Gorakhpur Weather: पुरवा हवाओं से हारी धूप, उमस बढ़ाकर लेगी बदला
चमकदार धूप के बावजूद नम पुरवा हवाओं ने लोगों को गर्मी के मौसम का अहसास नहीं होने दिया। हालांकि हवाओं की इस नमी की वजह से वातावरण की आर्द्रता में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। यह आर्द्रता धूप की मददगार साबित होगी।
जेएनएन, गोरखपुर। पुरवा हवाओं को पूर्वी उत्तर प्रदेश में ज्यादा बारिश कराने में सफलता तो नहीं मिली लेकिन धूप का तेवर कम करने में वह जरूर सफल रहीं। चमकदार धूप के बावजूद नम पुरवा हवाओं ने लोगों को गर्मी के मौसम का अहसास नहीं होने दिया। हालांकि हवाओं की इस नमी की वजह से वातावरण की आर्द्रता में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। यह आर्द्रता धूप की मददगार साबित होगी, जिससे उसम भरी गर्मी का सिलसिला शुरू हो जाएगा।
मौसम विशेषज्ञ कैलाश पांडेय ने बताया कि वायुमंडलीय परिस्थिति पहले की तरह ही गुरुवार को भी बनी हुई हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश से सटे उत्तरी बिहार की ऊपरी हवाओं में चक्रवातीय हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। उधर 10 से 15 किलोमीटर की रफ्तार से बंगाल की खाड़ी की ओर से पुरवा हवाएं नमी के साथ निरंतर पूर्वी उत्तर प्रदेश तक पहुंच रही हैं। इन वायुमंडलीय परिस्थितियों की वजह से आसमान में बादल बने हुए हैं। यह परिस्थितियां गुरुवार से लेकर शुक्रवार तक पूर्वी उत्तर प्रदेश के 50 फीसद स्थानों पर बूंदाबांदी से लेकर हल्की बारिश की वजह बनती रहेंगी। बुधवार को निचलौल, महराजगंज, सिसवा, परतावल, कैंपियरगंज, चौरी चौरा, सहजनवां, जंगल कौड़िया, पीपीगंज आदि इलाकों .2 से लेकर .5 मिलीमीटर तक बारिश की रिकार्ड की गई। मौसम में इस बदलाव की वजह से गोरखपुर की आर्द्रता 40 से 75 प्रतिशत तक पहुंच गई और अधिकतम तापमान 35 से कम और न्यूनतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया।
अगले सप्ताह फिर बनेगा बारिश का माहौल
मौसम विशेषज्ञ ने बताया कि वर्तमान वायुमंडलीय परिस्थितियों का पूर्वी उत्तर प्रदेश में सात मई तक असर रहेगा। उसके बाद तीन-चार दिन तक उमस भरी गर्मी का सिलसिला चलेगा। 12 मई के बाद फिर से बारिश की वायुमंडलीय परिस्थितियों के तैयार होने का पूर्वानुमान है, जिसकी वजह से 13 मई के बाद हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना बन रही है। वह बारिश पूर्वी उत्तर प्रदेश के 75 फीसद क्षेत्रों में होगी, जिसका फायदा किसानों को मिलेगा। उन्हें जायद की फसल की सिंचाई नहीं करनी पड़ेगी। प्राकृतिक सिंचाई से उनका ार्च बच जाएगा, जिसका असर उपज की लागत पर पड़ेगा। लागत कम हो जाएगी तो मुनाफा खुद-ब-खुद बढ़ जाएगा।