Move to Jagran APP

हाल यही रहा तो सांस लेना होगा मुश्किल, नवंबर में 10 दिन तीन सौ के पार रहा एक्युआइ

गोरखपुर में बीते जुलाई अगस्त व सितंबर माह की हवा सेहत के लिहाज से सबसे शुद्ध रही है। लगातार तीन माह तक एक्युआइ 50 के ऊपर गई ही नहीं। स्वास्थ्य के लिहाज से यह हवा सबसे बेहतर मानी जाती है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 06:30 AM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 06:30 AM (IST)
हाल यही रहा तो सांस लेना होगा मुश्किल, नवंबर में 10 दिन तीन सौ के पार रहा एक्युआइ
गोरखपुर में प्रदूषण का लेबल लगातार बढ़ रहा है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। पिछले पांच माह में नवंबर की हवा सबसे खराब रही है। इसमें 10 दिन एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्युआइ) तीन सौ के पार रहा है। दो दिन एक्युआइ चार सौ के करीब रहा है। सड़कों पर पानी के छिड़काव व लोगों की जागरूकता के चलते पिछले तीन दिनों से इसमें थोड़ी गिरावट देखने को मिल रही है, लेकिन अभी भी स्थिति बहुत बेहतर नहीं है।

loksabha election banner

जुलाई, अगस्त, सितंबर सबसे शुद्ध रही है हवा

बीते जुलाई, अगस्त व सितंबर माह की हवा सेहत के लिहाज से सबसे शुद्ध रही है। लगातार तीन माह तक एक्युआइ 50 के ऊपर गई ही नहीं। स्वास्थ्य के लिहाज से यह हवा सबसे बेहतर मानी जाती है। अक्टूबर से स्थिति थोड़ी बिगड़ने लगी, लेकिन इस माह में एक्युआइ कभी 300 से ऊपर नहीं गई। नवंबर में स्थिति बदतर हो गई। 5 से लेकर 10 नवंबर तक एक्युआइ तीन सौ से अधिक रहा।

छह व नौ नवंबर को एक्युआइ चार सौ के करीब रहा। 21 से लेकर 24 नवंबर तक सड़कों व पौधों पर पानी का छिड़काव हुआ और लोगाें ने थोड़ी गंभीरता दिखाई तो एयर क्वालिटी इंडेक्स दो सौ से कम रहा। पर्यावरण के जानकारों का मानना है कि वातावरण में मौजूद धूल के कण पीएम 2.5(धूल के कण का डायमीटर 2.5 माइक्रोन होता है) व पीएम 10(धूल के कण का डायमीटर 10 माइक्रोन होता है) का निराकरण नहीं होने व वाहनों के धुएं से एक्युआइ में बढ़ोत्तरी हो रही है। पिछले दो दिनों से एक्युआइ दो सौ से कम है। मंगलवार को एक्युआइ 142 रहा।

जानिए एक्युआई लेवल की स्थिति

0-50- अच्छा

51-100- संतोषजनक

101-200- सांस लेने में थोड़ी कठिनाई, बच्चे व बुजुर्ग के लिए सावधानी अपनाने की जरूरत

201-300- सांस लेने में तकलीफ देह स्थिति

301-400- अत्यंत खराब स्थिति

401 से ऊपर- हर किसी के लिए भयावह स्थिति

बढ़ते प्रदूषण पर लोगों को ध्यान देना होगा। लोगों को अधिक से अधिक पौधारोपण पर ध्यान देना होगा। बिजली का फिजूल खर्च पूरी तरह से बंद करना होगा। वाहनों का प्रयोग नितांत जरूरत पर ही करना होगा। प्लास्टिक बैग का उपयोग पूरी तरह से बंद करना होगा। चिमनियों के ऊपर फिल्टर का प्रयोग करना होगा। यह अपनाकर ही स्थिति में सुधार लाई जा सकती है। - पंकज यादव, क्षेत्रीय अधिकारी- प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.