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Top Gorakhpur News Of The Day, 25 january 2020 : इनके ही बनाए हुए चित्र प्रकाशित होते रहे हैं गीता प्रेस की धार्मिक पुस्‍तकों में Gorakhpur News

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By Satish ShuklaEdited By: Published: Sat, 25 Jan 2020 08:00 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jan 2020 08:00 PM (IST)
Top Gorakhpur News Of The Day, 25 january 2020 : इनके ही बनाए हुए चित्र प्रकाशित होते रहे हैं गीता प्रेस की धार्मिक पुस्‍तकों में Gorakhpur News
Top Gorakhpur News Of The Day, 25 january 2020 : इनके ही बनाए हुए चित्र प्रकाशित होते रहे हैं गीता प्रेस की धार्मिक पुस्‍तकों में Gorakhpur News

 गोरखपुर, जेएनएन। गीता प्रेस की पत्र-पत्रिकाओं और किताबों के माध्यम से असंख्य लोगों को देव स्वरूपों की झांकी देखने को मिलती रही है। सौम्य, पवित्र और ऐसी मनोहारी छवियां, जो किसी को भी सहज ही प्रभावित करती हैं। इनमें से बहुत सी तस्वीरों के नीचे जिस चित्रकार के दस्तखत मिलते हैं, वह हैं बीके मित्रा यानी बिनय कुमार मित्रा। रंगों-लाइनों को संजोने में सिद्धहस्त बीके मित्रा की बनाई छवियां उनकी कल्पना और हुनर का प्रमाण हैं। गीता प्रेस के माध्यम से उनकी कला देश-विदेश के बेशुमार लोगों के घरों तक पहुंची और आज भी पहुंच रही है। जंग-ए-आजादी में गोरखपुर की भूमिका स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। यहां के लोगों ने 1857 की क्रांति से लेकर 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन तक में देश की आजादी के लिए कुर्बानी दी है। तरकुलहा देवी मंदिर में 1857 की क्रांति से जुड़े शहीद बंधु सिंह की वीरता के किस्से गूंजते हैं तो चौरीचौरा शहीद स्थल ने स्वतंत्रता संग्राम की एक बारगी दिशा ही बदल कर रख दी थी। डोहरिया कलां में 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गोरखपुर के आजादी के दीवानों ने ब्रिटिश हुकूमत से सीधा मोर्चा लिया और देश के लिए शहीद हो गए थे। महान क्रांतिकारी पं. राम प्रसाद बिस्मिल की शहादत इसी गोरखपुर में हुई थी। खूनीपुर मोहल्ले का तो नाम ही आजादी के लिए खून बहाने से मिला। गणतंत्र दिवस वह अवसर है, जब हम आजादी हासिल करने में गोरखपुर की भूमिका को याद करें और क्रांतिकारियों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए यहां के लोगों को उनपर गर्व का अवसर दें।  निर्वाचन आयोग ने क्षेत्र पंचायत सदस्य पद पर चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। इसकी जानकारी होने पर क्षेत्र पंचायत सदस्य ने ब्लॉक पर पहुंचकर खुद को जिंदा बताया। इस पर सभी भौचक्के रह गए। हालांकि, उनके आने के बाद अफसर यह कह रहे हैं कि उस वार्ड में चुनाव नहीं होगा। विकास खंड जंगल कौडिय़ा में गुरुवार से वार्ड नंबर 12, 22 व वार्ड नंबर 75 तीनों में चुनाव के लिए पर्चा दाखिला हो रहा है। विकास खंड के जिम्मेदारों की चूक से वार्ड नंबर 12 सरहरी के भी नामांकन की अधिसूचना जारी हो गई है, जबकि वहां के क्षेत्र पंचायत सदस्य जीवित हैं, जिसे ब्लाक की सूचना पर वार्ड नंबर 12 में मृतक दिखाकर पद रिक्त कर दिया गया।  प्रमुख सचिव दीपक कुमार ने विश्‍व प्रसिद्ध औरंगाबाद गांव पहुंचे। यह गांव ही एक जनपद एक उत्पाद के तहत टेराकोटा का पहचान है। दीपक कुमार ने गांव का निरीक्षण किया। उन्होंने कारोबारियों से उनके उद्योग के बारे में विस्तार से जानकारी ली। साथ ही स्वच्‍छता कार्यक्रम के अंतर्गत सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण एवं उपयोग का स्थलीय निरीक्षण किया। जानकारी के मुताबिक औरंगाबाद के शिल्पकारों ने एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना के अंतर्गत सरकारी अनुदान पर लगाई गई आधुनिक भट्ठी की पोल खोल दी। शिल्पकारों ने बताया कि सरकारी अनुदान पर 2.5 लाख रुपये की लागत से बनाई गई आधुनिक भट्ठी पूरी तरह फेल हो गई है। एक शिक्षक की हत्‍या का एक मुकदमा 42 साल तक चला। उसके बाद परिणाम आया। इतने पुराने हत्या के मामले में जुर्म सिद्ध पाए जाने पर विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम मनोज कुमार राय ने सिकरीगंज थानाक्षेत्र के ग्राम उल्था खुर्द निवासी अभियुक्त घनश्याम, देवेंद्र, सूर्यवंश, अवधेश व गंगाधर दूबे को आजीवन कारावास तथा तीस हजार पांच सौ रुपये अर्थदंड से दंडित किया है।

