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विवादों के साये में गुरु गोरक्षनाथ स्वर्ण पदक

गोरखपुर : दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में दिए जाने वाले महायोगी गुरु

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Dec 2017 01:25 AM (IST)Updated: Sun, 17 Dec 2017 01:25 AM (IST)
विवादों के साये में गुरु गोरक्षनाथ स्वर्ण पदक

गोरखपुर : दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में दिए जाने वाले महायोगी गुरु गोरक्षनाथ स्वर्ण पदक को लेकर विवाद हो गया है। 36वें दीक्षा समारोह में पदक के लिए अर्ह घोषित छात्रा के चयन पर आपत्ति जताते हुए शिक्षक संघ के महामंत्री प्रो. उमेश यादव ने कुलपति से नए सिरे से चयन प्रक्रिया आयोजित करने की मांग की है। हालांकि कुलपति ने विद्यापरिषद और कार्यपरिषद द्वारा स्वीकृत पदक प्राप्तकर्ताओं में किसी तरह की तब्दीली करने से इन्कार करते हुए आपत्ति को गैरवाजिब करार दिया है।

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19 दिसंबर को प्रस्तावित दीक्षा समारोह के लिए भौतिक विज्ञान की शोधार्थी गार्गी तिवारी को चयन समिति ने उक्त स्वर्ण पदक के लिए अर्ह घोषित किया था। प्राप्तकर्ता शोधार्थी के चयन के लिए नवंबर में ही परीक्षा विभाग से अधिसूचना जारी हुई थी। तीन बार नोटिस जारी होने के क्रम में विभागाध्यक्षों से प्राप्त आवेदनों पर संकायाध्यक्षों की समिति ने आठ दिसंबर को गार्गी के नाम पर मंजूरी दी। रिसर्च पेपर में गार्गी प्रथम लेखिका थी। इसके बाद 10 दिसंबर को विश्वविद्यालय की विद्यापरिषद से भी इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई। अब 14 नवंबर को भौतिकी विभाग के शिक्षक प्रो. उमेश यादव ने चयन प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र लिखा। उनका आरोप है कि विभाग के अध्यक्ष ने बगैर विभागीय समिति के यह नाम प्रस्तावित कर दिया। उनका यह भी कहना है कि चयनित मेधावी के शोध के स्तर से कहीं बेहतर शोध विभाग में ही हुए हैं। ऐसे में इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। विवाद को लेकर विश्वविद्यालय में खासी चर्चा है। बता दें कि यह स्वर्ण पदक उस शोधार्थी को दिया जाता है जिसने संबंधित सत्र में अति विशिष्ट शोध कर रखा हो और जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता स्थापित हो।

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स्वर्ण पदक हमारे मेधावी विद्यार्थियों के लिए गौरव का विषय है। इसकी चयन प्रक्रिया में पूरी सावधानी और पारदर्शिता बरती गई है। शिकायतकर्ता ने स्वयं भी विद्यापरिषद के सदस्य के रूप में पदक पर अपनी स्वीकृति दी है। अब उस पर आपत्ति जताना कतई उचित नहीं है।

प्रो. वीके सिंह

कुलपति

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय

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चयन में पारदर्शिता नहीं रखी गई। बिना विभागीय समिति की अनुशंसा के अध्यक्ष ने कैसे एक नाम भेज दिया। चयन समिति द्वारा घोषित नाम पर आपत्ति जताने का कोई मौका भी नहीं दिया गया। इस पर पुनर्विचार होना ही चाहिए।

प्रो. उमेश यादव

महामंत्री

विश्वविद्यालय शिक्षक संघ

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