समीक्षा करनी चाहिए।