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इनके ही बनाए हुए चित्र प्रकाशित होते रहे हैं गीता प्रेस की धार्मिक पुस्‍तकों में, जानें-कौन थे बीके मित्रा

गीता प्रेस की पत्र-पत्रिकाओं और किताबों के माध्यम से असंख्य लोगों को देव स्वरूपों की झांकी देखने को मिलती रही है। सौम्य, पवित्र और ऐसी मनोहारी छवियां, जो किसी को भी सहज ही प्रभावित करती हैं। इनमें से बहुत सी तस्वीरों के नीचे जिस चित्रकार के दस्तखत मिलते हैं, वह हैं बीके मित्रा यानी बिनय कुमार मित्रा। रंगों-लाइनों को संजोने में सिद्धहस्त बीके मित्रा की बनाई छवियां उनकी कल्पना और हुनर का प्रमाण हैं। गीता प्रेस के माध्यम से उनकी कला देश-विदेश के बेशुमार लोगों के घरों तक पहुंची और आज भी पहुंच रही है। घर की दीवारों पर कोयले से चित्र उकेरने वाले बिनय की गीता प्रेस के धार्मिक ग्रंथों तक पहुंचने की दास्तां काफी दिलचस्प है और प्रेरणादायी भी। उनके पिता अक्षय कुमार मित्रा काशी नरेश के निजी सचिव थे। वह बनारस में ही जन्मे और बचपन भी वहीं बीता। पांच भाइयों में सबसे छोटे बिनय का कला के प्रति रुझान बचपन में ही दिखने लगा। बड़े भाई उपेंद्र व तेजेंद्र भी कलाकार थे। ऐसे में उनकी कला को भरपूर प्रोत्साहन मिला और इस वजह से विनय की प्रतिभा और निखरी। बिनय पर खासकर उपेंद्र का विशेष प्रभाव था, जो धार्मिक चित्र बनाते थे। इस सबके बावजूद संसाधन नहीं थे, ऐसे में बचपन में उन्हें अपनी कला का अभ्यास पड़ोसियों के घरों की दीवारों पर करना पड़ता। रंग और कूंची की जगह उनके हाथ में लकड़ी का कोयला होता। जाहिर है कि कला की इस अभिव्यक्ति के चलते आए दिन उन्हें लोगों की उलाहना सुननी पड़ती थी और नाराजगी झेलनी पड़ती थी पर बिनय को तो धुन सवार थी। कोयले से दीवारों पर उन्होंने न जाने कितने चित्र उकेर डाले।

