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यहां महज तीन प्राध्यापकों के भरोसे चल रहा है पीजी कालेज

कुशीनगर जिले के सेवहरी के किसान पीजी कालेज में प्राध्यापकों के स्वीकृत हैं 11 पद कई विषयों के शिक्षक न होने से विद्यार्थियों की पढ़ाई का हो रहा है काफी नुकसान। प्रबंधतंत्र को मानदेय पर शिक्षक रखने पर रोक के कारण ऐसा हो रहा है।

By Edited By: Published: Sun, 14 Feb 2021 03:27 PM (IST)Updated: Sun, 14 Feb 2021 03:28 PM (IST)
यहां महज तीन प्राध्यापकों के भरोसे चल रहा है पीजी कालेज
किसान पीजी कालेज सेवरही, कुशीनगर। - जागरण

गोरखपुर, जेएनएन। कुशीनगर जिले के किसान पीजी कालेज सेवरही में स्नातक स्तर पर स्वीकृत 11 प्राध्यापकों के सापेक्ष महज तीन कार्यरत हैं। शिक्षणेत्तर कर्मचारियों में भी 14 स्वीकृत पदों के सापेक्ष महज तीन लोग कार्यरत हैं। महाविद्यालय में 1230 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं, इनमें 800 छात्राएं हैं। पिछले वर्ष प्रबंध तंत्र ने शासन से नियत मानदेय पर नियुक्त सेवानिवृत्त प्राध्यापकों के जरिये शिक्षण कार्य कराया था, इस कार्य में हुए विलंब और फिर कोरोना संक्रमण के चलते शासन से प्राध्यापकों की नियुक्ति नहीं हो पाई, इससे विद्यार्थियों के सामने पढ़ाई का संकट हो गया है। कई विषयों के प्राध्यापक न रहने से पढ़ाई बाधित हो रही है।

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1974 में हुई थी महाविद्यालय की स्थापना

वर्ष 1974 में इस कालेज की आधारशिला रखी गई। जुलाई 1980 में अस्थाई व जुलाई 1985 में स्थाई संबद्धता मिली। मार्च 1988 से यह वेतन सूची में शामिल हुआ। वर्ष 1996-97 में ¨हदी व राजनीति शास्त्र विषयों में स्ववित्त पोषित स्नातकोत्तर की संबद्धता मिली। स्नातक स्तर पर मान्यता वाले विषयों में स्वीकृत पदों के सापेक्ष अंग्रेजी प्राध्यापक का पद दो दशक से रिक्त है। इतिहास विभाग में डा. दिनेश चंद श्रीवास्तव तैनात हैं, वह कार्यवाहक प्राचार्य का भी दायित्व निभा रहे हैं। हिन्दी विभाग में डा. योगेंद्र प्रसाद, राजनीति शास्त्र विभाग में डा. अनिल कुमार तैनात हैं। वहीं अन्य तमाम विषयों के प्राध्यापक है ही नहीं।

संविदा पर शिक्षक नहीं रख सकता है प्रबंधन

शिक्षणेत्तर कर्मचारियों में कार्यालय अधीक्षक के पद पर सत्यप्रकाश गुप्त, नैतिक लिपिक अम्बुजेश शुक्ल, लाइब्रेरियन अवनीश त्रिपाठी कार्यरत हैं। आशुलिपिक, लिपिक के दो पद रिक्त हैं, जबकि परिचारक के नौ पदों के सापेक्ष महज दो लोग कार्यरत हैं। प्रबंधक अनूप राय ने बताया कि मानदेय अथवा संविदा पर किसी को रख नहीं सकता। शासन से प्रत्येक वर्ष सेवानिवृत्त प्राध्यापकों की तैनाती की जाती थी इससे पढ़ाई आसानी से हो जाती थी। इस वर्ष कोरोना के कारण शासन से किसी की तैनाती नहीं हो सकी है। इसलिए दिक्कत हो रही है। शासन के संज्ञान में इसे लाया गया है। 


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