व्यापारी हत्याकांड : हत्या के पर्दाफाश की जगी आस, महराजगंज में मिली मृतक की स्कूटी
पिपराइच के समदारखुर्द निवासी व्यापारी बृजेश विश्वकर्मा की स्कूटी महराजगंज जिले के कोतवाली क्षेत्र से बरामद हुई है। पिपराइच पुलिस व मृतक के स्वजन को इससे हत्या के पर्दाफाश की उम्मीद जग गई है। प्रभारी निरीक्षक पिपराइच मृतक के भाई के साथ महराजगंज जिले के लिए रवाना हो चुकी है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। पिपराइच के समदारखुर्द निवासी व्यापारी बृजेश विश्वकर्मा की स्कूटी महराजगंज जिले के कोतवाली क्षेत्र से बरामद हुई है। पिपराइच पुलिस व मृतक के स्वजन को इससे हत्या के पर्दाफाश की उम्मीद जग गई है। प्रभारी निरीक्षक पिपराइच मधुप नाथ मिश्र मृतक के भाई के साथ महराजगंज जिले के लिए रवाना हो चुकी है।
वाहन चेकिंग के दौरान पकड़ी गई थी स्कूटी
महराजगंज की कोतवाली पुलिस रविवार को बृजेश विश्वकर्मा के घर पहुंची और बताया कि उनकी स्कूटी महराजगंज के सिसवां मुंशी चौकी इलाके से बरामद हुई है। सिसवा मुंशी चौकी प्रभारी महेंद्र कुमार यादव ने बताया कि बीते 30 अक्टूबर की शाम को वाहन चेकिंग के दौरान दो बाइक चोर पकड़े गए थे। उनकी निशानदेही पर पुलिस ने दो स्कूटी समेत सात बाइक बरामद किया। इसमें एक स्कूटी पर नंबर प्लेट नहीं था।
चेचिस नंबर से वाहन स्वामी के बारे में मिली जानकारी
चेचिस नंबर के आधार पर पता चला कि स्कूटी बृजेश विश्वकर्मा की थी। स्कूटी मृतक के चाचा रामपति शर्मा के नाम से पंजीकृत है। रामपति शर्मा की डेढ़ माह पहले सऊदी अरब में हार्टअटैक से मौत हो चुकी है। स्वजन के मुताबिक 11 जुलाई को बृजेश अपने दोस्तों के साथ भटहट कस्बे से गुलरिहां के करमहां बुजुर्ग में दावत में था। दूसरे दिन सुबह भटहट कस्बे से लगभग तीन किलोमीटर दूर बैलों रोड पर पोखरङ्क्षभडा गांव के पास बृजेश का शव मिला था।
गबन के आरोप में पूर्व उप महा प्रबंधक गिरफ्तार
जिला सहकारी बैंक सिकरीगंज से 3.54 करोड़ रुपये गबन करने के आरोप में विशेष अनुसंधान शाखा सहकारिता अपराध टीम ने जिला सहकारी बैंक के पूर्व उप महाप्रबंधक कालिका प्रसाद ङ्क्षसह को अयोध्या के रौनाही थाना क्षेत्र के मुबारकगंज चौराहे से गिरफ्तार किया है। बता दें जिला सहकारी बैंक से 2012 से 2015 तक तत्कालीन शाखा प्रबंधक रामनाथ की मिलीभगत से चार सौ लोगों को फर्जी तरीके से 3.54 करोड़ रुपये का ऋण दिया गया था। इसे लेकर 2015 में सिकरीगंज थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। 2016 से इसकी जांच विशेष अनुसंधान शाखा सहकारिता अपराध की टीम कर रही है। टीम ने तत्कालीन उप महा प्रबंधक कालिका प्रसाद ङ्क्षसह को भी साजिश रचने का दोषी पाया था। बता दें गबन के दो साजिशकर्ता रामनेवास, जयप्रकाश की पहले ही गिरफ्तारी हो चुकी है।
एक व्यक्ति बना कई लोगों का गारंटर
लोन लेने के लिए 2 गारंटर की जरूरत होती है। लेकिन फर्जीवाड़े के इस मामले में 400 कर्जदारों के लिए करीब ढाई सौ लोगों से भी कम लोग ही गारंटर बने। गिरफ्तार दो आरोपियों में रामनिवास 17 तो जयप्रकाश 5 फाइलों में गारंटर बना है। अपराध शाखा की टीम जब गांव में पता कर रही है तब उस गांव में लोन लेने वाले व्यक्ति नही मिल रहे है। शाखा प्रबंधक रामनाथ द्वारा अनियमित ऋण वितरण में सहयोग और ऋण पत्रावलियों में साजिश करने वाले इनके सहयोगियों की तलाश अपराध शाखा की टीम कर रही है।