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Railway News: पूर्वोत्तर रेलवे के ई काफी टेबल बुक में समाहित होगा 150 सालों का इतिहास

पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन इसके लिए पहली बार ई काफी टेबल बुक तैयार करा रहा है। पहला संस्करण ई-बुक के रूप में होगा। जरूरत पड़ने पर इसे प्रकाशित भी कराया जाएगा। 15 अध्याय और 150 पेज वाला काफी टेबल बुक रेलवे के सभी डिजिटल प्लेटफार्मों पर उपलब्ध होगा।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 10:28 AM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 10:28 AM (IST)
Railway News: पूर्वोत्तर रेलवे के ई काफी टेबल बुक में समाहित होगा 150 सालों का इतिहास
पूर्वोत्तर रेलवे पहली बार ई काफी टेबल बुक तैयार करा रहा है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन। पूर्वोत्तर रेलवे का समग्र इतिहास और इसकी विकास गाथा अब एक ही किताब में समाहित होगी। पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन इसके लिए पहली बार ई काफी टेबल बुक तैयार करा रहा है। पहला संस्करण ई-बुक के रूप में होगा। जरूरत पड़ने पर इसे प्रकाशित भी कराया जाएगा। 15 अध्याय और 150 पेज वाला काफी टेबल बुक रेलवे के सभी डिजिटल प्लेटफार्मों पर उपलब्ध होगा।

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ऐसी होगी काफी टेबल बुक

काफी टेबल बुक को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया जाएगा। जिसमें सिर्फ रेलवे के उत्तरोत्तर विकास की ही बात नहीं होगी, बल्कि पूर्वोत्तर रेलवे के क्षेत्र में पड़ने वाली माटी, संस्कृति और परंपराओं की खुशबू भी होगी। रेल लाइनों, स्टेशनों और ट्रेनों की प्रगति के अलावा पूर्वोत्तर रेलवे में पड़ने वाले पर्यटन और धार्मिक स्थलों का महत्व भी साझा होगा। जानकारों के अनुसार बुक रेलवे के विकास का इतिहास क्यों और कैसे पर आधारित होगा। जैसे रेलवे की नींव किन परिस्थितियों में पड़ी। अगर रेल लाइन बिछ गई तो उसका विस्तार क्यों और कैसे हुआ। सामान ढोने के लिए बनी रेल धीरे-धीरे कैसे लोगों की जीवनरेखा बन गई। किस तरह लोगों का विरोध झेलते हुए 14 अप्रैल 1952 को तिरहुत रेलवे, असम रेलवे, बांबे बड़ोदरा तथा सेंट्रल इंडिया रेलवे को मिलाकर पूर्वोत्तर रेलवे अस्तित्व में आया। आज रेलवे का पूरा सिस्टम कैसे डिजिटल प्लेटफार्म पर कार्य कर रहा है। ब्राड गेज पर इलेक्ट्रिक ट्रेनें फर्राटा भर रही हैं।

मार्च तक बुक तैयार करने का लक्ष्‍य

फिलहाल, काफी टेबल बुक तैयार करने के लिए रेलवे ने एक टीम तैनात कर दी है। मार्च तक बुक तैयार करने का लक्ष्य निर्धारित है। टीम के सदस्य पूर्वोत्तर रेलवे के वर्ष 1874 से 2024 तक 150 सालों के इतिहास को खंगालने में जुट गए हैं। जो 1 नवंबर 1875 में पड़ी पूर्वोत्तर रेलवे की बुनियाद के एक-एक बिंदुओं का अध्ययन कर रहे हैं। दरअसल, दरभंगा से दलसिंगसराय के बीच लगभग 61 किमी रेल लाइन इसी दिन खुली थी। वर्ष 1874 में भारत पहुंचा लार्ड लारेंस इंजन पहली बार खाद्यान्न लेकर इस रेल लाइन पर दौड़ा था। जो आज भी गोरखपुर के रेल म्यूजियम में धरोहर के रूप में संरक्षित है।

पूर्वोत्तर रेलवे के इतिहास को डिजिटल प्लेटफार्म पर लाने के लिए महाप्रबंधक विनय कुमार त्रिपाठी के दिशा निर्देशों के अनुरूप एक ई काफी टेबल बुक बनाने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। इस डिजिटल बुक में ऐतिहासिक घटनाक्रम, पूर्वोत्तर रेलवे का उदगम, गेज का इतिहास, स्टेशनों का बदलता स्वरूप, पर्यटन स्थलों तथा तीर्थ स्थानों को जोड़ती पूर्वोत्तर रेल एवं अन्य रुचिकर तथ्यों को रखा जाएगा। आने वाली पीढ़ी रेलवे के इतिहास को समझ सके तथा रेलवे सेवित पर्यटन स्थलों को बढ़ावा मिल सके। बुक को तैयार करने का यही मुख्य उद्देश्य है। - पंकज कुमार सिंह, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, पूर्वोत्तर रेलवे- गोरखपुर


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