यूपी चुनाव 2022 : बना मुद्दा तो याद आए बंद पड़े गो आश्रय स्थल
जिलाधिकारी की ओर से निर्देश दिया गया है कि जो गो आश्रय स्थल क्रियाशील करने योग्य हैं उन्हें अविलंब चालू कर उनमें इधर उधर घूम रहे गोवंश को संरक्षित कराया जाए। ऐसे में बंद पड़े गो आश्रय स्थलों की जांच कराई जा रही है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। बस्ती जिले में बेसहारा पशुओं के फसलों का नुकसान पहुंचाना विधानसभा चुनाव में मुद्दा बन गया है। ऐसे में जिला प्रशासन को बंद पड़े गो आश्रय स्थलों की याद आ गई। ऐसे गो आश्रय स्थल जो लो लैंड नहीं हैं और उन्हें फिर से संचालित करने के लिए रिपोर्ट मांगी गई है।
बस्ती में है 107 गो आश्रय स्थल
जिले में कुल 107 गो आश्रय स्थल स्थापित किए गए थे। लो लैंड और गोवंश की कमी का बहाना बनाकर 60 गो आश्रय स्थल बंद कर दिए गए। अब महज 47 गो आश्रय स्थल ही संचालित हो रहें हैं। इनमें भी क्षमतानुसार गोवंश नहीं हैं। विधान सभा चुनाव में खेतों को नुकसान पहुंचा रहे बेसहारा पशुओं को मुद्दा बनते देख सरकार ने जिला प्रशासन को बंद पड़े गो आश्रय स्थलों को संचालित करने का निर्देश दिया।
गो आश्रय स्थलों काे संचालित करने का निर्देश
इसी क्रम में जिलाधिकारी ने मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को बंद पड़े गो आश्रय स्थलों की जांच कराने तथा ऐसे गो आश्रय स्थल जो संचालित करने योग्य हों उन्हें चालू करने का निर्देश दिया। सभी खंड विकास अधिकारियों, एडीओ पंचायत और पशु चिकित्साधिकारी अपने अपने क्षेत्र में बंद पड़े गो आश्रय स्थलों का निरीक्षण कर उनमें मौजूद व्यवस्थाओं का जायजा लेने का निर्देश दिया गया।
15 गो आश्रय स्थल हो सकते हैं फिर से संचालित
पशुपालन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार दुबौलिया विकास खंड के साड़पुर, बसांव व समौढा, परशुरामपुर के जमौलिया पांडेय, कपतानगंज के सड़वलिया, गौर के बेलघाट, हर्रैया के केशवपुर,बासदेव कुंवर, कुदरहा के बगहीकड़जा अजमतपुर, बहादुरपुर के कुसौरी, रामपुर, सेमरा उर्फ गलवां, देवापार, रुधौली के बजहा, रामनगर के नरकटहा, खम्हरिया पश्चिम और साऊंघाट के भीटारामसेन गांव में स्थापित गो आश्रय स्थल को दुरुस्त कराकर फिर से संचालित किया जा सकता हैं।
छुट्टा गोवंशियों को किया जाएगा संरक्षित
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. अश्वनी कुमार तिवारी ने बताया कि जिलाधिकारी की ओर से निर्देश दिया गया है कि जो गो आश्रय स्थल क्रियाशील करने योग्य हैं उन्हें अविलंब चालू कर उनमें इधर उधर घूम रहे गोवंश को संरक्षित कराया जाए। ऐसे में बंद पड़े गो आश्रय स्थलों की जांच कराई जा रही है।