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शिकारियों के निशाने पर मेहमान पक्षी, वसूल की जा रही मुंहमांगी कीमत Gorakhpur News

पडरौना में सदर तहसील क्षेत्र के करीब आधा दर्जन ताल व तालाब साइबेरियन पक्षियों से गुलजार हैं पर शिकारी भी अब काफी सक्रिय हो चुके हैं। चिड़‍ियों के शौकीन शिकारियों को मुंहमांगी कीमत एडवांस में दे रहे हैं।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Sat, 16 Jan 2021 01:10 PM (IST)Updated: Sat, 16 Jan 2021 01:10 PM (IST)
शिकारियों के निशाने पर मेहमान पक्षी, वसूल की जा रही मुंहमांगी कीमत Gorakhpur News
रोहुआ ताल में बैठे साइबेरियन पक्षी। जागरण

राजन विश्वकर्मा, गोरखपुर : पडरौना जिले में सदर तहसील क्षेत्र के करीब आधा दर्जन ताल व तालाब साइबेरियन पक्षियों से गुलजार हैं पर शिकारी भी सक्रिय हो चुके हैं। चिड़‍ियों के शौकीन, शिकारियों को मुंहमांगी कीमत एडवांस में दे रहे हैं। विशुनपुरा विकास खंड का रोहुआ ताल हजारों साइबेरियन पक्षियों का ठिकाना बना हुआ है। करीब आठ सौ एकड़ में फैला यह तालाब सेमरा, बेलवा, मोतीपुर, यादव टोली, विजयी छपरा, फकीरा छपरा व मिठहा माफी आदि गांवों के बीच स्थित है। खजुरिया, मंसाछापर के तालाबों में भी विदेशी पक्षी दिख रहे हैं। प्रतिबंध के बावजूद पक्षियों का शिकार हो रहा है और चौक-चौराहों पर चोरी-छिपे बेचा जा रहा है।

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पक्षियों की मुंहमांगी कीमत वसूल रहे शिकारी

एक जोड़ी लालसर की कीमत आठ सौ से एक हजार, कैमा की दो से तीन सौ, बटेर की दो से ढाई सौ, बत्तख की 1300 से 1500, सुर्खाव चार से पांच सौ का एक, दिघौच पांच से सात सौ में एक, गैरी, बगवद समेत अन्य प्रजाति की पक्षियां चार सौ से पांच सौ रुपये में बेची जा रही हैं।

सजा व जुर्माना का है प्राविधान

वन्य जीव अधिनियम 1972 के तहत पशु-पक्षियों का शिकार व व्यवसाय और उन्हें कैद करना भी अपराध है। पकड़े जाने पर आरोपित को तीन साल की सजा और तीन हजार से पांच हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। मौजूदा समय में कौआ को छोड़कर सभी प्रजाति के पक्षी संरक्षित श्रेणी में शामिल हैं।

पूरी तरह प्रतिबंधित है शिकार

पडरौना के वन क्षेत्राधिकारी घनश्याम शुक्ल ने कहा कि वन पक्षियों का शिकार पूरी तरह प्रतिबंधित है। विदेशी पक्षियों का आगमन जनपद के ताल व तालाबों में हो चुका है। विभाग के कर्मचारियों को सतर्क व सक्रिय कर दिया गया है। शिकार करते पकड़े जाने पर आरोपितों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।


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