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इनके लिए लाकडाउन साबित हुआ गोल्डन टाइम, उंगलियों के जादूगरों को न्यौता दे रहे बड़े शहर

गोरखपुर शहर के कुछ युवा अपनी तुलिका और रंगों के संयोजन से देवी-देवताओं नदी झरने हो या पहाड़ जंगल आदि के प्राकृतिक दृश्यों को दीवारों कैनवास पर बखूबी उकेर रहे हैं। उनके बनाए चित्र लोगों को आकर्षित कर रहे हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 11:52 AM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 09:00 PM (IST)
इनके लिए लाकडाउन साबित हुआ गोल्डन टाइम, उंगलियों के जादूगरों को न्यौता दे रहे बड़े शहर
लॉकडाउन को अवसर में बदलने वाली प्राची गुप्ता। - जागरण

गोरखपुर, काशिफ अली। कला अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। इसके जरिए अपनी बात किसी तक सहज व आसान तरीके से पहुंचाई जा सकती है। शहर के कुछ युवा अपनी तुलिका और रंगों के संयोजन से देवी-देवताओं, नदी, झरने हो या पहाड़, जंगल आदि के प्राकृतिक दृश्यों को दीवारों, कैनवास पर बखूबी उकेर रहे हैं। उनके बनाए चित्र न सिर्फ लेागों को आकर्षित कर रहे हैं, बल्कि यह उनके लिए रोजगार का एक जरिया भी बन चुका है।

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लोगों को खूब पसंद आ रही युवाओं की बनाई पेंटिंग

गोरखपुर शहर के 14 युवाओं की बनाई पेटिंग लोगों को खूब पसंद आ रही है। अक्सर इन कलाकृतियों को देखकर हर किसी का चेहरा खिल जाता है। लोग चकित होकर इन्हेंं करीब से निहारते हैं और कलाकारों को उनकी हुनरमंदी की दाद देते हैं। बाजार को ध्यान में रखकर युवा वेबसाइट से जुड़कर मार्डन आर्ट, पाप आर्ट एवं एबस्ट्रैक आर्ट पर आधारित पेटिंग को कोलकाता, बैंगलुरु, इंदौर, लखनऊ, दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में आनलाइन बेच रहे हैं। लाकडाउन में जहां सबकुछ बंद था तब भी उन्होंने आर्डर मिल रहे थे। अब लोग लोग ड्राइंगरूम, लीविंग रूप के अलावा होटल, रेस्टोरेंट और दुकानों पर लगाने के लिए पेटिंग बनवा रहे हैं।

शहर के कई नामी रेस्टोरेंटों व और होटलों के दीवारों पर इन युवाओं द्वारा बनाई गई कलाकृति नजर आती है। महज दस माह में 5.5 लाख रुपये का कारोबार हो चुका है और लगातार आर्डर मिल रहे हैं। कइयों ने खुद से प्रयास कर पेंटिंग बनाना सीखा तो कुछ ने गोरखपुर विश्वविद्यालय के फाइन आर्ट से स्नातक किया है। अपनी वेबसाइट के जरिए लोगों तक पेंटिंग पहुंचाने वाले सिद्धार्थ त्रिपाठी ने बताया कि कैनवास पेंटिंग, आयल कलर पेंटिंग घर, आफिस, रेस्टोरेंट, होटल में लगाया जा रहा। कुछ लोगों ने दीवार पर भी शानदार कलाकृतियां बनवाई है।

लोकेशन के हिसाब से चुनते हैं थीम

ज्यादातर पेंटिंग का सब्जेक्ट घर, आफिस या होटल के इंटीरियर के थीम के अनुसार ही चुना जाता है।

कई बार ट्रेंड के मुताबिक भी सब्जेक्ट चुना जाता है। जैसे बुद्धा या फ्लोरल सब्जेक्ट।

पेंटिंग बनाने में कितना आता है खर्च

सबसे सस्ती पेंटिंग बनाने में तकरीबन आठ सौ रुपये का खर्च आता है। जैसे-जैसे साइज बढ़ेगा खर्च भी बढ़ता जाता है। एक हजार से लेकर पांच हजार रुपये तक की पेंटिंग बेची जा रही है। पेंटिंग में आम तौर पर कैनवास हार्डबोर्ड, पेपर, आर्ट कलर व फ्रेम का प्रयोग होता है शहर में आसानी से उपलब्ध हो जाता है।

फाइन आर्ट से परास्नातक किया है और अभी नेट परीक्षा की तैयारी कर रही हूं। अपनी बनाई हुई कलाकृतियां पेंटेकल (वेबसाइट) के माध्यम से लोगों तक पहुंचाती हूं। इससे पढ़ाई के साथ-साथ नियमित आय भी हो रही है। - तुबा इकबाल।

वेबसाइट की मदद से अपने कला को देश के विभिन्न शहरों में रहने वाले कला प्रेमियों तक पहुंचाने में काफी मदद मिली है। साथ ही मुझे अपने हुनर का वाजिब दाम भी मिल रहा है। - जयंत सिंह।

सोचा नहीं था कि मेरी पेंटिंग दिल्ली और मुंबई में रहने वाले लोग अपने ड्राइंगरूम में लगाएंगे। आनलाइन होने से पेंटिंग सीधे कला प्रेमियों तक पहुंचता है। मेरे लिए यह एक अतिरिक्त आय का जरिया भी है। - सौरभ श्रीवास्तव

पेंटेकल हम जैसे कलाकारों के लिए एक अच्‍छा मंच है। इसके माध्यम से अपनी कलाकृतियों को वाजिब दाम पर बेचने का मौका मिला। साथ ही बेहतर पेंटिंग बनाने की सीख भी मिली। - प्राची गुप्ता


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