अफ्रीका व ताइवान की मछलियां देखनी है तो गोरखपुर चिडिय़ाघर आएं Gorakhpur News
गोरखपुर केे चिडि़याघर में एशिया के विभिन्न देशों के साथ ही अफ्रीका ताइवान दक्षिण अमेरिकी प्रजाति की मछलियां शामिल हैं। रंग-बिरंगी मछलियां के प्रति बच्चों के विशेष आकर्षण को देखते हुए उसी के अनुसार एक्वेरियम को डिजाइन किया गया है।
गोरखपुर, जेएनएन। शहीद अशफाक उल्लाह खां प्राणी उद्यान (चिडिय़ाघर) के एक्वेरियम में एशियाई प्रजाति की मछलियों के साथ ही साथ अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और ताइवान की मछलियां भी दिखाई देंगी। इनके लिए 24 एक्वेरियाम का निर्माण कराया जा रहा है। निर्माण कार्य अंतिम चरण में है।
सेंट्रल जू अथारिटी (सीजेडए) की दो सदस्यीय टीम पिछले दिनों चिडिय़ाघर का दौरा करने आई थी। इस टीम ने अब तक हो चुके निर्माण में कुछ बदलाव करने का सुझाव दिया था। इसमें एक्वेरियम के निर्माण में भी मामूली रद्दोबदल करने का सुझाव शामिल था। सीजेड ए के सुझाव पर एक्वेरियम में बदलाव किया जा रहा है। इसमें कई प्रजाति की मछलियों को रखे जाने की योजना तैयार की गई है। इसमें एशिया के विभिन्न देशों के साथ ही अफ्रीका, ताइवान, दक्षिण अमेरिकी प्रजाति की मछलियां शामिल हैं। रंग-बिरंगी मछलियां के प्रति बच्चों के विशेष आकर्षण को देखते हुए उसी के अनुसार एक्वेरियम को डिजाइन किया गया है।
प्रमुख रूप से रखी जाएंगी इस प्रजाति के मछलियां
चिडिय़ाघर के एक्वेरियम में प्रमुख रूप से दक्षिण अफ्रिका की मलावी चिकलेट, ताइवान की पैरेट फिश, दक्षिण अमेरिका की आक्सर, एरोआना, अमेरिकन रेडटेल कैट फिश, फाकू और एशिया की फ्लावर हंट प्रजाति की मछलियां रखी जाएंगी।
हरियाली के लिए लगाए गए हैं वृक्ष
सीजेडए ने कुछ बाड़ों के अंदर और बाहर हरियाली की कमी बताई थी, जिसके बाद टीम की रिपोर्ट के आधार पर परिसर में ट्री ट्रांसप्लांटेशन तकनीक से विभिन्न प्रजातियों के 170 पेड़ तीन से पांच साल पुराने तथा 15 से 20 साल पुराने 30 पेड़ लगाए जाने का फैसला लिया गया है। इस काम की जिम्मेदारी वन विभाग को सौंपी गई है। वन विभाग ने शहर की पारिजात नर्सरी के सहयोग से मंगाए हैं। छोटे पेड़ दिल्ली तथा बड़े पेड़ फर्रुखाबाद से मंगाए गए हैं। 112 छोटे पेड़ों का रोपण हो चुका है। बड़े पेड़ों के रोपण का काम शनिवार को शुरू हुआ। चिडि़याघर के पशु चिकित्सक डा. योगेश प्रताप सिंह का कहना है कि चिडिय़ाघर में पशु-पक्षियों से लेकर मछलियों को रखने की बेहतर व्यवस्था की जा रही है। निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। एक्वेरियम को अंतिम रूप दिया जा रहा है।