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कम लागत में अधिक मुनाफा, बकरी फार्म बना नजीर Gorakhpur News

कुशीनगर जिले में तीन वर्ष पूर्व कृषि विज्ञान केंद्र सरगटिया करनपट्टी में स्थापित बकरी फार्म कम लागत में अधिक आय प्राप्त करने का उदाहरण पेश कर रहा है। वर्ष 2018 में नौ बकरियों से शुरू किए गए फार्म में इस समय बकरियों की संख्या 36 हो गई है।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Mon, 12 Apr 2021 04:10 PM (IST)Updated: Mon, 12 Apr 2021 04:10 PM (IST)
कम लागत में अधिक मुनाफा, बकरी फार्म बना नजीर  Gorakhpur News
सरगटिया स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के बागीचे में घास चरतीं बकरियां। जागरण

अनिल कुमार पाठक, गोरखपुर : कुशीनगर जिले में तीन वर्ष पूर्व कृषि विज्ञान केंद्र सरगटिया करनपट्टी में स्थापित बकरी फार्म कम लागत में अधिक आय प्राप्त करने का उदाहरण पेश कर रहा है। वर्ष 2018 में नौ बकरियों से शुरू किए गए फार्म में इस समय बकरियों की संख्या 36 हो गई है।

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एक क्विंटल बिक गए, तैयार हैं 240 किलोग्राम बकरे

पिछले साल एक क्विंटल वजन के बकरों की बिक्री की गई थी। मौजूदा समय में 2.40 क्विंटल वजन के बकरे बिक्री के लिए तैयार हैं। चारे के लिए यहां प्राकृतिक संसाधन पर्याप्त हैं। एक बकरी के लिए 15 वर्ग फीट जगह की जरूरत होती है। इस तरह 10 बकरियों के लिए 150 वर्ग फीट का कमरा होना चाहिए। कमरे की उपरी दीवार पर लोहे के तार या जाली लगी होनी चाहिए। इससे गर्मी के मौसम में हवा का आवागमन बना रहेगा।

जाड़े के मौसम में खुले जगहों को जूट के बोरे से बचाते हैं

जाड़े के मौसम में खुले जगहों को जूट के बोरे या टाटपट्टी से बंद कर देते हैं। इससे बकरियों को ठंड से राहत मिलती है।

बेकार पड़ी भूमि पर उगी घास और बरसीम इस्‍तेमाल होती है चारे के रूप में

विज्ञान केंद्र प्रभारी डा. अशोक राय ने कहा कि परिसर में आम और लीची के बगीचे में बेकार पड़ी भूमि पर उगाई गई बरसीम और घास बकरियों के लिए चारे के रूप में इस्तेमाल की जाती हैं। इसके अलावा बाजार से खरीदी गई कोई सामग्री नहीं दी जाती है। बकरियों की देखभाल, कमरे से बाहर निकालने व सफाई के लिए एक व्यक्ति को रखा गया है।

बीमारियों से बचाव के लिए समय-समय पर लगाए जाते हैं टीके

फार्म इंचार्ज डा. योगेश कुमार यादव ने कहा कि बकरियों को बीमारियों से बचाव के लिए समय-समय पर टीके लगवाएं जाते हैं। निमोनिया, अफारा, कैल्शियम की कमी से रिकेट्स जैसी बीमारी से बचाव के लिए वर्ष में एक से दो बार पीपीआर का टीका लगवाया जाता है। पेट में कीड़े या परजीवी नाशक आइवर मैक्ट्रिन का इंजेक्शन उचित मात्रा में लगवाया जाता है।


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