यहां पांच किलो सब्जी व फल के कचरे से बन रही है आधा किलो रसोई गैस, जानें- कैसे ? Gorakhpur News
गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में बायो गैस से भोजन पकाया जा रहा है। यहां पांच किलो सब्जी के कचरे से आधा किलो गैस बनाई जा रही है।
गोरखपुर, दुर्गेश त्रिपाठी। सब्जी के छिलके और बचे भोजन को अब फेकने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इनका न सिर्फ आसानी से निस्तारण होगा वरन गैस भी पैदा होगी। इस गैस से खाना पकाया जाएगा। यह होगा घरों में बायो गैस पाट लगाकर। गोरखनाथ मंदिर में बायो गैस पाट सफलतापूर्वक काम कर रहा है।
वाराणसी की संस्था गोरखपुर में लगा रही है बायो गैस पॉट
सब्जी के छिलके और बचे खाने को अमूमन लोग फेंक देते हैं। सड़क किनारे पड़े इस खाने में सडऩ आने के बाद संक्रामक बीमारियां फैलने का खतरा रहता है। इसे पदार्थों को अब फेंकने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वाराणसी की एक संस्था गोरखपुर में बायो गैस पाट लगा रही है। संस्था शहर के हर वार्ड में दो सौ पाट लगाने की योजना बना रही है।
पांच फीट के एरिया में लग सकता है प्लांट
बायो गैस प्लांट पांच फीट के एरिया में लगाया जा सकता है। पानी की टंकी की तरह बने इस प्लांट में बचे खाद्य पदार्थ व छिलके डालने के लिए जगह बनाई गई है। प्लांट की स्थापना के साथ ही इसमें तीन क्विंटल गोबर और तीन सौ लीटर पानी डाला जाता है। इसके बाद एक महीने तक प्लांट बंद रखा जाता है। एक महीने के बाद प्लांट में बचा खाद्य पदार्थ, छिलका आदि डाला जाता है।
बायो गैस प्लांट में किचन वेस्ट मैटेरियल का निस्तारण किया जाता है। संस्था गैस चूल्हा भी लगाती है। पांच किलोग्राम वेस्ट मैटेरियल से आधा किलोग्राम गैस बनती है। इससे आसानी से खाना पकाया जा सकता है। पर्यावरण को शुद्ध रखने और रसोई गैस की बचत के लिए यह काफी उपयोगी है। - जीत बहादुर मौर्य, संस्था के सदस्य