पुरातन छात्र सम्मेलन : दशकों बाद गुरु को देखा तो भर आई आखें Gorakhpur News
गोरखपुर विश्वविद्यालय के गणित व सांख्यिकी विभाग में पहले पुरातन छात्र सम्मेलन का आयोजन किया गया। छात्रों वर्षों बाद अपने गुरुओं को देखा तो उनकी आंखें भर आईं। छात्रों ने अपने छात्र जीवन के सुनहरे दिनों को शिद्दत से याद किया।
गोरखपुर, जेएनएन। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के गणित व सांख्यिकी विभाग में पहले पुरातन छात्र सम्मेलन का आयोजन किया गया। आनलाइन और आफलाइन मोड में हुए आयोजन में पुरातन छात्रों अपने गुरुओं को दशकों बाद देखा तो उनकी आंखें भर आईं। छात्रों ने अपने छात्र जीवन के सुनहरे दिनों को शिद्दत से याद किया। साथ ही 30 अप्रैल से दो मई तक आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय मीट में शामिल होने का भरोसा भी दिलाया।
पुरातन छात्रों ने याद किए छात्र जीवन के सुनहरे दिन
कार्यक्रम के दौरान सर्वाधिक भावुक क्षण तब आया, जब 1978 बैच के विद्यार्थी अनिरुद्ध प्रधान और प्रो. जीके गोस्वामी अपने गुरु ओर विभाग के प्रथम बैच वर्ष 1959 के विद्यार्थी डा. ओमशंकर श्रीवास्तव से रूबरू हुए। मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद पूर्वांचल विश्वविद्यिालय के पूर्व कुलपति प्रो. यूपी सिंह ने अपने शोध निर्देशक पद्मश्री प्रो. आरएस मिश्रा की चर्चा की और शोध पंजीयन से जुड़़ा अपना यादगार संस्मरण सुनाया। गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. वीके सिंह ने बताया कि इस विभाग से प्राप्त संस्कार हम सभी पुरातन छात्रों के जीवन को प्रकाशमान कर रहे हैं। इस अवसर पर कुलपति प्रो. राजेश सिंह बताया कि वर्तमान युग में किस तरह पुरातन छात्र भावनात्मक और व्यावसायिक रूप से अपनी संस्था से जुड़कर उसकी अकादमिक उत्कृष्टता में अपना योगदान सुनिश्चित कर सकते हैं।
यह नैक और एनआइआरएफ में अच्छी ग्रेडिंग प्राप्त करने के लिए भी आवश्यक है। विभागाध्यक्ष प्रो. विजय शंकर वर्मा ने इस दौरान पुरातन छात्रों को अद्यतन विभागीय गतिविधियों की जानकारी दी। प्रो. उमा श्रीवास्तव ने विभाग और विश्वविद्यालय के क्रमिक विकास से सभी को अवगत कराया। पुरातन छात्र परिषद के अध्यक्ष प्रो. सुधीर श्रीवास्तव ने पुरातन छात्रों से विभाग के उन्नयन के लिए सुझाव व सहयोग की अपील की। दो सत्रों में आयोजित कार्यक्रम में कुल 112 पुरातन छात्रों ने हिस्सा लिया।
पुरातन छात्रों की ओर आए सुझाव
केंद्रीय विश्वविद्यालय पटियाला के गणित विभाग के अध्यक्ष प्रो. गौरीशंकर ने शोधार्थियों से कहा कि वह अपने शोधपत्रों को एससीआइ/स्कोपस के इंडेक्स जर्नल में प्रकाशित कराएं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक डा. अरविंद पटेल ने सुझाव दिया कि एससीआइ/स्कोपस जर्नल को विश्वविद्यालय स्तर पर सब्सक्राइब किया जाए।
जीएलए विश्वविद्यालय मथुरा में शोध अधिष्ठाता (विज्ञान) के पद पर कार्यरत प्रो. अनिरुद्ध प्रधान ने वर्तमान में अध्ययनरत छात्रों को गुणात्मक शोध कार्य करने को प्रेरित किया। प्रो. प्रधान ने शोधकार्यों को बढ़ावा देने के लिए शोधछात्रों के आदान-प्रदान की पेशकश भी की।
गगनयान परियोजना परियोजना अधिकारी डा. पद्मदेव मिश्र ने विश्वविद्यालय में प्रयोगात्मक शोधकार्य को बढ़ावा देने की सलाह दी।
जयाद विश्वविद्यालय दुबई के डा. मनीष कंकरेज ने शिक्षण कार्य की उत्कृष्टता के लिए हावर्ड और एमआइटी विश्वविद्यालय द्वारा चलाए जा रहे आनलाइन पाठ्यक्रमों से जुड़ऩे के लिए प्रेरित किया।
इन छात्रवृत्तियों की हुई घोषणा
लखनऊ विवि के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. रामनिवास की स्मृति में प्रो. रामनिवास मेमोरियल संस्था द्वारा स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष में सर्वोत्तम अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी को प्रतिवर्ष 25000 रुपये प्रदान किए जाएंगे। संस्थान ने इसके लिए पांच लाख रुपये जमा करा दिए हैं।
गणित में स्त्री शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए आदित्य रतन मेमोरियल छात्रवृत्ति स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष में सर्वोत्तम अंक प्राप्त करने वाली छात्रा को प्रतिवर्ष 10 हजार रुपये की राशि विभाग के पुरातन छात्र एवं वर्तमान में आचार्य पद पर कार्यरत प्रो. विजय कुमार द्वारा प्रदान की जाएगी।
प्रो. केबी लाल को समर्पित केबी लाल मेमोरियल शोध पुरस्कार के रूप में 50 हजार रुपये ब्रह्मांडिकी के क्षेत्र में शोधरत विद्यार्थी को प्रो. अनिरुद्ध प्रधान देंगे।