Move to Jagran APP

यहां साढ़े पांच करोड़ रुपये बिजली बिल का बकाया, नोटिस देने पर भी कोई असर नहीं Gorakhpur News

देवरिया जिले में निजी विद्यालयों को मात देने के लिए परिषदीय विद्यालयों को भी अत्याधुनिक बनाने का प्रयास किया गया है। विद्यालयों में कंप्यूटर व अन्य सिस्टम चलाने के लिए बिजली कनेक्शन तो शिक्षा विभाग ने लिया लेकिन एक भी बार बिजली बिल जमा नहीं किया गया है।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Thu, 22 Apr 2021 10:40 AM (IST)Updated: Thu, 22 Apr 2021 10:40 AM (IST)
यहां साढ़े पांच करोड़ रुपये बिजली बिल का बकाया, नोटिस देने पर भी कोई असर नहीं Gorakhpur News
शिक्षा विभाग पर बिजली बिल का बकाया साढ़े पांच करोड़ रुपये। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन : देवरिया जिले में निजी विद्यालयों को मात देने के लिए परिषदीय विद्यालयों को भी अत्याधुनिक बनाने का प्रयास किया गया है। विद्यालयों में कंप्यूटर व अन्य सिस्टम चलाने के लिए बिजली कनेक्शन तो शिक्षा विभाग ने लिया, लेकिन एक भी बार बिजली बिल जमा नहीं किया गया है। इसके चलते साढ़े पांच लाख रुपये बिजली बिल के मद में विभाग का बकाया है। नोटिस भेजने के बाद भी शिक्षा विभाग के अधिकारी बिजली बिल जमा करने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं।

loksabha election banner

बिजली विभाग बकाया वसूली के लिए चला रहा है अभियान

बकाया बिजली बिल वसूलने के लिए बिजली विभाग अभियान चला रहा है। 10 हजार रुपये से अधिक के बकायेदारों के कनेक्शन काटने के साथ ही उन्हें नोटिस भी जारी किया जा रहा है, लेकिन इन सभी के बीच शिक्षा विभाग साढ़े पांच करोड़ रुपये बिजली विभाग का दबाए बैठा है। छह साल पहले जिले के 789 विद्यालयों में कनेक्शन लिए गए, लेकिन इसके बाद बिजली बिल जमा करने की तरफ शिक्षा विभाग ने ध्यान नहीं दिया और आज तक एक भी रुपये बिजली के मद में जमा नहीं किया गया है। अधीक्षण अभियंता जीसी यादव ने कहा कि शिक्षा विभाग में साढ़े पांच करोड़ रुपये बकाया है। नोटिस देने के बाद भी बिजली बिल नहीं जमा किया जा रहा है।

मिनी औद्योगिक क्षेत्रों की बदलेगी सूरत, कवायद शुरू

देवरिया के मिनी औद्योगिक क्षेत्रों की बदहाली दूर की जाएगी। सूरत बदलने के लिए प्रयास शुरू हो गए हैं। उपायुक्त उद्योग ने लोक निर्माण विभाग से सड़क, नाली व बाउंड्रीवाल के लिए स्टीमेट तैयार करने को कहा है। प्रस्ताव के साथ स्टीमेट डायरेक्ट्रेट आफ इंडस्ट्रीज कानपुर को भेजी जाएगी।

छह मिनी औद्योगिक क्षेत्र हैं जिले में

जिले में छह मिनी औद्योगिक क्षेत्र हैं। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में औद्योगिक विकास को गति नहीं मिल रही है। अधिकतर जगहों पर उद्यमियों ने भूखंड आवंटित कराकर छोड़ दिया है। सड़क, नाली, बिजली आदि की कमी के कारण उद्योग नहीं पनप पा रहे हैं। मूलभूत सुविधाओं का मुद्दा उद्योग बंधु की बैठक में कई बार उठ चुका है। पिछले माह सीडीओ शिव शरणप्पा जीएन ने मिनी औद्योगिक क्षेत्रों के विकास के लिए बुनियादी सुविधाओं के लिए प्रस्ताव तैयार कराने का निर्देश दिया था।

यह है मिनी औद्योगिक क्षेत्रों की स्थिति

मिनी औद्योगिक क्षेत्र भाटपाररानी में 52 भूखंड में 46 आवंटित हैं। कई इकाइयां बंद हैं। सलेमपुर में 16 इकाइयों आठ चालू व पांच शेड में चार शेड चालू है। गौरीबाजार में 33 भूखंड आवंटित है। रुद्रपुर में 36 भूखंड में चार आवंटित व शेष भूखंड को शहरी काशीराम आवास के लिए आवंटित कर दिया गया है। बरहज में 36 भूखंड को शहरी काशीराम आवास के लिए आवंटित कर दिया गया है। पथरदेवा में 44 में दो इकाइयां चालू हैं।

अभी तैयार नहीं हो सका है स्‍टीमेट

उपायुक्त उद्योग अनुराग यादव ने कहा कि लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता को मिनी औद्योगिक क्षेत्रों में सड़क, नाली व बाउंड्रीवाल के लिए स्टीमेट तैयार करने के लिए कहा गया है। कोरोना संक्रमण के कारण अभी स्टीमेट तैयार नहीं हो सका है। उम्मीद है कि अगले माह तक स्टीमेट तैयार हो जाएगा। उसे स्वीकृति के लिए कानपुर भेजा जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.