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जापान, सिंगापुर व थाईलैंड से गोरखपुर आता है तस्करी का सोना Gorakhpur News

जापान सिंगापुर और थाईलैंड के साथ ही कई अन्य देशों से तस्करी कर लाए जाने वाले सोने की शुद्धता सौ प्रतिशत होती है। इसी वजह से बाजार में विदेशी सोने की मांग अधिक है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Mon, 09 Mar 2020 02:00 PM (IST)Updated: Mon, 09 Mar 2020 03:58 PM (IST)
जापान, सिंगापुर व थाईलैंड से गोरखपुर आता है तस्करी का सोना Gorakhpur News
जापान, सिंगापुर व थाईलैंड से गोरखपुर आता है तस्करी का सोना Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। सर्राफा कारोबार में विदेश से तस्करी कर लाए गए सोने की हिस्सेदारी हैरत में डालने वाली है। बताते हैं कि कारोबार का आधे से अधिक हिस्सा तस्करी के सोने से ही चल रहा है। कम कीमत और शुद्धता की वजह से जापान, सिंगापुर और थाईलैंड से तस्करी कर लाया गया सोना यहां के कारोबारियों को अधिक भा रहा है। नेपाल के रास्ते विदेशी सोने की खेप गोरखपुर लाई जाती है। बाद में यहां से देश के दूसरे हिस्सों में भेजा जाता है।

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सौ प्रतिशत शुद्धता की वजह से विदेशी सोने की है मांग

जापान, सिंगापुर और थाईलैंड के साथ ही कई अन्य देशों से तस्करी कर लाए जाने वाले सोने की शुद्धता सौ प्रतिशत होती है। जिस देश का सोना होता है, सौ प्रतिशत शुद्ध होने की उस पर उस देश की मुहर लगी होती है। कसौटी पर भी विदेशी सोना खरा उतरता है। इसी वजह से बाजार में विदेशी सोने की मांग अधिक है।

कम कीमत में होती है मोटी कमाई

दूसरे देशों की तुलना में भारतीय बाजार में सोने की कीमत काफी अधिक है। भारतीय बाजार में उपलब्ध अधिकतर सोने की शुद्धता की भी गारंटी नहीं होती। यहां की तुलना में कम कीमत में खरीदे गए विदेशी सोने के धंधे में कारोबारियों को मोटा मुनाफा होता है। वैध तरीके से विदेशी सोना मंगाने पर उसकी कीमत भारतीय सोने से अधिक हो जाती है। इसीलिए सोने की तस्करी का धंधा खूब फलफूल रहा है।

तस्करी में महिलाओं का करते हैं इस्तेमाल

सोने की खेप लाने के लिए तस्करी के रैकेट से जुड़े लोग अक्सर महिलाओं का इस्तेमाल करते हैं। दिखावे के लिए तो ये महिलाएं परिवार के साथ नेपाल घूमने जाती हैं, लेकिन उनका मुख्य उद्देश्य दो से तीन दिन वहां रुकने के बाद सोने की खेप लेकर भारत आना होता है। उनके नेपाल आने-जाने से लेकर वहां ठहरने तथा घूमने-फिरने का खर्च तस्कर ही उठाते हैं। सोने की खेप भारत लाने के बाद उन्हें पहले से तय रकम का भुगतान किया जाता है।

जिम्मेदार भी हैं तस्करों के मददगार

सोने की तस्करी करने वालों ने सीमाई इलाके में अपना काफी मजबूत नेटवर्क खड़ा कर रखा है। बताते हैं कि इस नेटवर्क में तस्करी रोकने के लिए जिम्मेदार महकमे से जुड़े लोग भी शामिल हैं। उनकी मदद से तस्कर सोने की खेप लेकर आसानी से नेपाल से सीमा पार कर भारत में आ जाते हैं। इसके लिए दोनों देशों में आने-जाने के लिए अधिकृत रास्तों के साथ ही तस्कर पगडंडी रास्तों का भी इस्तेमाल करते हैं।

कई सफेदपोश कारोबारियों के तस्करों से जुड़े हैं तार

गोरखपुर के कई सफेदपोश कारोबारियों के तार सोने की तस्करी करने वालों से जुड़े हैं। उन दुकानदारों ने दिखावे के लिए तो दुकान खोल रखी है, लेकिन उनका असली कारोबार तस्करी का सोना खरीदना और उसे दूसरे शहरों के कारोबारियों को पहुंचाना ही है। बाराबंकी में पकड़ा गया तस्करी का सोना गोरखपुर से कानपुर के एक सर्राफा कारोबारी को भेजा गया था, लेकिन रास्ते में ही डीआरआइ लखनऊ की टीम ने खेप पकड़ ली।

बिस्किट की शक्ल में लाया जाता है तस्करी का सोना

तस्करी कर लाया जाने वाला सोना सौ ग्राम, दो सौ ग्राम, पांच सौ ग्राम और साढ़े सात सौ ग्राम का आता है। विभिन्न देशों से इसे बिस्किट की शक्ल में ढाल कर नेपाल भेजा जाता है। बाद में नेपाल से इसे गोरखपुर लाया जाता है। 


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