यहां पर है गोरख तलैया और कबीर धूनी
गोरखपुर और संतकबीर नगर जिले की सीमा पर स्थित कसरवल गांव में गोरखनाथ का तलैया और कबीर की धूनी है। इसका भी आध्यात्मिक आधार है। मान्यता है कि सूखा पड़ जाने के बाद गुरु गोरखनाथ ने अपने तपोबल से तलैाय का निर्माण कर दिया और कबीर दास ने धूनी रमाकर पानी की बारिश कर दी। सूखे से क्षेत्र के लोगों को निजात मिल गई। उपेक्षित पड़े दोनो स्थानों को सरकार विकसित करने जा रही है।
गोरखपुर : गोरख तलैया और कबीर धूनी का समृद्ध आध्यात्मिक इतिहास है। यह गोरखपुर और संतकबीर नगर जिले की सीमा पर स्थित कसरवल गांव में है। मान्यता है कि स्थानीय लोगों का जल संकट दूर करने के लिए गुरु गोरक्षनाथ ने अपने आध्यात्मिक शक्ति से तलैया बना दिया था तो संत कबीर ने धूनी रमाकर वर्षा कराई थी। कबीर धूनी के के पुजारी राम शरण दास ने बताया कि 600 साल पहले इस क्षेत्र में सूखा पड़ा था। लंबे समय तक बारिश न होने पर स्थानीय लोगों ने भंडारे का आयोजन कराया। भंडारे में गुरु गोरक्षनाथ और कबीरदास के अलावा संत रविदास समेत बहुत से संत आए। लोगों का कहना है कि इसमें गुरु नानक ने भी हिस्सा लिया था लेकिन नानक और कबीर का काल मेल न खाने से इस बात को लोगों का उत्साह ही कहा जा सकता है। पुजारी ने बताया कि भंडारे के बाद गुरु गोरक्ष नाथ ने अपने पैर से जमीन को दबाकर पानी निकाल दिया। बाद में यह स्थल गोरख तलैया के रूप में मशहूर हो गया। इसी क्रम में कबीर ने धूनी से वर्षा कराकर सूखे से निजात दिलाई और वह स्थल कबीर धूनी हो गया। 1938 में कबीर धूनी को मंदिर का रूप दे दिया गया। इसमें आज भी खड़ाऊं और त्रिशूल रखा है। मान्यता है कि त्रिशूल गुरु गोरक्ष नाथ तो खड़ाऊं संत कबीर का प्रतीक है। यहां आज भी हर सप्ताह भंडारे का आयोजन होता है।
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पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा गोरख तलैया और कबीर धूनी
गोरखपुर : बौद्ध सर्किट के हृदय स्थल में मौजूद गोरखपुर में पर्यटकों का ठहराव बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोई कोर-कोसर छोड़ने को तैयार नहीं हैं। महत्वाकांक्षी वाटर स्पोर्ट्स कांप्लेक्स, चिड़ियाघर समेत पर्यटन से जुड़ी तमाम परियोजनाओं का शिलान्यास वह कर चुके हैं और अब उन्होंने गोरखपुर और संतकबीर नगर की सीमा पर मौजूद कसरवल के गोरख तलैया और कबीर धूनी को पर्यटन स्थल के रूप से विकसित करने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप पर्यटन निदेशालय के निर्देश पर क्षेत्रीय पर्यटन विभाग इन दोनों स्थलों को सजाने-संवारने की तैयारी में जुट गया है।
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साढ़े चार करोड़ का आएगा खर्च
आध्यात्मिक मान्यता वाले दोनों स्थलों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए पर्यटन विभाग की टीम ने मौका मुआयना कर लिया है। अब इसके लिए डीपीआर तैयार कराया जा रहा है। पर्यटन विभाग के मुताबिक दोनों स्थलों के समेकित विकास में करीब साढ़े चार करोड़ का खर्च आएगा। स्थलों को विकसित करने के क्रम में वहां टूरिस्ट सेल्टर, पाथ-वे, शौचालय, पेयजल पोस्ट, प्रकाश आदि का इंतजाम किया जाएगा, जिससे आस्था के साथ वहां पहुंचने वाले लोगों को कोई दिक्कत न हो। विलुप्त हो चुके गोरख तलैया को एक बार फिर विकसित किया जाएगा और उसे सरोवर का रूप दिया जाएगा। सरोवर को विस्तार देने के लिए पर्यटन विभाग कास्तकारों से आस्था के नाम पर भूमि उपलब्ध कराने की अपील भी करेगा। फिलहाल गोरख तलैया हाई-वे निर्माण के दौरान विलुप्त हो चुका है। ऐसे में उसे फिर से स्वरूप देना पर्यटन विभाग के लिए चुनौती होगी।
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क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी रवींद्र कुमार मिश्रा का कहना है कि नाथ पंथ को लेकर गोरखपुर की ख्याति विश्व स्तर पर है। यहां कई स्थल हैं, जहां के लोगों को गुरु गोरक्ष की महिमा देखने को मिली थी। कसरवल स्थित गोरख तलैया और कबीर धूनी भी उनसे से एक है। शासन ने इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है। डीपीआर तैयार कराया जा रहा है। योजना के स्वीकृत होने के बाद धन उपलब्ध होते ही स्थल विकसित करने की प्रक्रिया शुरू करा दी जाएगी।