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Gorakhpur Metro : स्थानीय निकायों को भी निभानी होगी सहभागिता, देने होंगे 200 करोड़ Gorakhpur News

गोरखपुर में मेट्रो के लिए जीडीए नगर निगम व आवास विकास परिषद को भी सहभागिता करनी पड़ेगी। इस योजना के लिए इन इकाइयों को 200 करोड़ रुपये की व्यवस्था करनी होगी।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 04 Sep 2019 10:51 AM (IST)Updated: Wed, 04 Sep 2019 02:01 PM (IST)
Gorakhpur Metro : स्थानीय निकायों को भी निभानी होगी सहभागिता, देने होंगे 200 करोड़ Gorakhpur News
Gorakhpur Metro : स्थानीय निकायों को भी निभानी होगी सहभागिता, देने होंगे 200 करोड़ Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। शहर में मेट्रो की सुविधा देने के लिए अनुमानित करीब 4100 करोड़ रुपये की लागत में केंद्र व प्रदेश सरकार के साथ ही स्थानीय निकायों की हिस्सेदारी भी तय की गई है। गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए), नगर निगम व आवास विकास परिषद को इस योजना के लिए 200 करोड़ रुपये की व्यवस्था करनी होगी।

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गोरखपुर मेट्रो के निर्माण का जिम्मा संभालने वाली संस्था लखनऊ मेट्रो रेल कार्पोरेशन (एलएमआरसी) ने जो प्रस्ताव तैयार किया है, उसके मुताबिक परियोजना के बजट में यहां की इकाईयों से भी सहयोग लिया जाएगा। सरकार ने एलएमआरसी को बजट देने के निर्देश दिए हैं।

चार साल में देनी होगी रकम

तीनों निकायों को यह रकम चार साल में देनी होगी। राइट्स की ओर से गोरखपुर मेट्रो का डीपीआर तैयार किया गया है। स्थानीय निकायों को योगदान देने का निर्देश मिलते ही बजट की व्यवस्था को लेकर तीनों संस्थानों में चर्चा शुरू हो गई है।

जीडीए ने शासन को लिखा पत्र

बड़ी राशि देने के निर्देश के बाद जीडीए सचिव की ओर से शासन को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा गया है। चार साल में यह धनराशि देनी है, इस अनुसार हर साल 50 करोड़ रुपये के इंतजाम करने होंगे। लखनऊ मेट्रो के संचालन में लखनऊ विकास प्राधिकरण नोडल एजेंसी थी, ऐसे में उसे कुल लागत के पांच फीसद से अधिक का योगदान करना पड़ा था। इस आधार पर अपनी खस्ताहाल आर्थिक स्थिति को देखते हुए जीडीए ने पहले ही शासन से 200 करोड़ रुपये की मांग कर दी है। नये नियम के मुताबिक अवस्थापना निधि का पैसा सिर्फ नगर निगम को मिल रहा है। ऐसे में जीडीए से लेकर आवास विकास परिषद के अधिकारियों की नजर नगर निगम की तरफ है। साल भर पहले तक अवस्थापना निधि की रकम जीडीए, नगर निगम और आवास विकास परिषद में बराबर-बराबर बांटी जाती थी। फिलहाल निधि की पूरी रकम नगर निगम को दी जा रही है। वर्तमान में नगर निगम को एक वित्तीय वर्ष में 75 से 85 करोड़ रुपये की अवस्थापना निधि मिलती है।

मेट्रो के संचालन में 200 करोड़ देना संभव नहीं है। ऐसे में इस रकम को लेकर शासन से मांग की गई है। रकम मिलते ही उसे एलएमआरसी को ट्रांसफर कर दिया जाएगा। - राम सिंह गौतम, जीडीए सचिव।


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