ग्राउंड रिपोर्ट : पइले ऐही रोडवा पर चलल मुश्किल रहे, अब सभे फर्राटा भरता
1932 में फरेंदा में उद्योगपति सेठ आनंदराम जयपुरिया द्वारा गणेश शुगर मिल की स्थापना करने के बाद इस क्षेत्र में व्यापारिक गतिविधियां तेजी से बढ़ीं। मिल प्रबंधन की तरफ से शिक्षण संस्थान भी स्थापित कराए गए। विधानसभा क्षेत्र में स्थित लेहड़ा देवी मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है।
गोरखपुर, विश्वदीपक त्रिपाठी। ठंड भरे मौसम में महराजगंज जिले के फरेंदा विधानसभा क्षेत्र की सियासी हवा में गर्मी है। यहां स्थानीय के साथ राष्ट्रीय मुद्दे भी चर्चा में हैं। विकास भा रहा है तो योजनाएं लुभा रही हैैं, लेकिन सवाल महंगाई पर भी है। पसंद के नाम पर जबान किसी का नाम नहीं लेती, लेकिन आंखों में भविष्य के सपने तैर रहे हैैं।
चाय की दुकान पर चल रही चुनाव की बतकही
जिला मुख्यालय से 15 किमी दूर त्रिमुहानी पुल से उतरते ही फरेंदा विधानसभा क्षेत्र में पहली चाय की दुकान पर बैठे व्यक्ति से बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ तो पता चला कि वह दुकान के मालिक सोमई साहनी हैं। औपचारिक वार्ता धीरे-धीरे राजनीति की बतकही में बदल गई। मुंबई में मजदूरी करने वाले सोमई कोरोना की पहली लहर में घर आ गए थे। कहा कि मुंबई में सब खर्च निकाल कर 10 हजार महीना बचा लेते थे। यहां 100 रुपये से अधिक किसी दिन नहीं कमा पाते हैं।
सरकार के मुफ्त राशन योजना का किया बखान
सरकार से कुछ सहायता मिली या नहीं? इस सवाल पर तपाक से कहते हैं, 'राशन मिलत ह, लेकिन साबुन, तेल कइसे आई। 'पइसा न रहले से लइका के शादी में 60 हजार क कर्जा लेवे के पडि़ गइल,। 'गउवां में कमवा त भइल ह। मेन रोडे से खाकी बाबा के थाने तक सड़क बन गइल, लेकिन साथे-साथे महंगइयों बढ़ी गइल बा। सरकार के रोजगार देवे के बारे में सोचे के चाहीं,।
महंगाई को भी बता रहे मुद्दा
इसी रोड पर दो किलोमीटर आगे बढऩे पर परासखाड़ गांव के पास चाय की दुकान पर स्थानीय निवासी दीनबंधु मिल गए। लुधियाना में वाशर बनाने का काम करने वाले दीनबंधु 38 बसंत देख चुके हैं। फिलहाल चार माह से घर पर ही हैं। जाने के बारे में सोच रहे थे कि कोरोना की वापसी देख अपना इरादा बदल दिए हैं। क्षेत्र में माहौल के बारे में बताते हैं ,'विकास त भइल ह। पइले ऐही रोडवा (एनएच- 730) पर चलल मुश्किल रहे, अब सभे फर्राटा भरत बा। उनकी बात काटते हुए साथ में चल रहे गांव के ही शैलेंद्र बोल पड़ते है, 'त इ काहे भुला जात हव कि महंगइयों बढ़ी गइल। जबसे 35 रुपया मजूरी रहल तबसे काम करत हई। तब 35 रुपया में घर भर के पेट भरि जात रहल, अब चार सौ रुपया कम पड़त बा। Ó भैसहिया गांव के निवासी अनिल शर्मा गुमटी में बाल- दाढ़ी बनाने का काम करते हैं। चुनावी परि²श्य पर बात छिड़ते ही बताने लगे कि- Óअबहिन त चुनावे में समय बा। जे हमन के सुख-दुख जानी ओही के वोट दिहल जाईÓ।
विधानसभा क्षेत्र में चढ़ा सियासी रंग
विधानसभा क्षेत्र के केंद्र बिंदु फरेंदा में भी सियासी रंग गाढ़ा हो चुका है। जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर बसे इस कस्बे में जहां-तहां राजनीति की चर्चा होती दिखी। रेलवे स्टेशन के सामने चाय की दुकान पर अशोक चौरसिया ,सिराजुद्दीन, गोपाल, अरविंद कुमार, शुभम, दिनेश चौरसिया व सोमई प्रसाद अपने-अपने दल के समर्थन में सत्ता का समीकरण बैठा रहे थे। कस्बे के विष्णु मंदिर तिराहा, फरेंदा बाईपास व मंडी के सामने चाय की दुकानों पर जहां-तहां लोगों की बैठकी दिखी। वहीं राजनीति के शोर के बीच मध्य कस्बे में बंद पड़ी गणेश शुगर मिल का माहौल शांत था। जहां कभी किसानों की भीड़ रहती थी, वहां पसरा सन्नाटा अपनी उपेक्षा की कहानी कह रहा था।
कोरोना काल में सरकार ने किया बेहतर काम
