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AIIMS Gorakhpur में सरकारी स्कूल के बच्‍चों को मिलेगा वीआइपी ट्रीटमेंट, यह हुई व्‍यवस्‍था

AIIMS Gorakhpur प्रशासन ने सरकारी स्कूल के बच्‍चों के लिए वीआइपी ट्रीटमेंट की व्‍यवस्‍था की है। इसके लिए बच्‍चों का अलग से कार्ड बनाया जाएगा।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 24 Jun 2020 09:01 AM (IST)Updated: Wed, 24 Jun 2020 12:37 PM (IST)
AIIMS Gorakhpur में सरकारी स्कूल के बच्‍चों को मिलेगा वीआइपी ट्रीटमेंट, यह हुई व्‍यवस्‍था
AIIMS Gorakhpur में सरकारी स्कूल के बच्‍चों को मिलेगा वीआइपी ट्रीटमेंट, यह हुई व्‍यवस्‍था

गोरखपुर, जेएनएन। सरकारी स्कूल में पढऩे वाले बच्‍चों को एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) में इलाज के लिए लाइन नहीं लगानी पड़ेगी। इसके लिए स्कूलों का सर्वे कराकर बच्‍चों को एम्स का कार्ड उपलब्ध कराया जाएगा। इस पर उनका नाम-पता और बीमारी का विवरण होगा। चेकअप या इलाज के लिए तय तारीख और समय की जानकारी अध्यापक व अभिभावकों को दे दी जाएगी।

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स्कूलों का सर्वे कर बच्‍चों को उपलब्ध कराया जाएगा एम्स का कार्ड

गरीब बच्‍चों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने की इस पहल पर कम्युनिटी मेडिसिन विभाग काम करेगा। विभाग के डॉक्टर बीमार बच्‍चों का चरणबद्ध ढंग से सर्वे करेंगे। इस दौरान उन्हें नंबर वाला कार्ड दिया जाएगा, जिसके जरिये बच्‍चे की संपूर्ण जानकारी मिल जाएगी। इस कार्ड को लेकर एम्स पहुंचने पर बच्‍चों को वीआइपी तवज्जो मिलेगी। उन्हें लाइन लगाने से छुट तो मिलेगी ही संपूर्ण जानकारी डॉक्टर और विभाग के पास पहले से उपलब्ध रहेगी। डॉक्टर उनकी तत्काल जांच कर इलाज करेंगे।

स्कूलों में जाकर देंगे प्रशिक्षण

प्रधानाचार्य व शिक्षकों को प्राइमरी हेल्थ केयर के बारे में जागरुक करने के लिए एम्स में बुलाया जाएगा। जहां शिक्षकों की संख्या ज्यादा होगी वहां डॉक्टर खुद जाकर प्रशिक्षण देंगे।

व्यक्ति व समाज को स्वस्थ रखना हमारी जिम्मेदारी है। समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने के दृष्टिगत यह कदम उठाया जा रहा है। स्कूलों का सर्वे कर बीमार ब'चों को चिन्हित किया जाएगा। एम्स में इलाज के साथ ही स्वास्थ्य केंद्रों के सहयोग से उनका उपचार कराया जाएगा। - डॉ. सुरेखा किशोर, डायरेक्टर, एम्स

दो और निजी लैबों को मिली कोरोना जांच की अनुमति

गोरखपुर के दो और निजी लैबों को कोरोना जांच की अनुमति मिल गई। यहां ट्रूनेट मशीन से जांच की जाएगी। रिपोर्ट महज चार घंटे में मिल जाएगी। सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी ने बताया कि सोमवार को गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय व बेतियाहाता के लाइफ डायग्नोस्टिक को जांच की अनुमति दे दी गई। इसके पूर्व तिलक पैथोलॉजी को भी ट्रूनेट मशीन से जांच की अनुमति दी जा चुकी है।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में माइक्रोबायोलॉजी विभाग और क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र (आरएमआरसी) पर गोरखपुर-बस्ती मंडल के कोरोना जांच का भार है। पूल सैंपलिंग के चलते नमूने ज्यादा आ रहे हैं, इसलिए समय से रिपोर्ट मिल नहीं पा रही है। ऐसे में निजी लैबों को जांच की अनुमति मिलने से बड़ी राहत मिलेगी। निजी अस्पतालों में इलाज कराने आने वाले गंभीर मरीजों, ऑपरेशन वाले व कोरोना के लक्षणों वाले मरीजों की जांच अनिवार्य कर दी गई है। यहां से नमूने निजी लैबों में ही भेजे जाते हैं। अब उनकी जांच जल्दी हो सकेगी। शहर के इन तीन लैबों के अलावा चार बाहर के निजी लैबों के कलेक्शन सेंटर भी हैं, जहां कोरोना जांच के नमूने लिए जाते हैं। उनकी जांच रिपोर्ट आने में दो से तीन दिन लग जाते हैं क्योंकि वे दिल्ली या गुडग़ांव स्थित लैबों में जांच कराते हैं। 


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