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ग्लैंड टीबी के मरीज बार-बार हो रहे परेशान, जानिए पूरा कारण

ग्लैंड (गिल्टी) टीबी के मरीज बार-बार इस बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं। ठीक होने के छह माह बाद उन्हें दोबारा टीबी हो रही है। ऐसा केवल गिल्टी टीबी के मरीजों के साथ हो रहा है। जबकि पहले ऐसा नहीं होता था।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Tue, 28 Sep 2021 08:10 PM (IST)Updated: Tue, 28 Sep 2021 08:10 PM (IST)
ग्लैंड टीबी के मरीज बार-बार हो रहे परेशान, जानिए पूरा कारण
ग्लैंड टीबी के मरीज गले व पैर में टीबी से हो रहे परेशान। प्रतीकात्मक तस्वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता : सरकार 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य लेकर चल रही है। ऐसे में टीबी बैक्टीरिया के बदलते व्यवहार ने मुश्किलें खड़ी कर दी है। ग्लैंड (गिल्टी) टीबी के मरीज बार-बार इस बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं। ठीक होने के छह माह बाद उन्हें दोबारा टीबी हो रही है। ऐसा केवल गिल्टी टीबी के मरीजों के साथ हो रहा है। जबकि पहले ऐसा नहीं होता था।

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10 फीसद मरीजों में दोबारा लौट रही ये बीमारी

बीआरडी मेडिकल कालेज के टीबी एवं चेस्ट रोग विभाग के अध्यक्ष डा. अश्विनी मिश्रा का कहना है कि गिल्टी टीबी के 10 फीसद मरीजों में यह बीमारी दोबारा लौट रही है। तीन मरीज तो ऐसे हैं, जिन्हें तीसरी बार यह बीमारी हुई है। हालांकि इलाज से वे ठीक हो रहे हैं। दोबारा टीबी होने पर उनमें रेजिटेंस विकसित नहीं हो रहा है। वे सामान्य दवाओं से ही ठीक हो रहे हैं, लेकिन बार-बार बीमार पड़ रहे हैं।

जिन मरीजों में दोबारा लौटी बीमारी, उनमें से अधिकांश के गले व पैर में टीबी

अभी तो जिन मरीजों में यह बीमारी दोबारा लौटी है, उनमें से अधिकांश को गले व पैर में गिल्टी की टीबी थी। ऐसा टीबी के बैक्टीरिया में अंदरूनी बर्ताव में बदलाव की वजह से हो रहा है। क्या बदलाव हो रहे हैं, यह शोध का विषय है। गिल्टी टीबी के मरीजों को इस समय विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। जब भी लक्षण दिखें, तत्काल डाक्टर से संपर्क करना चाहिए।

लक्षण

गले या पैर में गिल्टी, वजन में कमी, खांसी आना, बुखार, अधिक पसीना आना, सांस फूलना, सीने में दर्द, कमजोरी, थकान, ठंड लगना, खाने में अरुचि आदि गिल्टी टीबी के लक्षण हैं।

यह करें बचाव

पौष्टिक भोजन लें। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं। मास्क लगाएं। लोगों से दूरी बनाकर रहें। ठंडी चीजों से परहेज करें। बेहतर है कि गुनगुना पानी का सेवन करें। इससे इस बीमारी से काफी हद तक बचाव हो सकता है।


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