नक्शा पास कराने वाले लोगों को जीडीए ने दी बड़ी राहत, तहसील एनओसी लेने की बाध्यत खत्म
गोरखपुर में मकान बनवाने का की राह में सबसेे बड़ी बाधा को जीडीए ने समाप्त कर दी है। जीडीए से मानचित्र पास कराने के लिए आवेदन करने वालों को एनओसी के लिए तहसील कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है। अब यह बाध्यता खत्म कर दी गई है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) में मानचित्र पास कराने के लिए आवेदन करने वालों को अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के लिए तहसील कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है। एनओसी मिलती भी है तो अधूरी, जिससे परेशानी खत्म नहीं होती। यह मामला सामने आने के बाद मंडलायुक्त रवि कुमार एनजी ने तहसील प्रशासन को एनओसी जारी करने के लिए एक टीम बनाने का निर्देश दिया है। इस टीम के पास आनलाइन आवेदन कर निर्धारित समय में आवेदक एनओसी प्राप्त कर सकेंगे और उन्हें बार-बार तहसील कार्यालय का चक्कर लगाने से राहत मिल जाएगी।
नजूल की भूमि से संबंधित मामलों में स्थिति स्पष्ट न करने से आवेदकों को होना पड़ता है परेशान
जीडीए में मानचित्र पास कराने के लिए आवेदन करने के बाद तहसील से एक एनओसी मांगी जाती है। आम तौर पर इस एनओसी लेने के पीछे उद्देश्य है कि जिस भूखंड पर निर्माण के लिए मानचित्र पास कराने के लिए आवेदन किया गया है वह नजूल की तो नहीं है। पर, तहसील में जब यह मामला जाता है तो आवेदक को कई बार चक्कर लगाना पड़ता है। एनओसी मिलती भी है तो उसमें नजूल की भूमि को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं की जाती और संबंधित विभाग से संपर्क करने को कहा जाता है।
जीडीए में मानचित्र पास कराने के लिए तहसील से भी मंगानी होती है एनओसी
विकास कार्यों को लेकर शनिवार को आयुक्त सभागार में संपन्न अवस्थापना समिति की बैठक में जीडीए उपाध्यक्ष प्रेम रंजन सिंह ने यह मामला उठाया था। उन्होंने दो आवेदनों के उदाहरण भी दिए, जिसमें अधूरी एनओसी दी गई थी। इस तरह की कार्यप्रणाली पर सवाल भी उठे। बैठक की अध्यक्षता करते हुए मंडलायुक्त ने तहसीलदार सदर को निर्देश दिया कि एनओसी देने की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए, जिससे लोगों को अनावश्यक परेशान न होना पड़े। उन्होंने तहसीलदार को एनओसी के लिए एक टीम बनाने को कहा है।
मानचित्र पास कराने के लिए तहसील से एनओसी प्राप्त करने में लोगों को काफी विलंब होता है। अवस्थापना समिति की बैठक में इस बात को रखा गया था। तहसीलदार को एनओसी के लिए टीम बनाने का निर्देश दिया गया है। - प्रेम रंजन सिंह, उपाध्यक्ष, जीडीए।