'हौले-हौले' से दिल में उतरते चले गए सुखविंदर
बालीवुड के मशहूर सिंगर सुखविंदर सिंह ने जब गाना शुरू किया तो दर्शक दीर्घा में उपस्थित श्रोता झूम उठे। वह दर्शकों से संवाद भी करते रहे।
गोरखपुर, जेएनएन। बालीवुड नाइट में जिस उत्साह, उमंग और उम्मीद के साथ संगीत के कद्रदान गोरखपुर महोत्सव में पहुंचे, उस पर बालीवुड के मशहूर सिंगर सुखविंदर सिंह न केवल पूरी तरह खरे उतरे बल्कि 'हौले-हौले' से उनके दिल में भी उतर गए। गीतों की प्रस्तुति के बीच दर्शकों से संवाद कर उनके दिल में उतरने की कोशिश में भी वह सफल देखे गए।
लोगों का अभिनंदन करने के साथ ही उन्होंने 'कर हर मैदान फतेह रे बंदे' से जोश भरकर माहौल को संगीतमयी बनाया। जब जोश चरम पर पहुंचा तो 'हौले-हौले से हवा चलती है' सुनाकर उसमें प्यार का रंग घोला। प्यार के इस सिलसिले को उन्होंने 'आजा-आजा दिल निचोड़े' पर सुर छेड़कर बखूबी आगे बढ़ाया तो लोग झूम उठे। झूमने यह सिलसिला तब आगे भी बरकरार रहा जब उन्होंने 'चल छैयां-छैयां' जैसे अपने लोकप्रिय गीत को लोगों के सामने परोसा। माहौल अभी रौ में था तभी सुखविंदर अपने उस गीत को लेकर लोगों के बीच आ गए, जिसकी याद ही पांव को थिरकाने लगती है। गीत था 'दिल में मेरे है दर्द-ए-डिस्को'। इस गीत पर ज्यों ही उन्होंने सुर छेड़ा, दर्शक उठकर सुर में सुर मिलाने लगे और युवाओं ने अपनी नृत्य प्रतिभा का प्रदर्शन शुरू कर दिया। संगीत के साथ नृत्य के इस क्रम को सुखविंदर ने गायिका माधवी के साथ 'बीड़ी जलइले' गीत की दमदार प्रस्तुति के साथ जारी रखा। लोगों का जोश चरम था तो सुखविंदर इस जोश को और बढ़ाने के मूड में थे। इसी क्रम में जब वह 'जय हो' गीत लेकर आए तो लोगों ने पूरे जोशो-खरोश से उनका साथ दिया। 'चक दे इंडिया' गीत ने इस जोश को चरम पर पहुंचा दिया।
बच्चों के बीच बच्चे बन गए सुखविंदर
गीतों की प्रस्तुति के क्रम में जब सुखविंदर ने उड़ी-उड़ी जाय.. को गाना शुरू किया तो बच्चे उत्साहित हो गए। बच्चों का उत्साह देख सुखविंदर भी उत्साह से भर गए और उन्होंने उन्हें मंच पर बुला लिया। बच्चों का साथ मिला तो सुखविंदर भी बच्चे बन गए और उनके साथ जमकर थिरके। 'हुड़-हुड़ दबंग-दबंग' सुनाया तो बच्चे का नृत्य का सिलसिला और तेज हो गया।
क्षमा मांगकर गाया बीड़ी जलइले
सुखविंदर ने बीड़ी जलइले गीत लोगों से इजाजत लेकर गाया। उन्होंने कहा कि यह एक आध्यात्मिक मंच है लेकिन उन्हें लगता है कि दर्शकों का उत्साह देखते हुए इस गीत को गाना ही चाहिए।
सुरक्षा कारणों से लोगों के बीच नहीं जा सके
सुखविंदर ने गीतों की प्रस्तुति के दौरान कई बार लोगों के बीच जाने की कोशिश की लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक दिया। इस बात को लेकर मलाल को उन्होंने मंच से जाहिर भी किया। कहा कि लोगों के लिए गा रहा हूं तो उनके बीच जाने की इच्छा हो ही जाती है।
महापुरुषों की मूर्तियों से प्रभावित हुए
मंच से सुखविंदर ने गोरखपुर के चौक-चौराहों पर लगी महापुरुषों की मूर्तियों की चर्चा की। उन्होंने बताया कि ऐसा बहुत ही कम जगहों पर देखने को मिला है कि हर चौराहे पर किसी न किसी महापुरुष की मूर्ति हो। इससे पता चलता है कि यह शहर महापुरुषों का सम्मान करना जानता है। ऐसा तो दिल्ली में भी नहीं है।