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सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भी नहीं सुधरी गोरखपुर पुल‍िस

अपहृत बेटियों के तलाश को लेकर गोरखपुर पुलिस कितनी गंभीर है बेलीपार की घटना ने उजागर कर दिया है। बीते आठ जुलाई को गोरखपुर से लापता किशोरी की तलाश को लेकर बेलीपार पुलिस हाथ मलती रह गई और दिल्ली पुलिस ने मात्र दो दिन में आरोपित को गिरफ्तार कर लिया।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Thu, 09 Sep 2021 07:50 AM (IST)Updated: Thu, 09 Sep 2021 07:50 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भी नहीं सुधरी गोरखपुर पुल‍िस
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भी गोरखपुर पुल‍िस नहीं सुधरी। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। बेलीपार में बालिका अपहरण के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गोरखपुर पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है। यहां तक कि मामले की विवेचना बेलीपार थाना पुलिस से लेकर दिल्ली के मालवीयनगर थाने को सौंप दी गई है। बावजूद इसके गोरखपुर परिक्षेत्र में पुलिस के रवैये में कोई सुधार नहीं दिख रहा है। पुलिसिया शिथिलता का यह कोई पहला मामला नहीं है। यहां 100 बेटियां ऐसी हैं, जिनकी तलाश अभी बाकी है। इसमें से 79 बालिकाएं पिछले साल से लापता हैं।

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दिल्ली पुलिस ने दो दिन में किया बालिका को बरामद

अपहृत बेटियों के तलाश को लेकर गोरखपुर पुलिस कितनी गंभीर है, बेलीपार की घटना ने उजागर कर दिया है। बीते आठ जुलाई को गोरखपुर से लापता किशोरी की तलाश को लेकर बेलीपार पुलिस हाथ मलती रह गई और दिल्ली पुलिस ने मात्र दो दिन में आरोपित को गिरफ्तार कर लिया और किशोरी को बरामद कर लिया। किशोरी गर्भ से भी है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद विवेचना भी दिल्ली के मालवीयनगर थाने को स्थानांतरित कर दी गई। हालांकि बेलीपार पुलिस का कहना है कि वह लड़की व आरोपित के एकदम करीब पहुंच गई थी। लड़की अपनी मां के साथ दिल्ली में रहती थी। पूर्व में भी वह घर भाग चुकी है। उसकी आयु को लेकर भी शुरू से असमंजसपूर्ण स्थिति है।

गोरखपुर पुल‍िस ने कहा, वीआइपी ड्यूटी के कारण अपहृत युवती को बरामद नहीं कर सके

आधार कार्ड व विद्यालयीय दस्तावेज में उसकी आयु 13 साल है, जबकि उसकी वास्तविक आयु 17 वर्ष के करीब है। दिल्ली एम्स से उसका आयु परीक्षण कराया जा रहा है। बेलीपार पुलिस का कहना है कि कुछ वीआईपी ड्यूटी के चलते वह लड़की बरामद नहीं कर सके। अन्यथा उन्हीं के इनपुट पर दिल्ली पुलिस ने लड़की को बरामद किया है। बता दें गुमशुदगी के मामले में लापरवाही का यह कोई पहला मामला नहीं है। चौरीचौरा थाना पुलिस ने बालिका गुमशुदगी व दुष्कर्म के एक मामले को पंजीकृत ही नहीं किया था। संपूर्ण समाधान दिवस में मामला एसएसपी के संज्ञान में आया तो उन्होंने प्रभारी निरीक्षक को निलंबित कर दिया था। बेलीपार के भी मामले में विवेचक गंगाधर शुक्ला को एसएसपी ने निलंबित करके जांच का आदेश दिया है।

बता दें बेलीपार की महिला ने बेटी के गुमशुदगी का मामला सुप्रीमकोर्ट में उठा दिया था, लेकिन जिले में हर गुमशुदा बेटी की मां, इतनी सक्षम नहीं है कि वह मामले को न्यायालय में उठा सके। सहजनवां थाना क्षेत्र से गायब एक किशोरी को पुलिस चार माह बाद भी तलाश नहीं सकी है। किशोरी के भाइयों ने कुछ व्यक्तियों पर संदेह भी जताया, बावजूद इसके पुलिस ने अभी तक आरोपितों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की है।

जिला अपहृत बेटियां इतने की नहीं हो सकी बरामदगी

गोरखपुर 173 34

देवरिया 125 51

कुशीनगर 30 9

महराजगंज 29 6

बढ़ रही महिला अपराध की संख्या

पिछले डेढ़ वर्ष में गोरखपुर परिक्षेत्र में तेजी से महिला अपराध की संख्या बढ़ी है। हालांकि पुलिस का मानना है कि आंकड़ों में कोई बहुत अंतर नहीं आया है। मामले इस लिए अधिक दिख रहे हैं कि अधिकांश मुकदमे दर्ज होने लगे हैं।

मुकदमे दर्ज न होने की शिकायतें न के बराबर हैं। अधिकांश मामलों में पुलिस के कार्रवाई न करने की शिकायतें आ रही हैं। लड़कियों के अपहरण के मामले में सभी जिलों से रिपोर्ट मांगी गई है। इसके अलावा प्रत्येक बुधवार को जोन के सभी थानों में वादी संवाद दिवस का आयोजन किया जा रहा है। ताकि अपनी समस्या आसानी से पुलिस अधिकारियों के संज्ञान में ला सके। विवेचक से भी जानकारी ली जाएगी कि उसे कहां कठिनाई आ रही है और उसका निराकरण किया जाएगा। - अखिल कुमार, अपर पुलिस महानिदेशक गोरखपुर।


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