मानव सेवा की मिसाल बने गोपाल सिंह, गरीबों की सेवा का है जुनून
1988 में उन्हें स्वास्थ्य विभाग में नेत्र सहायक के पद पर कानपुर में तैनाती मिल गई। उन्होंने नौकरी में आने के बाद भी गरीबों की सेवा के संकल्प को नहीं छोड़ा। जहां भी रहे गरीबों के आखों का निश्शुल्क जांच व अपने पास से दवा उपलब्ध कराते रहे हैं।
गोरखपुर, सौरभ कुमार मिश्र। समाज में ऐसे भी लोग हैं, जो सिर्फ नौकरी नहीं करते, बल्कि नौकरी को गरीबों की सेवा का माध्यम बना लेते हैं। देवरिया में स्वास्थ्य विभाग में नेत्र परीक्षण अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त गोपाल सिंह नाम का किरदार भी उनमें से एक है। गोपाल देवरिया जिला अस्पताल में बतौर नेत्र परीक्षण अधिकारी तैनात थे। दो वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त हुए और उसके बाद निश्शुल्क जिला अस्पताल में अपनी सेवा दे रहे हैं। वह अपने इस नेक कार्य से लोगों के बीच नजीर पेश कर रहे हैं।
1988 से गरीबों की कर रहे मदद
युवावस्था से ही गाेपाल के मन में गरीबों के प्रति मन में सेवा का भाव रहा। वह अपने पैतृक गांव मोहम्मदा थाना हाटा, जिला कुशीनगर में सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते और गरीबों की सहायता करते। 1988 में उन्हें स्वास्थ्य विभाग में नेत्र सहायक के पद पर कानपुर में तैनाती मिल गई। उन्होंने नौकरी में आने के बाद भी गरीबों की सेवा के संकल्प को नहीं छोड़ा। जहां भी रहे गरीबों के आखों का निश्शुल्क जांच, अपने पास से दवा व आपरेशन के बाद लगाया जाने वाला काला चश्मा, पावर चश्मा आदि उपलब्ध कराते रहे हैं।
कई बार बेहतर कार्य के लिए हो चुके हैं सम्मानित
वह 20 जनवरी 2020 को जिला चिकित्सालय से नेत्र परीक्षण अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए। उन्हें सामाजिक व बेहतर कार्य के लिए वर्ष 2017-18 में डीएम सुजीत कुमार, वर्ष 2019 में डीएम अमित किशोर के अलावा इंडियन रेड क्रास सोसाइटी समेत अन्य संगठन कई बार सम्मानित कर चुके हैं। सेवानिवृत्त होने के बाद गोपाल ने तत्कालीन डीएम अमित किशोर से निश्शुल्क मरीजों के बीच सेवा देने की मांग की और प्रार्थना पत्र दिया। डीएम ने मानदेय पर कार्य करने को कहा तो गोपाल ने मना कर दिया। कहा मैं अब गरीबों के बीच निश्शुल्क कार्य करना चाहता हूं। डीएम व विभागीय अधिकारी के आदेश पर वह दो वर्ष ने लगातार कार्य कर रहे हैं।
सिर्फ दो बेटियां, दोनों दामाद जज
गोपाल सिंह की सिर्फ दो बेटियां हैं। डा.नम्रता सिंह व श्वेता सिंह हैं। दोनों की शादी हो गई है। दोनों दामाद जज हैं। पत्नी बीना सिंह के साथ वह शहर के रामचन्द्र शुक्ल कालोनी में रहते हैं। कहते हैं कि गरीबों की सेवा से बड़ा दूसरा कोई धर्म नहीं है। जो जहां है, वहीं से गरीबों की मदद कर सकता है। उसके लिए किसी प्लेटफार्म की आवश्यकता नहीं है।