Move to Jagran APP

बाबा गोरखनाथ की तपोस्थली पर पड़े थे गुरुनानक के पांव Gorakhpur News

बाबा गोरखनाथ की तपोस्थली पर देश भर के संतों के आगमन का समृद्ध इतिहास है। इन संतों में एक प्रमुख नाम सिखों के पहले गुरु नानन देव का भी है साढ़े छह दशक पहले जिनके पवित्र पांव यहां पड़े थे।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2020 07:10 AM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 07:10 AM (IST)
बाबा गोरखनाथ की तपोस्थली पर पड़े थे गुरुनानक के पांव Gorakhpur News
गुरु नानक देव गोरखपुर में आकर तत्कालीन नाथ पीठाधीश्वर से मुलाकात की थी। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, डा. राकेश राय। बाबा गोरखनाथ की तपोस्थली पर देश भर के संतों के आगमन का समृद्ध इतिहास है। इन संतों में एक प्रमुख नाम सिखों के पहले गुरु नानन देव का भी है, साढ़े छह दशक पहले जिनके पवित्र पांव यहां पड़े थे। गुरुनानक ने न केवल आज के जटाशंकर गुरुद्वारे और उस समय के विश्रामालय में आराम किया था बल्कि उसी दौरान गोरखनाथ मंदिर जाकर तत्कालीन नाथ पीठाधीश्वर से मुलाकात कर संत चर्चा भी की थी। जटाशंकर गुरुद्वारे की नींव उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही पड़ी। नानक देव से नाम जुड़ने के चलते ही इस गुरुद्वारे का सिख व सिंधी समाज के बीच विशेष मान है। इस चैखट पर मत्था टेकने के लिए देशभर के नानक नामलेवा श्रद्धालुओं के आने का तांता वर्ष भर लगा रहता है।

loksabha election banner

गुरुद्वारा गुरुसिंह सभा जटाशंकर के अध्यक्ष जसपाल सिंह बताते हैं कि गुरु नानक ने अपनी जीवन काल में चार बार पूरे विश्व की यात्रा की। तीसरी यात्रा के दौरान 1572 में उत्तराखंड के हेमकुंड से नेपाल की ओर से जाने के दौरान उन्होंने गोरखपुर में विश्राम किया। जिस स्थल पर उन्होंने विश्राम किया था, उसी स्थल पर बाद में उदासी बाबा सुंदर दास ने 1929 में गुरुद्वारे की नींव रख दी। शुरुआत में यह छोटा सा आराधना स्थल हुआ करता था लेकिन गुरुनानक देव से नाम जुड़े होने के कारण बहुत जल्द इसे भव्य गुरुद्वारे का रूप दे दिया गया, जो जटाशंकर मोहल्ले में होने के चलते जटाशंकर गुरुद्वारा कहलाया। गुरुनानक देव के नाम पर इस गुरुद्वारे में आज भी एक बड़ा हाल है, जहां वर्ष भर पूजा-अर्चना के कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं।

कबीर धूनी पर नानक और कबीर के मुलाकात की है मान्यता

जनश्रुति है कि गोरखपुर और संतकबीर नगर की सीमा पर मौजूद कबीर धूनी पर एक बार अकाल पड़ा तो स्थानीय लोगों की ओर से एक भंडारे का आयोजन किया गया। भंडारे में गुरु गोरक्षनाथ, कबीरदास और संत रविदास जैसे संतों के साथ नानक देव भी शामिल हुए। हालांकि नानक और कबीर के काल क्रम में अंतर के चलते इस जनश्रुति को श्रद्धा के प्रति उत्साह ही कहा जा सकता है।

नानक पु़त्र बाबा श्रीचंद भी आ चुके हैं गोरखपुर

सरदार जसपाल सिंह बताते हैं कि नानक के बाद उनके पुत्र बाबा श्रीचंद भी गोरखपुर आए। वह सिखों के उदासी संप्रदाय से थे, इसलिए उनकी याद में यहां पांच उदासी गुरुद्वारे बनाए गए। नखास चैक, जटाशंकर, बसंतपुर, राजघाट और घांसीकटरा में आज भी मौजूद हैं यह गुरुद्वारे, जहां संतों के भजन-कीर्तन का सिलसिला चलता रहता है।

गुरु नानक देव का प्रकाशोत्सव आज, गूंजेगी गुरुवाणी

गु़रुद्वारा जटाशंकर में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का 551वां प्रकाशोत्सव कार्तिक पूर्णिमा के दिन सोमवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। गुरुवाणी गूंजेगी। बाहर से कीर्तन जत्थे आए हैं जो कीर्तन-प्रवचन से संगत को निहाल करेंगे। तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। पंजाबी अकादमी के सदस्य जगनैन सिंह नीटू के अनुसार कार्यक्रम कोविड प्रोटोकाल के अनुसार सुबह नौ बजे शुरू होगा। इसी के साथ लंगर भी शुरू हो जाएगा। लगभग सात-आठ हजार की संख्या में श्रद्धालु इस पर्व पर आते हैं। भीड़ न एकत्रित होने पाए, इसलिए मत्था टेकने के बाद लोग लंगर में प्रसाद लेंगे। इसके बाद उनसे बाहर जाने का अनुरोध किया जाएगा। कोरोना के कारण इस बार रात के कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए हैं। कार्यक्रम सायं पांच बजे तक ही चलेगा। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.