गोरखपुर विश्वविद्यालय में एक बार काम करेंगे अधिकतम 50 फीसद कर्मचारी Gorakhpur News
शासन के विशेष सचिव अब्दुल समद ने 15 अप्रैल को सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति को शासन की गाइड लाइन भेजकर उसे लागू करने का निर्देश दिया है। गोरखपुर विश्वविद्यालय में पहले से ही 30 अप्रैल तक सभी कक्षाएं को आनलाइन संचालित करने का निर्देश दिया जा चुका है।
गोरखपुर, जेएनएन। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय और उससे सम्बद्ध महाविद्यालयों में एक साथ 50 फीसद कर्मचारी ही कार्य करेंगे। कोरोना संक्रमण को देखते हुए शासन से मिले निर्देश के क्रम में विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह निर्णय लिया है। कर्मचारियों की 50 फीसद मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए विश्वविद्यालय में रोस्टर तैयार किया जा रहा है। यह भी निर्णय लिया गया है कि कैंप लगाकर विश्वविद्यालय के सभी कर्मचारियों की कोरोना जांच कराई जाएगी। पाजिटिव पाए जाने वाले कर्मचारियों का विश्वविद्यालय परिसर में न आना सुनिश्चित किया जाएगा।
डीडीयू में पहले से ही नियम लागू
शासन के विशेष सचिव अब्दुल समद ने 15 अप्रैल को सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति को शासन की गाइड लाइन भेजकर उसे लागू करने का निर्देश दिया है। गोरखपुर विश्वविद्यालय में पहले से ही 30 अप्रैल तक सभी कक्षाएं को आनलाइन संचालित करने का निर्देश दिया जा चुका है। ऐसे में शिक्षकों को विभाग में आना ही नहीं है। वहीं कर्मचारियों की मौजूदगी को लेकर भी निर्देश दिए गए हैं।
जल्द ही रोस्टर के हिसाब से कर्मचारियों की सूची होगी तैयार
कार्यवाहक कुलसचिव प्रो. अजय सिंह ने बताया कि बहुत जल्द रोस्टर के हिसाब से कर्मचारियों की सूची तैयार कर ली जाएगी। शासन के निर्देशों का उसका शत-प्रतिशत पालन कराया जाएगा। कोरोना को देखते हुए मास्क लगाना और थर्मल स्कैनिंग कराया जाना अनिवार्य किया जाएगा। बिना जांच किसी कर्मचारी को कार्यालय में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। सभी कर्मचारियों का ब्योरा रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा। दो गज दूरी और मास्क जरूरी का पालन हर हाल में सुनिश्चित किया जाएगा।
महाविद्यालयों के लिए कोई निर्देश तक नहीं
गोरखपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों को अभी ऐसा कोई निर्देश नहीं मिला है जिससे कि वह भी अपने वहां 50 फीसद कर्मचारियों को बुला सकें। वहां पर सभी शिक्षक एवं कर्मचारी नियमित ड्यूटी कर रहे हैं। महाविद्यालयों में विश्वविद्यालय की तरफ से निर्देश न मिलने के कारण शिक्षक और कर्मचारी दहशत में हैं। उनकी समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर प्रबंधन इसके लिए क्यों खामोश हैं।