गर्व करिए, आप गोरखपुर में हैं जिसने जंग-ए-आजादी में बढ़ चढ़कर दी कुर्बानी

जंग-ए-आजादी में गोरखपुर की भूमिका स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। यहां के लोगों ने 1857 की क्रांति से लेकर 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन तक में देश की आजादी के लिए कुर्बानी दी है। तरकुलहा देवी मंदिर में 1857 की क्रांति से जुड़े शहीद बंधु सिंह की वीरता के किस्से गूंजते हैं तो चौरीचौरा शहीद स्थल ने स्वतंत्रता संग्राम की एक बारगी दिशा ही बदल कर रख दी थी। डोहरिया कलां में 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गोरखपुर के आजादी के दीवानों ने ब्रिटिश हुकूमत से सीधा मोर्चा लिया और देश के लिए शहीद हो गए थे। महान क्रांतिकारी पं. राम प्रसाद बिस्मिल की शहादत इसी गोरखपुर में हुई थी। खूनीपुर मोहल्ले का तो नाम ही आजादी के लिए खून बहाने से मिला। गणतंत्र दिवस वह अवसर है, जब हम आजादी हासिल करने में गोरखपुर की भूमिका को याद करें और क्रांतिकारियों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए यहां के लोगों को उनपर गर्व का अवसर दें। गोरखपुर शहर से 22 किलोमीटर दूरी पर स्थित चौरीचौरा वह स्थान है, जहां घटी एक घटना ने एक बारगी स्वतंत्रता आंदोलन का रुख मोड़ दिया था। दो वर्ष से चल रहे असहयोग आंदोलन को इसी घटना की वजह से महात्मा गांधी ने स्थगित कर दिया था। पांच फरवरी, 1922 को गोरखपुर के चौरीचौरा में होने वाला यह कांड शायद देश का पहला ऐसा कांड है, जिसमें पुलिस की गोली खाकर जान गंवाने वाले आजादी के परवानों के अलावा गुस्से का शिकार बने पुलिस वाले भी शहीद माने जाते हैं। पुलिसवालों को अपनी ड्यूटी निभाने के लिए शहीद माना जाता है तो आजादी की लड़ाई में जान गंवाने वालों को सत्याग्रह के लिए।

जिसे मृत दिखाकर चुनाव के लिए अधिसूचना जारी हुई वह मौके पर हुआ प्रकट, अधिकारी हैरान

गोरखपुर निर्वाचन आयोग ने क्षेत्र पंचायत सदस्य पद पर चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। इसकी जानकारी होने पर क्षेत्र पंचायत सदस्य ने ब्लॉक पर पहुंचकर खुद को जिंदा बताया। इस पर सभी भौचक्के रह गए। हालांकि, उनके आने के बाद अफसर यह कह रहे हैं कि उस वार्ड में चुनाव नहीं होगा। विकास खंड जंगल कौडिय़ा में गुरुवार से वार्ड नंबर 12, 22 व वार्ड नंबर 75 तीनों में चुनाव के लिए पर्चा दाखिला हो रहा है। विकास खंड के जिम्मेदारों की चूक से वार्ड नंबर 12 सरहरी के भी नामांकन की अधिसूचना जारी हो गई है, जबकि वहां के क्षेत्र पंचायत सदस्य जीवित हैं, जिसे ब्लाक की सूचना पर वार्ड नंबर 12 में मृतक दिखाकर पद रिक्त कर दिया गया। इसके कारण चुनाव आयोग ने भी वहां चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर दी। जब क्षेत्र पंचायत सदस्य राहुल कुमार को पता चला तो भागते हुए ब्लाक पर बीडीओ के कमरे में आए और बताए कि मैं वार्ड नंबर 12 का सदस्य हूं, फिर वहां चुनाव की तारीख कैसे आ गई। यह देख अधिकारी भौचक रह गए। उन्‍होंने क्षेत्र पंचायत सदस्य राहुल को आश्वासन दिया कि वार्ड संख्या 12 पर कोई चुनाव नहीं होगा। बाकी के दो वार्डो में में ही चुनाव होगा। पता लगाया जा रहा है कि यह चूक कैसे हो गई।

विश्‍व प्रसिद्ध गांव के शिल्पकारों ने प्रमुख सचिव से कहा-आधुनिक भट्ठियों से बर्बाद हो रहीं कलाकृतियां

