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फोटो : नलकूपों की नालियां टूटी, सिंचाई का संकट

खाद बीज के बाद किसान अब सिचाई के संकट से जूझ रहे हैं। नलकूप की जर्जर नालियां व आउटलेट इनके खेतों तक पानी नहीं पहुंचने दे रहे। जबकि क्षेत्र के अधिकांश किसानों के गेहूं की फसल सिचाई के इंतजार में हैं। इससे किसानों में आक्रोश व्याप्त है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 04:31 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 04:31 PM (IST)
फोटो : नलकूपों की नालियां टूटी, सिंचाई का संकट
फोटो : नलकूपों की नालियां टूटी, सिंचाई का संकट

सिद्धार्थनगर : खाद, बीज के बाद किसान अब सिचाई के संकट से जूझ रहे हैं। नलकूप की जर्जर नालियां व आउटलेट इनके खेतों तक पानी नहीं पहुंचने दे रहे। जबकि क्षेत्र के अधिकांश किसानों के गेहूं की फसल सिचाई के इंतजार में हैं। इससे किसानों में आक्रोश व्याप्त है।

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खेसरहा विकास क्षेत्र में कुल 24 नलकूप हैं। जिनमें नलकूप संख्या 106 डडिया ताल व 112 कोटिया विद्युत दोष के कारण काफी दिनों से बंद पड़े हैं। इस नलकूप से क्षेत्र के करीब 50 एकड़ से अधिक खेतों की सिचाई होती थी। पर जो चल रहे वह जर्जर नालियों व आउटलेट का दंश झेल रहे हैं। जबकि विभाग प्रति वर्ष नलकूपों, नालियों एवं आउटलेट मरम्मत आदि के लिए प्रति नलकूप 12 हजार रुपये तो देता है, पर यह रकम ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित होती है। अधिकांश नलकूप की पाइप ध्वस्त है जिसे ठीक कराने में लाख से अधिक का व्यय है। खेतों तक पानी न पहुंच पाने से किसान पंपसेट से पानी चला सिचाई कर रहे हैं।

इनकी जर्जर हैं नालियां व आउटलेट

नलकूप संख्या 110 चोर ईताल, 114 बेलवनवा, 75 दुर्गावा, 153 झुड़िया बुजुर्ग, 111 गेंगटा, 112 कोटिया, 115 छितौनी, 116 पेंडारी, 117 पर्ररोई, 105 बंजरहा , 74 मरवटिया, 84 दुर्गा, 154 रेहरा व 108 कुड़जा आदि नलकूप चलते तो हैं लेकिन नालियां व आउटलेट ध्वस्त होने से खेतों तक पानी ही नहीं पहुंच रहा। नलकूप संख्या 113 का मेन पाइप ही फूट चुका है जिससे सारा पानी खेतों के बजाय गड्ढे में जाता है।

झाझापार के मंगल चौबे ने कहा कि नलकूप लगे ही क्यों जब उनकी मरम्मत ठीक से नहीं करानी है। इस महंगाई में फसल की सिचाई कैसे की जाय।

कुड़जा के रामनेवास पांडेय का कहना है कि झुडि़या बुजुर्ग का नलकूप तो लगाया गया लेकिन न तो नाली है और न ही आउटलेट। ऐसे में खेतों की सिचाई कैसे इस पानी से करें।

विजय प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि हमारे यहां नलकूप चालू हालत में हैं। नलकूप सिर्फ दिखावे के लिए चलते हैं। पानी खेत में पहुंच रहा या नहीं इसकी चिता विभाग को नहीं है।

विशुनपुर गणेश चौबे का कहना है कि गेहूं की बोआई उधार व व्यवहार से किसी तरह कर लिया पर अब जब सिचाई का समय आया तो नहर व नलकूप दोनों बेपानी हो गए।

अधिशासी अभियंता नलकूप नरेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि जो भी नलकूप किसी कारण से बंद हैं उन्हें ठीक कराया जा रहा है। जिन नलकूपों की नाली या आउटलेट टूट चुके उन्हें भी ठीक कराने का प्रयास किया जाएगा। सही मानें में पर्याप्त धन न मिलने से समस्या आ रही है।


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