कस्बे से कुछ आगे बढ़ते ही दीवानी न्यायालय के समीप टीचर कालोनी के रहने वाले पेशे से शिक्षक अंकुर मिश्रा मिले। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में सरकार ने बेहतर कार्य किया। इस बीमारी से अनाथ हुए ब'चों के बारे में सरकार ने अभिभावक की तरह सोचा, यह बहुत अ'छा लगा। पिछली सरकारों के मुकाबले इस सरकार में काम हुआ है, लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है। खासकर युवाओं को रोजगार देने के बारे में गंभीरता पूर्वक सोचना चाहिए। फरेंदा से आठ किमी दूर लेहड़ा मंदिर मोड़ पर मिले राजू दुर्गापुर के निवासी हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने काम किया है। गांव में 18 घंटे बिजली मिल रही है। सड़कें बेहतर हो गईं है, अब और क्या चाहिए।
तेजी से हुआ सड़कों का निर्माण
रतनपुरवा निवासी चिकित्सक सुनील कुमार जायसवाल ने कहा कि सड़कों का निर्माण तेजी से हुआ है। कभी बदहाल रहा फरेंदा-लेहड़ा मार्ग भी अति सुंदर हो गया है। फरेंदा शुगर मिल वर्षों से बंद पड़ी है। आने वाली सरकार को इसे चालू कराने पर ध्यान देना चाहिए। इससे जहां किसानों को लाभ मिलेगा, वहीं युवाओं को रोजगार भी मुहैया होगा।
फरेंदा में बिछा सड़कों का जाल
गुजरविलया के किसान अमित सिंह ने कहा कि फरेंदा विधानसभा में सड़कों का जाल बिछा है, लेकिन बढ़ी महंगाई व बेरोजगारी की समस्या का भी समाधान होना चाहिए। महंगाई से ग्रामीणों का जीवन यापन मुश्किल हो गया है। साथ ही शिक्षा व्यवस्था में सुधार आवश्यक है। सरकार को निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाने चाहिए।
बेरोजगारी की समस्या का नहीं हुआ समाधान
फरेंदा के व्यवसायी मोनी जायसवाल ने कहा कि जनता की मूलभूत सुविधाओं को पूरा करना किसी जनप्रतिनिधि व सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। सरकार को बेरोजगारी की समस्या का भी समाधान करना चाहिए। आने वाली सरकार इस समस्या को प्राथमिकता से हल करे। शिक्षा व स्वास्थ्य पर भी ध्यान दे, यही हमारी मांग है।
मूलभूत सुविधाएं नहीं
निरालानगर निवासी समाजसेवी श्रीधर शुक्ल ने बताया कि फरेंदा कस्बे की प्रमुख समस्या जाम है। कस्बे में एक बस डिपो का निर्माण नहीं हो सका, जिससे यात्रियों को तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यहां के लोग मूलभूत सुविधाओं से दूर हैं। बेरोजगारी बढ़ी है। नौजवान रोजगार के लिए भटकने को मजबूर हैं।
फरेंदा में किस दल का रहा कब्जा
वर्ष प्रत्याशी दल
1951 गौरी राम गुप्ता कांग्रेस
1957 गौरी राम गुप्ता कांग्रेस
1962 नरङ्क्षसह नरायण पांडेय केएमपीपी
1967 गौरी राम गुप्ता कांग्रेस
1969 पियारी देवी कांग्रेस
1971 लक्ष्मी नारायण पांडेय कम्युनिस्ट पार्टी
1974 लक्ष्मी नारायण पांडेय कम्युनिस्ट पार्टी
1977 श्याम नारायण तिवारी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
1980 हर्षवर्धन जनता दल
1984 श्याम नारायण तिवारी कांग्रेस
1989 श्याम नारायण तिवारी कांग्रेस
1993 शिवेंद्र चौधरी भाजपा
1996 विनोद मणि त्रिपाठी मा. कम्युनिस्ट पाटी
2002 श्याम नरायण तिवारी कांग्रेस
2007 बजरंग बहादुर सिंह भाजपा
2012 बजरंग बहादुर सिंह भाजपा
2015 विनोद मणि सपा -(उपचुनाव)
2017 बजरंग बहादर सिंह भाजपा
एक नजर में 315 फरेंदा विधानसभा
कुल मतदाता- 350569
पुरुष मतदाता- 185356
महिला मतदाता- 165178
मतदेय स्थल- 390
विधानसभा का इतिहास
कभी गोरखपुर जिले का हिस्सा रहे फरेंदा विधानसभा को आजादी के बाद तक फरेंदा मध्य के नाम से जाना जाता था। राप्ती व रोहिन नदियों के मध्य बसा यह भू भाग अंग्रेजों को भी लुभाता था। अंग्रेजों ने लेहड़ा में अपनी छावनी बनाई थी, और यही से पूरे क्षेत्र का संचालन करते थे। बगल में स्थित बृजमनगंज बाजार ब्रिटिश हुकूमत का प्रमुख व्यापारिक केंद्र था। 1932 में फरेंदा में उद्योगपति सेठ आनंदराम जयपुरिया द्वारा गणेश शुगर मिल की स्थापना करने के बाद इस क्षेत्र में व्यापारिक गतिविधियां तेजी से बढ़ीं। मिल प्रबंधन की तरफ से शिक्षण संस्थान भी स्थापित कराए गए। विधानसभा क्षेत्र में स्थित लेहड़ा देवी मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है।