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युवकों को झांसे में लेकर खून निकालने के मामले में जांच टीम को मिले अहम सुराग

बस्ती में खून के काले कारोबार की जांच में तेजी आ गई है। जांच टीम को पता चल गया है कि युवकों को झांसा देकर उनका खून निकालकर कहां पर सप्लाई की जा रही थी। जांच टीम आरोपितों से बयान लेने के बाद मामले का पर्दाफाश करेगी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Sep 2018 11:30 AM (IST)Updated: Sat, 01 Sep 2018 11:30 AM (IST)
युवकों को झांसे में लेकर खून निकालने के मामले में जांच टीम को मिले अहम सुराग
युवकों को झांसे में लेकर खून निकालने के मामले में जांच टीम को मिले अहम सुराग

गोरखपुर : बस्ती में खून के काले कारोबार की जांच में तेजी आ गई है। डीएम द्वारा गठित उच्चस्तरीय जांच टीम को कई अहम सुराग हाथ लगे हैं। जांच में यह बात सामने आई है कि यहां भोले भाले लोगों का खून निकालकर बस्ती के अलावा कांटे के पास हाइवे पर एक हास्पिटल में इसकी सप्लाई की जा रही थी। बिना डोनर के खून मुहैया कराने के बदले आरोपित मोटी रकम वसूल करते थे। यहां खून की खपत इसलिए अधिक हैं क्योंकि बस्ती और संतकबीरनगर का यह इकलौता डायलिसिस वाला हास्पिटल है।

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बहरहाल एसडीएम सदर श्रीप्रकाश शुक्ल की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति ने गुरुवार से हीं जांच में लगी हुई है। जांच टीम बस्ती शहर के अस्पतालों में गोपनीय जांच करती रही। पुलिस की ओर से लिए गए आरोपितों के बयान की कापी लेकर जांच टीम जेल में भी पहुंचेगी और वहां पर बंद आरोपितों का अलग से बयान दर्ज कराएगी।

भोले भाले लोगों को फंसाने और फिर बेहोश कर खून निकालकर बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश होने के बाद डीएम ने कड़ा एक्शन लिया है। ब्लड लेने और देने के इस खेल में शामिल लोगों को बेनकाब करने और ब्लड बैंकों की स्थिति जांचने के लिए गठित तीन सदस्यीय अधिकारियों की टीम तह तक पहुंचने में जुट गई है। जांच टीम ने कथित डाक्टर प्रभाकर की डायरी में अंकित दो दर्जन नंबरों को सर्विलांस पर जांच को लगाया है। इसकी निगरानी में गिरोह से जुड़े लोगों के बारे में कई अहम जानकारी मिलने की खबर है।

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पूरे घटनाक्रम में अब तक हुई यह कार्रवाई

खून के काले कारोबार में लिप्त दो आरोपितों को अब तक पुलिस जेल भेज चुकी है, जबकि तीन खून देने वाले शिकायतकर्ताओं से का बयान दर्ज किया जा चुका है। जिलाधिकारी की ओर से गठित की गई तीन सदस्यीय जांच टीम में एसडीएम श्रीप्रकाश शुक्ल, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी सीएल कन्नौजिया और ड्रग इंस्पेक्टर सीमा वर्मा है। जांच में अभिलेखीय साक्ष्य और बयान लिए जा रहे हैं। आरोपित के मकान से रक्त निकालने के उपकरण और पै¨कग मैटेरियल जब्त किया गया है। पुलिस भी बयान के जरिए अपने स्तर से जांच में जुटी है।

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सोमवार को हुआ था मामले का खुलासा

बस्ती जनपद में खून के काले कारोबार का खुलासा सोमवार को हुआ था। इसके बाद इस कारोबार में लिप्त लोगों पर शिकंजा कसा जाने लगा। अब तक दो आरोपितों प्रभाकर और आकाश की गिरफ्तारी हो चुकी है। जबकि अन्य की तलाश है। आरोपित लोगों को रुपये का लालच देकर उनके खून निकाल लेते थे जिसे बाजार में महंगे दर पर बेंचते थे। रक्त देने वाले एक युवकी की शिकायत पर पुलिस ने कार्रवाई कर गिरोह का खुलासा किया।

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खून के अवैध कारोबार में बेनकाब हो सकते हैं कई और चेहरे

युवाओं को झांसे में लेकर उनका खून निकालने और उसे प्राइवेट अस्पतालों को सप्लाई करने के खेल की यदि निष्पक्ष जांच हुई तो कइयों के चेहरे बेनकाब हो जाएंगे। साल भर से चल रहे इस खेल की भनक स्वास्थ्य महकमे को न हो, ऐसा भी संभव नहीं है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की भूमिका भी सवालों के घेरे में हैं। प्रभाकर को ब्लड रखने के लिए बैग की आपूर्ति करने वाले का नाम भी सामने नहीं आ पाया है। जांच टीम को पांच सितंबर तक अपनी रिपोर्ट देनी है। जांच टीम के सदस्य एसडीएम सदर श्रीप्रकाश शुक्ल का कहना है जांच तय समय सीमा के भीतर ही पूरी की जाएगी।

