एनजीटी के जुर्माने से बचने का उपाय खोजेगा जीडीए
रामगढ़ ताल में बिना शोधन किए गए गंदा पानी गिरने के कारण ट्रिब्युनल की ओर से प्रशासनिक विभागों पर 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था। वेटलैंड के मामले में राहत मिलने के बाद जीडीए प्रस्तावित योजनाओं का रिपोर्ट भी एनजीटी को सौंपेगा।
गोरखपुर, जेएनएन। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने भले ही रामगढ़ताल के वेटलैंड के दायरे को स्वीकार कर मकान बना चुके लोगों को राहत दे दी हो लेकिन प्रदूषण के मामले में सख्त रुख अपनाया है। ताल में बिना शोधन किए गए गंदा पानी गिरने के कारण ट्रिब्युनल की ओर से प्रशासनिक विभागों पर 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था। वेटलैंड के मामले में राहत मिलने के बाद गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) एवं जल निगम अगली सुनवाई पर एक्शन टेकेन रिपोर्ट के साथ ही ताल को प्रदूषण मुक्त करने के लिए प्रस्तावित योजनाओं की रिपोर्ट भी सौंपेगा।
रामगढ़ ताल में लगा है एसटीपी
रामगढ़ताल में गिरने वाले गंदे पानी के शोधन के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) स्थापित किया गया है। जल निगम की ओर से एनजीटी में हलफनामा दाखिल कर बताया गया है कि ताल में नालों से आने वाले कचरे को शोधित कर गिराया जा रहा है। इसके लिए दो एसटीपी लगी है। पर, आसपास बन चुके मकानों से गंदा पानी बिना शोधन के ही ताल में गिरता है। पैडलेगंज, गिरधरगंज, कूड़ाघाट, शिवपुर, महेरवा की बारी, यादव टोला, कैलाशपुरम, पार्वतीपुरम व आवास विकास कालोनी का गंदा पानी नालियों से होकर सीधे ताल में गिर रहा है। आरकेबीके व चिडिय़ाघर के पास लगे 45 एमएलडी के दो एसटीपी पर लाखों रुपये बिजली का खर्च आता है। इसके रखरखाव पर नगर निगम और जीडीए की ओर से धनराशि दी जा रही है।
एसटीपी के रख-रखाव पर सवाल
एसटीपी के रख-रखाव को भले ही लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हों लेकिन उसके संचालन पर सवाल उठते रहे हैं। दो महीने पहले गिरधरगंज वार्ड के पार्षद प्रतिनिधि राघवेंद्र सिंह के निरीक्षण में एसटीपी बंद मिला था। उन्होंने अधिकारियों से इसकी शिकायत कर जांच की मांग की थी। जीडीए सचिव राम सिंह गौतम का कहना है कि एनजीटी ने रामगढ़ताल में बिना शोधन के गिर रहे कचरे को लेकर 10 करोड़ रुपये जुर्माना लगाने की बात कही है। ताल में गंदा पानी शोधित कर गिराने के लिए दो एसटीपी संचालित हो रहे हैं। नई कालोनियों में भी एसटीपी लगायी जा रही है। सीवर लाइन काकाम भी तेजी से किया जा रहा है।