यहां मोदी से आगे निकले योगी के गांव
विकास कार्यों के लिए अनुदान प्राप्त के आवेदन करने में वाराणसी से आगे निकले गोरखपुर और आसपास के जिलों के गांव।
गोरखपुर, (रजनीश त्रिपाठी)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के क्षेत्र वाराणसी की तुलना में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर में गांव की तरक्की और विकास कार्यों के प्रति प्रधानों में रूझान ज्यादा नजर आ रहा है। शासन से प्रोत्साहन स्वरूप मिलने वाले भारी परफार्मेंस ग्रांट (निष्पादन अनुदान) पाने की होड़ में वाराणसी की तुलना में गोरखपुर जिला काफी आगे चल रहा है। ग्रांट के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 15 सितंबर से पांच दिन पहले तक के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश के कवाल ही नहीं बड़े शहरों की हालत भी बेहद दयनीय है। परफार्मेंस ग्रांट की सभी शर्तों को पूरा करते हुए बाराबंकी आवेदन करने में पहले स्थान पर है। चंदौली वर्तमान में दूसरे और गोरखपुर तीसरे नंबर पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी आवेदन करने में 27वें पायदान पर है।
गोरखपुर-बस्ती मंडल के सभी जिले हैं आगे
प्रदेश के करीब दो दर्जन शहर तो ऐसे हैं, जो आवेदन करने की न्यूनतम अर्हता भी नहीं हासिल कर सके हैं। बड़े जिलों की बजाय गोरखपुर-बस्ती मंडल के सभी जिले परफार्मेंस ग्रांट के लिए आवेदन करने में काफी आगे हैं। बड़े जिलों में जहां इक्का-दुक्का आवेदन हुए हैं वहीं बस्ती ने 66 जबकि संतकबीरनगर में 48 ग्राम प्रधानों ने आवेदन किया है।
क्या है परफार्मेंस ग्रांट
14वें वित्त आयोग से ग्राम पंचायतों को आवंटित होने वाली कुल धनराशि का 90 फीसद हिस्सा ग्राम पंचायतों को जारी कर दिया जाता है, जबकि 10 फीसद हिस्सा रोक लिया जाता है। जो ग्राम पंचायतें स्वयं के स्रोतों से अपनी आय के साधन तैयार करती हैं और पिछले दो सालों की आडिट रिपोर्ट तैयार रखती हैं उन्हें प्रोत्साहन के रूप में परफार्मेंस ग्रांट की धनराशि आवंटित की जाती है। पिछली सरकार में प्रदेश के कई जनपदों में ग्राम पंचायतों ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे परफार्मेंस ग्रांट हासिल कर उसका दुरुपयोग किया था, जिसके बाद उसकी जांच शुरू हुई थी।
क्या होता है लाभ
ग्राम पंचायतों को जो बजट आवंटित होता है वह आमतौर पर जनसंख्या के सापेक्ष होता है। ऐसे में कई बार अपेक्षाकृत छोटी ग्राम पंचायतों में उतनी धनराशि नहीं मिल जाती है, जिससे कि वह किसी बड़ी योजना, परियोजना या काम की शुरुआत कर उसे पूरा कर सकें। ऐसे में सभी ग्राम पंचायतों की दस फीसद रोकी हुई धनराशि जब चुनिंदा गांवों में निष्पादन अनुदान के रूप में भेजी जाती है तो वह धनराशि बड़ी होती है। जिन ग्राम पंचायतों को परफार्मेंस ग्रांट मिलती है वह इससे किसी भी योजना को पूरा कर सकते हैं।
कमेटी करेगी अंतिम फैसला
निष्पादन अनुदान के लिए आवेदन वाली ग्राम पंचायतों पर अंतिम मुहर त्रिस्तरीय कमेटी लगाएगी। मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में गठित होने वाली कमेटी में जिला पंचायत राज अधिकारी सचिव जबकि अपर मुख्य अधिकारी सदस्य होंगे। यह कमेटी सभी आवेदनों पर विचार और पड़ताल करने के बाद निष्पादन अनुदान के लिए योग्य ग्राम पंचायतों का चयन करेगी।
विकास में अनुदान राशि महत्वपूर्ण
जिला पंचायत राज अधिकारी हिमांशु शेखर ठाकुर ने बताया कि निष्पादन अनुदान के लिए आवेदन की तारीख 10 से बढ़ाकर 15 सितंबर कर दी गई है। जिन ग्राम पंचायतों ने अपनी आय के स्रोत बनाए हों और पिछले दो वर्षों की आडिट कराई हो वह आवेदन कर सकते हैं। गांव के विकास में यह अनुदान काफी मददगार साबित हो सकता है।
प्रदेश के बड़े जिलों की स्थिति
जिला ग्राम पंचायतें आवेदन अर्ह अयोग्य
कानपुर नगर 590 35 34 01
आगरा 695 04 00 00
वाराणसी 760 10 10 00
इलाहाबाद 1637 06 02 04
लखनऊ 570 12 12 00
मेरठ 482 01 01 00
मुरादाबाद 588 10 10 00
गोरखपुर-बस्ती मंडल की स्थिति
जिला ग्राम पंचायतें आवेदन अर्ह अयोग्य
गोरखपुर 1352 110 110 00
देवरिया 1190 06 06 00
कुशीनगर 1121 18 16 02
महराजगंज 929 27 27 00
बस्ती 1247 66 66 00
संतकबीरनगर 794 48 48 00
सिद्धार्थनगर 1199 25 25 00