Coronavirus: निगेटिव आने के बाद भी सलाह देता रहा स्वास्थ्य विभाग, मानसिक परेशानियों से गुजरे चार परिवार Gorakhpur News
दो दिन बाद चार लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आ गई लेकिन इसकी सूचना उन्हें नहीं दी गई। इतना ही नहीं एंटीजन रिपोर्ट के आधार पर रोज उन्हें एहतियात बरतने की सलाह दी जा रही थी।
गोरखपुर, जेएनएन। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही वसुंधरा इन्क्लेव, तारामंडल के चार परिवारों पर भारी पड़ गई। एंटीजन से कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर पांच लोगों को होम आइसोलेट करा दिया गया। दो दिन बाद रीयल टाइम पॉलिमर चेन रियेक्शन (आरटीपीसीआर) से चार लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आ गई लेकिन इसकी सूचना उन्हें नहीं दी गई। इतना ही नहीं एंटीजन रिपोर्ट के आधार पर रोज उन्हें एहतियात बरतने की सलाह दी जा रही थी। स्वजन ने जब छानबीन की तो सच्चाई सामने आई। स्वास्थ्य विभाग अब बैकफुट पर है और अपनी गलती मानते हुए क्षमा मांग रहा है। लेकिन छह दिन जिन मानसिक व सामाजिक परेशानियों से वे परिवार गुजरे, उसकी भरपाई कौन करेगा? इसका जवाब विभाग के पास नहीं है।
वसुधरा इन्क्लेव में लगा था कैंप
26 अगस्त को इन्क्लेव में विभाग ने कोरोना जांच के लिए कैंप लगाया था। कुल 60 लोगों की एंटीजन किट से जांच की गई। पांच लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। उन्हें होम आइसोलेट होने की सलाह दी गई। साथ ही आरटीपीसीआर मशीन से प्रामाणिक (कन्फर्मेटरी) जांच के लिए सभी के गले का स्वाब भी लिया गया था। आमतौर पर इसकी रिपोर्ट तीन दिन बाद आ जाती है। रिपोर्ट नहीं आने पर स्वजन ने स्वयं प्रयास कर पता किया तो चार लोगों की रिपोर्ट दो दिन बाद 28 को ही निगेटिव आ गई थी जो सीएमओ कार्यालय भेज दी गई थी। लेकिन वह रिपोर्ट पीडि़त परिवारों तक नहीं पहुंची और कार्यालय में धूल फांक रही थी। इस दौरान रोज उन्हें एहतियात बरतने की सलाह दी जाती रही। स्वास्थ्य विभाग की सलाह से परिवार के सदस्य काफी परेशान हो गए। चूंकि सभी को पता चल गया था कि सिर्फ एक ही व्यक्ति पाजिटिव है बाकी सभी की रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी है, इसलिए उनका परेशान होना स्वाभाविक था। तब वसुंधरा इल्क्लेव के अध्यक्ष अमित सिंह के बताने पर विभाग के बड़े अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए और अपनी गलती की क्षमा मांगने लगे। क्या कहते हैं सीएमओ
सीएमओ डा. श्रीकांत तिवारी का कहना है कि संबंधित कर्मचारी को आरटीपीसीआर रिपोर्ट के बारे में तत्काल कंट्रोल रूम व स्वजन को बता देना चाहिए था। फिलहाल जो एक बार पॉजिटिव आ जाता है, उसे 10 दिन तो एहतियात बरतनी ही चाहिए।
लापरवाही दर लापरवाही
14 मई को टीबी अस्पताल में क्वारंटाइन बेलघाट के शाहपुर निवासी एक युवक को मेडिकल कॉलेज के कोरोना वार्ड में भर्ती करा दिया गया, जबकि उसकी रिपोर्ट निगेटिव थी। बाद में 17 मई को वह भी पॉजिटिव आ गया। यही नहीं रायपुर, पीपीगंज निवासी संक्रमित व्यक्ति को सामान्य लोगों के बीच टीबी अस्पताल में ही रखा गया। इसी तरह से टीबी अस्पताल में क्वारंटाइन झरना टोला व रजही निवासी दो युवकों की रिपोर्ट 15 मई को संक्रमित आने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग उन्हें वहीं अस्पताल में सामान्य मरीजों के बीच रखा। दूसरे दिन मेडिकल कॉलेज के कोरोना वार्ड में भेजा गया। मेडिकल कॉलेज के कोरोना वार्ड में बेलीपार के कनइल निवासी एक व्यक्ति की 30 मई को मौत हो गई थी। बिना जांच रिपोर्ट आए शव परिजनों को सौंप दिया गया। अंतिम संस्कार के बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर अब पूरे गांव के लोगों का सैंपल लिया गया। 25 जून को करीम नगर की एक महिला की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन्हें मेडिकल कालेज में भर्ती कराकर उनका मोहल्ला सील कर दिया गया। परिवार क्वारंटाइन हो गया। मोहल्ले में होने वाला दूध का कारोबार चौपट हो गया। 29 को रिपोर्ट निगेटिव आने पर उन्हें डिस्चार्ज किया गया। इसी तरह से आठ जुलाई को माधोपुरी कॉलोनी, सूर्यकुंड में कोरोना संक्रमित का शव ले जाने के लिए एंबुलेंस (शव वाहन) 16 घंटे बाद पहुंची। इस दौरान शव घर में ही पड़ा रहा। 18 जुलाई को बुजुर्ग महिला के संक्रमित होने पर उनका पुत्र छह घंटे तक मेडिकल कॉलेज से लेकर जिला अस्पताल तक घूमता रहा, लेकिन उन्हें कहीं भर्ती नहीं किया गया। एसडीएम के हस्तक्षेप के बाद पुन: दाउदपुर के उसी अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाद में मौत हो गई। वहीं 27 जुलाई को अधेड़ी रोग से पीडि़त हुमायूंपुर की एक महिला की टीबी अस्पताल में मौत हो गई। स्वजन ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया। 18 अगस्त को मेडिकल कॉलेज गंभीर स्थिति में पहुंचे बिछिया के एक बुजुर्ग को कोरोना संक्रमण की आशंका में भर्ती नहीं किया। दूसरे अस्पताल तक पहुंचते-पहुंचते उनकी मौत हो गई।