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गोरखपुर में मूंग की खेती करने वाले किसान आधे से कम दर पर बेच रहे अनाज

गोरखपुर में मूंग की खेती करने वाले किसान अपनी उपज को आधे दाम पर बेचने को मजबूर हैं। मूंग की सरकारी खरीद की व्यवस्था न होने के कारण किसानों को साहूकारों द्वारा लगाए गए दाम पर ही अपनी देनी पड़ रही है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Sep 2018 11:10 AM (IST)Updated: Wed, 05 Sep 2018 11:10 AM (IST)
गोरखपुर में मूंग की खेती करने वाले किसान आधे से कम दर पर बेच रहे अनाज
गोरखपुर में मूंग की खेती करने वाले किसान आधे से कम दर पर बेच रहे अनाज

गोरखपुर : सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए योजना चलाकर कर सहूलियत देने में जुटी है मगर सरकारी व्यवस्था से किसानों के सामने संकट आ जा रहा है। सहजनवां ब्लाक के किसानों ने अपनी नकदी फसल को तैयार तो कर ली है मगर अब उसे सही दाम नहीं मिल रहा है। आढ़ती आधे से कम कीमत देकर किसानों की उपज खरीद रहे है, जिससे किसानों की लागत नहीं निकल रही है और वह हलकान हो रहे है।

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किसानों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए सरकार जुटी है। कम लागत में अधिक उत्पादन तथा सुविधा देकर सरकार किसानों को राहत दे रहे है। इसके अलावा नकदी फसलों के भी खेती पर जोर दिया जा रहा है मगर नकदी फसलों को बाजार में सरकारी क्रय केंद्र नहीं होने से उचित दाम नहीं नहीं मिल पा रहा है। सहजनवां ब्लाक के तितनापार गांव के किसान मूंग की खेती कर पछता रहे है। सरकारी दर करीब 70 रुपये प्रति किलो की जगह बाजार में 30 रुपये प्रति किलो मिल रहा। प्रगतिशील किसान बृजेश ¨सह बड़े पैमाने पर नगदी खेती के रूप में आलू की खेती करते है। आलू की फसल के बाद मार्च के प्रथम सप्ताह में उन्होंने मूंग की बोआई कर दी और मई के अंतिम सप्ताह में कटाई हो गई। खेती में ढ़ाई हजार का बीज, 12 सौ रुपये की खाद, आठ सौ रुपये की खर-पतवार नाशक दवा, 500 रुपये की कीटनाशक दवा, चार हजार का पानी तथा तीन हजार श्रमिकों पर खर्च आया, कुल मिलाकर करीब 15 हजार रुपये खर्च हुए। उसे बाद कुल नौ ¨क्वटल मूंग पैदा हुआ। बाजार में आढ़ती मूंग की कीमत तीन हजार रुपये प्रति ¨क्वटल दे रहे है। तहसील में कोई सरकारी क्रय केंद्र मूंग खरीदने के लिए नहीं है। राजेश यादव ने 2017 में सेना से रिटायर होने के बाद नकदी खेती के रूप में मूंग की खेती शुरू की। जब अपनी उपज को बेचने के लिए बाजार में गए तो कोई लेने वाला नहीं था। उदास मन से मूंग को एक वर्ष तक रखे रहे। राजेश ने कहा कि मूंग की खेती करना चाह रहे हैं लेकिन सरकारी खरीद नहीं होने व बाजार में वाजिब दाम न मिलने के कारण मन नहीं हो रहा है।

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