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Palm Oil Price: पाम आयल के मूल्‍य में भारी कमी, अब इस कारण कम हुआ भाव

Palm Oil Price पाम आयल के आयात पर प्रतिबंध हटने के बाद नेपाली पाम आयल थोक मंडी पहुंच गया है। वहां से आने वाले पाम आयल भारतीय कंपिनयों के तेल से करीब दस रुपये प्रति किलो सस्ता पड़ रहा है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 10:55 AM (IST)Updated: Fri, 06 Aug 2021 08:45 AM (IST)
Palm Oil Price: पाम आयल के मूल्‍य में भारी कमी, अब इस कारण कम हुआ भाव
भारत में नेपाली पाम आयल आने के बाद इसके मूल्‍य में काफी ग‍िरावट आई है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। Palm oil price in Gorakhpur: पाम आयल के आयात पर प्रतिबंध हटने के बाद नेपाली पाम आयल थोक मंडी पहुंच गया है। वहां से आने वाले पाम आयल भारतीय कंपिनयों के तेल से करीब दस रुपये प्रति किलो सस्ता पड़ रहा है। मंगलवार को महेवा स्थित थोक मंडी में नेपाली पाम आयल 2050 रुपये टीना (15 किलो) तो भारतीय तेल 2170 रुपये टीना बिका। पाम आयल के आयात न‍िर्यात से प्रतबिंध हटने के बाद इसका मूल्‍य कुछ हुआ था, अब नेपाली पाम आयल बाजार में आने से इसका मूल्‍य और भी कम हो गया है। माना जा रहा है क‍ि पाल आयल का मूल्‍य अभी और कम होगा।

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भारतीय तेल से प्रति किलो दस रुपये सस्ता पड़ रहा तेल

आठ कंपनियों का नेपाली पाम आयल स्थानीय बाजार में बिकते थे, लेकिन पिछले वर्ष मई में सरकार ने पाम तेल के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। मई में सरसों का तेल व रिफाइंड की तरह पाम आयल भी अपने उच्‍चतम कीमत (145 रुपये किलो) पहुंचा तो सरकार ने पाम आयाल के आयात से प्रतिबंध हटा लिया। यह सबसे सस्ता तेल होता है, इसलिए होटल, रेस्टोरेंट से लेकर भुजिया नमकीन और औद्योगिक उपयोग में इसी का इस्तेमाल होता है। नेपाल बार्डर नजदीक होने के कारण गोरखपुर एवं आसपास की मंडियों तक आसानी से पाम आयल पहुंच गया है।

मंडी पहुंचा नेपाली पाम आयल

बिहार के पांच बड़े कारोबारी पूरे उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार तक तेल की आपूर्ति कर रहे हैं। सस्ता होने की वजह से नेपाली पाम आयल की बाजार में मांग है। थोक कारोबारी संजय सिंहानिया ने बताया कि आयात पर प्रतिबंध लगने की वजह से पाम आयल की कीमत एक साल में दोगुनी हो गई थी। इसका सबसे ज्यादा असर छोटे होटलों, रेस्टोरेंटों और नमकीन बनाने वाली इकाइयों पर पड़ा था। दाम कम होने से लोगों को बहुत तक राहत मिल जाएगी। जिले में दो लाख किलो पाम आयल रोज बिकता है। किराना कारोबारी मोहम्मद जावेद ने बताया कि दाम बढऩे से पाम आयल की बिक्री बहुत हद तक कम हो गई थी। नेपाली पाम आयल के बाजार में आने से तेल की कीमतें कम होगी।

सस्ता पड़ता है तेल

दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र (साफ्टा) संधि के तहत नेपाल और बांग्लादेश बड़े पैमाने पर पाम आयल निर्यात करता है, जबकि दोनों देश में पाम आयल की आपूर्ति मलेशिया और इंडोनेशिया से होती है। साफ्टा संधि के तहत इस संधि से दो देशों में उत्पादन लागत बाकी के देशों की तुलना में काफी सस्ती होती है। इसी वजह से नेपाल से आने वाले पाम आयल भारतीय कंपनियों के मुकाबले आठ से दस फीसद तक सस्ता पड़ता है।


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