Geeta Press: रोज निकलता है डेढ़ टन कूड़ा, फर्श पर नहीं दिखती एक भी कतरन
Geeta Press Gorakhpur गीता प्रेस में प्रतिदिन लगभग 15 हजार पुस्तकों की कटाई होती है। इससे प्रतिदिन कूड़ा के रूप में कागज की कतरन निकलता है। इसके निस्तारण लिए बेलिंग मशीन लगाई गई है। जिस कारण कूड़े की एक भी कतरन जमीन पर नहीं गिरती है।
गोरखपुर, गजाधर द्विवेदी। गीताप्रेस पुस्तकों के माध्यम से लोगों को मात्र धर्म, नीति व संस्कारों की शिक्षा ही नहीं देता। उसका स्वयं भी पालन करता है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण है सफाई व्यवस्था। लगभग दो लाख वर्ग फीट में फैले परिसर में लगभग पांच सौ कर्मचारी कार्य करते हैं। 15 हजार पुस्तकों की प्रतिदिन कटाई होती है। बावजूद इसके एक भी कतरन प्रेस परिसर में फर्श पर कहीं दिखती नहीं। यह संभव हो पाया है बेहतर कूड़ा प्रबंधन के चलते।
निस्तारण को लगाई बेलिंग मशीन, बनता है खराब कागजों का बंडल
प्रेस में छपने के बाद प्रतिदिन लगभग 15 हजार पुस्तकों की कटाई होती है। उन्हें तीन तरफ से काटा जाता है। इससे प्रतिदिन लगभग डेढ़ टन कूड़ा (कागज की कतरन) निकलता है। इसके निस्तारण लिए बेलिंग मशीन लगाई गई है। पुस्तकों की जहां कटाई होती है, वहां से सारी कतरन पाइप के जरिये एक गोदाम में गिरती है। इसके अलावा छपाई के दौरान खराब हुए कागज, रील लादने के दौरान ट्रकों पर लगाए गए कागज, दफ्ती, सीटफेड मशीनों से कागज की कटाई के दौरान निकली कतरन को हाथ ले लाकर गोदाम में डाला जाता है। वहां बेलिंग मशीन से उसका बंडल बना दिया जाता है। 120 किलो का एक बंडल तैयार होता है। इसे पुन: कागज कंपनियों को बेच दिया जाता है।
नियमित सफाई से चमकते हैं फर्श
खराब कागजों के निस्तारण के अलावा परिसर की सफाई के लिए कर्मचारी लगाए गए हैं। वे नियमित सफाई करते रहते हैं। उनका ध्यान केवल सफाई पर ही रहता है। जहां कहीं गंदगी नजर आई, प्रबंधन का ध्यान उधर जाए, इसके पहले वह साफ हो जाती है। प्रेस परिसर से लेकर पुस्तकों की दुकान तक में कहीं गंदगी नजर नहीं आती है। दुकान में रखी पुस्तकों की भी प्रतिदिन सफाई होती है। फर्श, खिड़की, शीशे, दरवाजे व काउंटर कहीं पर भी धूल के एक कण भी नजर नहीं आते हैं।
कर्मचारी भी हैं जागरूक
इसके लिए प्रबंधन ही जागरूक नहीं है, कर्मचारी भी इसका ध्यान देते हैं। जहां पांच सौ लोग काम करते हैं, वहां केवल सफाई कर्मियों के भरासे सफाई व स्वच्छता संभव नहीं हो सकती। इसलिए गीताप्रेस ने कर्मचारियों को भी संस्कारवान बनाया है। कोई कर्मचारी गंदगी नहीं फैलाता। दोपहर को भोजन करने के बाद कागज, पालिथिन या जूठन एक एकत्र कर कर्मचारी उसे कूड़ादान में डाल देते हैं।
प्रबंधन की तरफ से केवल परिसर की सफाई व पुस्तकों की कटाई के दौरान निकले कागजों की कतरन का प्रबंधन किया गया है। यदि परिसर में कहीं गंदगी नहीं दिखती है तो इसमें कर्मचारियों का भी बड़ा सहयोग है। कोई कर्मचारी गुटका या तंबाकू खाकर परिसर में प्रवेश नहीं करता है। भोजन करने, हाथ धुलने के स्थान निर्धारित हैं। कूड़ा इधर-उधर नहीं फेंका जाता है। सही जगह पर उसका निस्तारण किया जाता है। सभी के सहयोग से सफाई संभव हो पा रही है। - देवी दयाल अग्रवाल, ट्रस्टी, गीताप्रेस।