अवेद्यनाथ की इच्छा से बनी गोरखबावनी व गोरखबानी की धुन Gorakhpur News
राकेश श्रीवास्तव बताते हैं कि बावनी और बानी पर कई बार धुन बनाई पर वह योगी को पसंद नहीं आई। अंत में तय हुआ कि उनके सामने ही धुन बनेगी।
गोरखपुर, जेएनएन। गोरखनाथ मंदिर की सुबह गोरखबावनी और शाम गोरखबानी से होती है। दोनों की रचना का इतिहास तो गुरु गोरक्षनाथ से जुड़ा है लेकिन इसकी गूंज 11 बरस पहले शुरू हुई। उन्हें लयबद्ध कराकर जन-जन तक पहुंचाने का श्रेय महंत अवेद्यनाथ को जाता है।
योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में तैयार हुआ संगीतमय ऑडियो व वीडियो
महंत अवेद्यनाथ की इच्छा थी कि गोरखबावनी और गोरखबानी के लोकमंगलकारी शब्द लोगों तक पहुंचें। दोनों को संगीतमय लयबद्ध कराने की इच्छा जब उन्होंने शिष्य योगी आदित्यनाथ से साझा की तो वह उसे पूरा करने में जुट गए। गोरखबावनी सरल लेकिन गोरखबानी की भाषा क्लिष्ट है, ऐसे में उसे लयबद्ध करना चुनौती थी। इस कार्य को पूरा करने की जिम्मेदारी योगी ने लोकगायक राकेश श्रीवास्तव को सौंपी। राकेश के एक महीने के प्रयास के बाद वर्ष 2009 में बावनी व बानी के ऑडियो-वीडियो तैयार हो गए। योगी आदित्यनाथ ने गोरखबावनी का समय भोर में पांच बजे और गोरखबानी का समय शाम चार बजे तय किया। तबसे आज तक गुरु गोरक्षनाथ की बावनी और बानी हर दिन सुबह व शाम मंदिर परिसर में गूंजती है।
योगी ने फाइनल की धुन
राकेश श्रीवास्तव बताते हैं कि बावनी और बानी पर कई बार धुन बनाई पर वह योगी को पसंद नहीं आई। अंत में तय हुआ कि उनके सामने ही धुन बनेगी। तय समय पर वह योगी के कक्ष में पहुंचे और एक नई धुन सुनाई, जो उन्हें पसंद आ गई। उसके बाद कन्हैया श्रीवास्तव के संगीत संयोजन में आधे-आधे घंटे में गोरखबावनी और गोरखबानी को संगीतबद्ध करने का कार्य पूर्ण किया।
बावनी में हैं बावन पद, बानी के 20 पदों का हुआ इस्तेमाल
गोरखबावनी और गोरखबानी गुरु गोरक्षनाथ की लोकमंगलकारी काव्य अभिव्यक्ति है जिसे हिंदी के मशहूर लेखक डॉ. पितांबर दत्त बटवाल ने संकलित किया हैं। बावनी में 52 और बानी में 275 पद हैैं। बानी के चयनित 20 पदों को ही लयबद्ध किया गया है।