बस्ती शहर में 27 अगस्त को पुलिस ने दो लोगों को युवकों का अवैध तरीके से खून निकालने के आरोप में पकड़ा था। इसमें एक कथित डाक्टर प्रभाकर ¨सह और उसका एक सहयोगी आकाश है। शुरुआती पूछताछ में पता चला कि आकाश युवकों को गुमराह कर रुपयों की लालच देता था। झांसे में फंसे युवकों को लेकर वह प्रभाकर ¨सह के पास आता था। गरीब युवकों को 500 से 1000 रुपये की लालच देकर हर माह उनका खून निकाला जाता था। प्रभाकर खून निकालकर उसकी सप्लाई शहर के आधा दर्जन प्राइवेट अस्पतालों में करता था। इन अस्पतालों में भर्ती मरीजों को यही खून चढ़ा कर उनसे मोटी रकम वसूली जाती थी।

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रिमांड पर लेकर हो पूछताछ तो खुल सकते हैं कई राज

बस्ती पुलिस ने प्रभाकर और उसके सहयोगी को गिरफ्तार करने के बाद कोर्ट में प्रस्तुत किया जहां से उन्हे जेल भेज दिया गया। खून के काले कारोबार के पर्दाफाश होने और इसमें दो प्रमुख लोगों की गिरफ्तारी जैसे बड़े मामले में पहले तो पुलिस ने तेजी दिखाई लेकिन बाद में उसकी सुस्ती सवालों के घेरे में है। यहां तक आरोपितों को चुपके से जेल पहुंचा दिया गया। रिमांड पर लेकर पूछताछ करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। यदि आरोपित रिमांड पर लिए गए होते तो पूरा गिरोह और उनका नेटवर्क खुलकर सामने आ जाता। लेकिन इस दिशा में पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है।

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यूं खुला खून के कारोबार का खेल

पुरानी बस्ती थाना क्षेत्र के संजय कालोनी महुड़र रेहरवा निवासी मजदूर प्रदीप कुमार पुत्र दयाराम रविवार की रात घर पर चक्कर खाकर गिर पड़ा। परिजनों ने इसका कारण पूछा तो पहले उसने आनाकानी की। बाद में पता चला कि वह और उसके कुछ साथी 500 से 1000 रुपये के चक्कर में अपना खून निकलवाते हैं। वे कई बार खून निकलवा चुके हैं। अगले दिन परिवारीजन उसे लेकर पुरानी बस्ती थाने पर गए।

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जांच शुरू होने से पहले ही बचाव में जुटा स्वास्थ्य महकमा

जांच शुरू हो इससे पहले ही स्वास्थ्य महकमा बचाव की जुगत में लग गया है। सीएमओ ने मंगलवार को दो बार बयान बदला। पहले जागरण को बताया बस्ती में दो ही ब्लड बैंक हैं। एक कैली और दूसरा जिला अस्पताल। डीएम ने पूछताछ शुरू की तो एक निजी ब्लड बैंक को भी अधिकृत ठहरा दिया।

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जांच टीम ने लिया बयान

टीम ने गुरुवार से जांच शुरू कर दी है। सबसे पहले टीम पुरानी बस्ती थाने पहुंची और उसने घटनाक्रम से जुड़ी पूरी जानकारी ली। इसके बाद टीम ने पीड़ित सतीश कुमार पुत्र संत कुमार, रोहित पुत्र राजेश कुमार और विक्की पुत्र उदयराज निवासी संजय कालोनी महुड़र रेहरवा पुरानी बस्ती एवं मोनू पुत्र विजय कुमार निवासी राजा बाजार पुरानी बस्ती का बयान दर्ज किया। उनके बयान की वीडियोग्राफी भी कराई गई। इसके बाद जांच टीम ने आरोपित प्रभाकर के महरीखांवा स्थित मकान पहुंचकर जांच की। आसपास के लोगों से पूछताछ भी किया। जांच टीम को अब जेल में निरुद्ध आरोपितों का बयान लेना है। इसके लिए टीम की ओर से डीएम और न्यायिक अधिकारी से अनुमति ली जा रही है।

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जांच में सब कुछ पता चल जाएगा

एसपी दिलीप कुमार ने कहा कि अवैध तरीके से खून निकालने का मुकदमा पुरानी बस्ती थाने में दर्ज कराया गया है। पुलिस अपने स्तर से मामले की विवेचना कर रही है। जिलाधिकारी ने भी जांच कमेटी गठित की है। पुलिस की विवेचना और कमेटी की जांच अलग अलग हो रही है। इन दोनों जांच में सबकुछ खुलकर सामने आ जाएगा।

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