Gorakhpur GPF Scam: अफसरों के भी फर्जी हस्ताक्षर से 45 खातों में भेजे गए रुपये
गोरखपुर में जीपीएफ घोटाले के बाद प्रशासनिक महकमे में हड़कंप है। जीपीएफ से जुड़े साफ्टवेयर को भी बदलने की तैयारी शुरू हो गई है। अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व राजेश सिंह के नेतृत्व में गठित तीन सदस्यीय समिति को 10 दिनों में जांच रिपोर्ट देनी है।
गोरखपुर, जेएनएन। जनरल प्रोविडेंट फंड (जीपीएफ) में हुए घोटाले के पर्दाफाश के बाद प्रशासन के अफसर जांच की तैयारियों में जुट गए हैं। आरोपितों से पूछताछ के लिए सवाल तैयार किया गया। जीपीएफ से जुड़े साफ्टवेयर को भी बदलने की तैयारी शुरू हो गई है। अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व राजेश सिंह के नेतृत्व में गठित तीन सदस्यीय समिति को 10 दिनों में जांच रिपोर्ट देनी है।
फर्जी आइडी से हुआ करोड़ों का भुगतान
गोंडा पुलिस ने जीपीएफ में घोटाले का पर्दाफाश किया तो शहर का भी कनेक्शन जुड़ा मिला। चकबंदी विभाग में लेखाकार अरुण कुमार वर्मा की गिरफ्तारी के साथ ही डीएम ने जांच कमेटी गठित कर दी। अरुण ने कर्मचारियों की फर्जी आइडी बनाकर ट्रेजरी से भुगतान करा लिया। प्रशासनिक अफसरों का मानना है कि फर्जीवाड़ा के सबसे ज्यादा शिकार चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हुए हैं। भुगतान लेने के लिए संबंधित विभागों के अफसरों के भी फर्जी हस्ताक्षर बनाए गए हैं।
जांच समिति ने सवालों के साथ ही जांच से जुड़ी फाइलें तैयार कर ली हैं। अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व ने बताया कि सात दिनों में जांच रिपोर्ट सौंपने की कोशिश की जा रही है। समिति में अपर निदेशक कोषागार और नगर निगम के लेखाधिकारी भी शामिल हैं। गोंडा पुलिस की जांच में 45 खातों में रुपये भेजने की पुष्टि हुई है।
डिजिटल हस्ताक्षर का दुरुपयोग हुआ
अफसरों को आशंका है कि घोटालेबाजों ने उनके डिजिटल हस्ताक्षर का दुरुपयोग किया है। इसे देखते हुए डीएम ने 22 मार्च को विभिन्न विभागों के आहरण-वितरण अधिकारियों को अपने-अपने विभागों में घोटाले से प्रभावित कर्मचारियों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
लेखपाल संघ और प्रादेशिक चकबंदी कर्ता संघ 26 को करेगा बैठक
जनरल प्रोविडेंट फंड (जीपीएफ) में हुए घोटाले ने कर्मचारियों की नींद उड़ा दी है। उत्तर प्रदेश चकबंदी लेखपाल संघ और प्रादेशिक चकबंदी कर्ता संघ ने घोटाले पर चिंता जताते हुए 26 मार्च को दीवान बाजार में बैठक बुलाई है। कर्मचारियों ने घोटाले की जल्द से जल्द जांच पूरी करने और सभी कर्मचारियों का जीपीएफ सुरक्षित होने की जानकारी देने की मांग की है। इस बीच प्रशासन ने घोटाले की जांच तेज कर दी है।
चकबंदी विभाग में लेखाकार अरुण कुमार वर्मा की गिरफ्तारी के साथ ही जीपीएफ घोटाले का पर्दाफाश हुआ था। अरुण ने कर्मचारियों ने फर्जी आइडी बनाकर ट्रेजरी से भुगतान करा लिया। प्रशासनिक अफसरों का मानना है कि फर्जीवाड़ा के सबसे ज्यादा शिकार चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हुए हैं। भुगतान लेने के लिए संबंधित विभागों के अफसरों के भी फर्जी हस्ताक्षर बनाए गए हैं।