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गोवर्धन पूजा आज, बहनें कल भैयादूज पर मांगेगी वरदान

गोधन का प्रतीक चिह्न बनाकर वर्षों से चला आ रहा पूजन का सिलसिला

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Nov 2021 09:44 PM (IST)Updated: Thu, 04 Nov 2021 09:44 PM (IST)
गोवर्धन पूजा आज, बहनें कल भैयादूज पर मांगेगी वरदान
गोवर्धन पूजा आज, बहनें कल भैयादूज पर मांगेगी वरदान

संतकबीर नगर: कार्तिक कृष्ण शुक्ल पक्ष में शुक्रवार को गोवर्धन पूजा व शनिवार को भैया दूज पर्व परंपरागत ढंग से मनाया जाएगा। बहनें विधिविधान पूर्वक व्रत रख गोवर्धन पूजा कर यमराज से भाइयों के दीर्घायु व सुख, समृद्धि का वरदान मांगेंगी।

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सनातन धर्म में पर्वों का विशेष महत्व है। लोक परंपरा व पौराणिकता से जुड़े होने के कारण पूरी आस्था व निष्ठा से मनाया जाता है। इस मौके पर व्रत, गोवर्धन पूजन आदि कार्यक्रम होता है। गोवर्धन बनाकर जल, दही, मोली, रोली, चावल, फूल, तेल, खीर आदि से पूजा कर बहने भाई के लंबी उम्र की कामना करती हैं। आचार्य त्रियुगी पांडेय के अनुसार व्रत रहकर गाय के गोबर से गोधन महाराज की प्रतिमा व प्रतीक चिह्न बनाकर विधिवत पूजन-अर्चन किया जाता है। साथ ही कोसिया भरकर भाइयों को खरी-खोटी सुनाने की परंपरा है। दीया हंड़िया रखकर विभिन्न प्रकार के गीत, किस्से-कहानी व पौराणिक कथाएं कह कर गोवर्धन की पूजा की जाती है। इस दिन गोवर्धन से गोबर लूटकर उसकी गोली बनाकर अनाज के ढेर में रखने की प्रथा है। मानना है कि ऐसा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और गोवर्धन उनके राशि की रक्षा करते रहते हैं। कल कलम-दवात की पूजा करेंगे चित्रांश

संतकबीर नगर : कार्तिक मास की यम द्वितीया तिथि पर छह नवंबर को लेखन व लिपि कला के अग्रदूत कहे जाने वाले भगवान चित्रगुप्त की पूजा होगी। कायस्थ समाज के लोग प्रतीक कलम-दवात की पूजा करेंगे। लेखनी चलाकर सुख-समृद्धि व उत्थान की प्रार्थना करेंगे।

अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के तत्वावधान में कलम-दवात की पूजा होगी। शहर के मड़या स्थित चित्रगुप्त मंदिर में महासभा के विनय प्रकाश श्रीवास्तव के नेतृत्व में सुबह 10 बजे से आराध्य का पूजन होगा। आरती के पश्चात समाज के उत्थान व सभी के विकास की कामना की जाएगी। स्टेशन रोड पर शनिवार को सुबह 10 बजे से पूजा होगी। डा. सुजीत श्रीवास्तव के अनुसार भगवान चित्रगुप्त सृष्टि के रचयिता ब्रह्माजी के लेखाकार हैं। यम ही चित्रगुप्त हैं। इन्हीं से कायस्थ की उत्पति हुई। कलम-दवात की पूजा से चेतना का संचार होता है। यह किसी जाति विशेष का पूजन नहीं कलम से जुड़े सभी लोगों के लिए श्रेष्ठ माना गया है।


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