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प्रेम के भूखे होते हैं भगवान

सेमरा बनकसिया स्थित माता कामेश्वरी देवी मंदिर पर चल रहे संगीतमयी श्रीराम कथा के आठवें दिन कथा व्यास पंडित बृजेश जी महराज ने कहा कि भगवान जप पूजाधन धान्य के नहीं बल्कि प्रेम के भूखे होते हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 07 Apr 2021 11:00 PM (IST)Updated: Wed, 07 Apr 2021 11:00 PM (IST)
प्रेम के भूखे होते हैं भगवान
प्रेम के भूखे होते हैं भगवान

सिद्धार्थनगर : सेमरा बनकसिया स्थित माता कामेश्वरी देवी मंदिर पर चल रहे संगीतमयी श्रीराम कथा के आठवें दिन कथा व्यास पंडित बृजेश जी महराज ने कहा कि भगवान जप, पूजा,धन धान्य के नहीं, बल्कि प्रेम के भूखे होते हैं।

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कहा कि भगवान श्री राम वनगमन के समय चाहते तो चौदह वर्ष तक किसी राजा के राज में रह कर अपना समय व्यतीत कर सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। केवट का प्रेम को देखकर उसके वशीभूत हो गए, गले लगाया और एक मित्र की भांति सम्मान दिया। इतना ही नहीं शबरी भीलनी के प्रेम के वश में हो कर जूठे बेर खा कर सिद्ध कर दिया कि प्रेम से बढ़कर कुछ नहीं। सुग्रीव के प्रेम को देख बालि जैसे बलशाली का साथ नहीं किया। इन सब से यही सिद्ध होता है कि भगवान केवल प्रेम से वशीभूत होते हैं। कार्यक्रम का शुभारंभ संजय मिश्रा तथा देवी पाटन मंदिर के पुजारी बुद्धीश मणि त्रिपाठी ने दीप प्रज्वलित कर किया। डा. अवनीश वर्मा, सच्चिदानन्द मिश्रा, अशोक पांडेय, राम कृपाल वर्मा, दयानंद पाण्डेय, शुभम पाण्डेय, केशरी नंदन शुक्ला, गज्जू यादव, लव तिवारी, शंकर विश्वकर्मा, मुकेश सिंह, वीरेन्द्र पाण्डेय, दयाराम, मुकेश गौतम, विपिन शुक्ला आदि मौजूद रहे। प्रभु स्मरण से होता है जीवन सार्थक

सिद्धार्थनगर : नव सृजित नपं भारत भारी के चौराहे पर चल रहे श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञानयज्ञ के पांचवें दिन अयोध्या धाम से आए कथावाचक पंडित राम बहाल शास्त्री ने श्रद्धालुओं को रसपान कराते हुए कहा कि अंत काल में जीव जिस का स्मरण करता है, मरणोपरांत पुन: दूसरे जन्म में उसे वही शरीर प्राप्त होता है।

प्रवचन में अवध धाम वासी कथावाचक ने कहा पंचम स्कंद में जड़ भरत के कथानक को सुनाते हुए बताया जड़ भरत एक तपस्वी थे। पूरा जीवन उन्होंने तपस्या में व्यतीत किया। अंत समय में एक हिरन के बच्चे में मन लग गया। परिणाम हुआ कि हिरन के बच्चे का स्मरण करने से वे अगले जन्म में हिरन का शरीर प्राप्त किए। मानव जीवन का एक ही लक्ष्य है। सतभगवान के नाम का स्मरण करना। अंगुलीमाल जैसा पापी जिसने पूरे जीवन पाप ही किया। लेकिन अंत समय में अपने बेटे नारायण को पुकारने से उसे सद्गति की प्राप्ति हो गई। अत: मानव को ऐन केन प्रकारेण भगवान के नाम का स्मरण करत रहना चाहिए। राधेश्याम अग्रहरि, खजांची , राज कुमार अग्रहरि, दिलीप पाठक, धनंजय चौरसिया, राम सागर, पिटू अग्रहरि , रानी, पुष्पा, भगवान प्रसाद अग्रहरि आदि रहे।


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