प्रमुख सचिव दीपक कुमार ने विश्‍व प्रसिद्ध औरंगाबाद गांव पहुंचे। यह गांव ही एक जनपद एक उत्पाद के तहत टेराकोटा का पहचान है। दीपक कुमार ने गांव का निरीक्षण किया। उन्होंने कारोबारियों से उनके उद्योग के बारे में विस्तार से जानकारी ली। साथ ही स्वच्‍छता कार्यक्रम के अंतर्गत सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण एवं उपयोग का स्थलीय निरीक्षण किया। जानकारी के मुताबिक औरंगाबाद के शिल्पकारों ने एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना के अंतर्गत सरकारी अनुदान पर लगाई गई आधुनिक भट्ठी की पोल खोल दी। शिल्पकारों ने बताया कि सरकारी अनुदान पर 2.5 लाख रुपये की लागत से बनाई गई आधुनिक भट्ठी पूरी तरह फेल हो गई है। औरंगाबाद व गुलरिहा में एक-एक आधुनिक भट्ठी लगाई गई थी। शिल्पकार लक्ष्मी प्रजापति ने प्रमुख सचिव को बताया कि भट्ठी लगाने वाली संस्था ने कहा था कि साधारण भट्ठी की अपेक्षा आधुनिक भट्टी में कलाकृतियों की गुणवत्ता काफी अच्‍छी होगी। लेकिन आधुनिक भट्टी लगकर तैयार हुई तो नतीजे उलट हो गए। संस्था के लोग दो बार ट्रायल भी कर चुके हैं। शिल्पकारों ने बताया कि भट्ठी के भीतर कलाकृतियों को रखने के बाद जैसे ही आग लगाई जाती है उसमें तेज आवाज होने लगती है। भट्ठी खोलने पर कलाकृतियों पर काले धब्बे पड़ जाते हैं। इसके अलावा आधे से अधिक कलाकृतियां टूट जाती हैं। शिल्पकारों की शिकायतों को प्रमुख सचिव ने गंभीरता से लेते हुए भट्ठी आपूर्ति करने वाली संस्था के विरुद्ध कार्रवाई का निर्देश दिया। शिल्पकार गुलाब प्रजापति ने प्रमुख सचिव से मिट्टी के लिए जमीन पट्टा करने की मांग की। ग्राम प्रधान ने फोरलेन से औरंगाबाद को जोडऩे वाले संपर्क मार्ग को ठीक कराने की मांग की।

शिक्षक की हत्या के मुकदमे के फैसले में लग गए 42 साल, पांच हत्‍यारों को आजीवन कारावास

गोरखपुर में एक शिक्षक की हत्‍या का एक मुकदमा 42 साल तक चला। उसके बाद परिणाम आया। इतने पुराने हत्या के मामले में जुर्म सिद्ध पाए जाने पर विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम मनोज कुमार राय ने सिकरीगंज थानाक्षेत्र के ग्राम उल्था खुर्द निवासी अभियुक्त घनश्याम, देवेंद्र, सूर्यवंश, अवधेश व गंगाधर दूबे को आजीवन कारावास तथा तीस हजार पांच सौ रुपये अर्थदंड से दंडित किया है। अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी एचएन यादव एवं अभयनंदन त्रिपाठी का कहना था कि वादी प्रेम नरायण द्विवेदी के गांव के ही निवासी अभियुक्त फड़ीस वगैरह वादी के घर के सामने सहन की जमीन को जबरदस्ती कब्जा करना चाहते थे, जिसका वादी के पिता विरोध करते थे। 27 मार्च, 1978 की सुबह वादी के पिता श्रीभागवत द्विवेदी प्राथमिक स्‍कूल में पढ़ाने जा रहे थे। घर के दक्षिण पहुचे ही थे कि फड़ीस, घनश्याम, राजमन, अवधेश, नागेंद्र, देवेंद्र, गंगाधर व सूर्यवंश उन्हें घेरकर लाठी, बल्लम से मारने लगे। उनके चिल्लाने पर वादी, उसकी मां तथा अन्य लोगों के पहुंचने के बाद भी अभियुक्त उन्हें मारते रहे। वादी के पिता की मौके पर ही मृत्यु हो गई।


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