गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन की हड़ताल जारी, खड़े रहे ट्रक
आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस नई दिल्ली के आह्वान पर गोरखपुर ट्रक आपरेटरों की हडताल जारी रही
गोरखपुर: आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस नई दिल्ली के आह्वान पर गोरखपुर ट्रक आपरेटर्स और गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन की हड़ताल जारी रही। दोनों संगठनों ने माल लदान और ढुलाई का कार्य पूरी तरह से बंद रखा। साथ ही तेनुआ टोल प्लाजा और अन्य स्थलों पर ट्रकों के संचलन को रुकवाया। चालकों को हड़ताल की जानकारी दी। ट्रकों के न चलने से बाजार का कारोबार प्रभावित हुआ। अगर आगे भी हड़ताल जारी रही तो परेशानी बढ़ सकती है।
हड़ताल को लेकर गोरखपुर ट्रक आपरेटर्स एसोसिएशन और गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने जिला प्रशासन के अधिकारियों से मुलाकात कर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा। इसमें संगठनों ने कहा है कि सड़क परिवहन देश के आम आदमी से सीधे जुड़ा है। लगभग 20 करोड़ लोग परोक्ष य अपरोक्ष रूप से सड़क परिवहन क्षेत्र से जुड़े हैं। बहुत से मुद्दे ऐसे हैं जिनका प्रतिकूल असर परिवहन व्यवसाय पर पड़ रहा है, लेकिन वे सरकार के पास लंबित हैं। संगठनों ने सरकार से लंबित मांगों के निस्तारण की गुहार लगाई है।
ट्रक आपरेटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एसपी पांडेय और गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष आरके तिवारी के अनुसार गोरखपुर के ट्रांसपोर्टरों ने अपना कार्य पूरी तरह से ठप रखा। परिवहन से जुड़े एक भी कार्य नहीं हुए। गोरखपुर जनपद में लगभग 150 ट्रांसपोर्ट और करीब 3000 छोटे-बड़े वाहनों से कोई कार्य नहीं हुआ। इसके चलते माल का लदान और ढुलाई नहीं हुई। इस कार्य में लगे लोगों की रोजीरोटी भी प्रभावित हुई। यदि सरकार ने उनकी मांगों पर विचार नहीं किया तो हम सब्जी, दूध, ब्रेड और पेट्रोलियम पदार्थ वाली गाड़ियों को भी हड़ताल में शामिल कर लेंगे। दो दिन के हड़ताल में परिवहन व्यापारियों के करोड़ों का व्यवसाय प्रभावित हुआ है।
प्रतिनिधिमंडल में मोनू सिंह, मनीष सिंह, दीपक कुमार सिन्हा, धर्मेद्र कुमार सिंह, अब्दुल रशीद, अशोक कपूर, संजीव सिंह, अखिलेश यादव, बबलू यादव, शत्रुघ्न यादव, आरके मिश्र आदि संगठन के पदाधिकारी मौजूद थे।
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प्रमुख चार मांगे
- डीजल की कीमतों में राष्ट्रीय स्तर पर कमी कर सामान्य मूल्य निर्धारण और त्रयमासिक संशोधन किया जाए।
- भारत में टोलमुक्त वैरियर स्थापित हो।
- तृतीय पक्ष बीमा प्रीमियम निर्धारण के पारदर्शिता पर जीएसटी की छूट और कंप्रहेंसिव पालिसी के माध्यम से एजेंटों को किए जा रहे भुगतान को समाप्त किया जाए।
- ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पर टीडीएस खत्म किया जाए। आयकर अधिकारी की धारा 44 में अनुमानित में कमी और उसका तर्कसंगत और ई वे बिल से जुड़ी व्यवहारिक समाधान किया जाए।