एक दिन के लिए बन गए राजपत्रित अधिकारी, जानिए क्या है पूरा मामला Gorakhpur News
कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों। यह शेर पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय गोरखपुर में तैनात चीफ कंट्रोलर अजय कुमार पर एकदम सटीक बैठता है। जीवन भर तो कर्मचारी बन रहे।
गोरखपुर, जेएनएन : कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों। यह शेर पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय गोरखपुर में तैनात चीफ कंट्रोलर अजय कुमार पर एकदम सटीक बैठता है। जीवन भर तो कर्मचारी बन रहे, लेकिन सेवाकाल के अंतिम पड़ाव में 59 वें वर्ष में 70 फीसद विभागीय सीमित परीक्षा पास कर दूसरे कर्मियों के लिए शानदार उदाहरण प्रस्तुत किया है। जो पदोन्नति और अधिकारी बनने का सपना छोड़ देते हैं। रेलवे प्रशासन ने भी उनकी लगन और जिजीविषा का मान रखते हुए सेवानिवृत्त के अंतिम दिन सहायक परिचालन प्रबंधक (नियोजन) बना कर उन्हें गौरवान्वित कर दिया है।
अधिकारी के कुर्सी पर बैठे सिर्फ एक दिन
हालांकि, वह अधिकारी के कुर्सी पर महज एक ही दिन बैठे, लेकिन इसका लाभ उन्हें जीवन पर्यन्त मिलता रहेगा। सेवानिवृत्ति के बाद ही सही, अधिकारियों की सभी सुविधाएं मिलेंगी। बातचीत में वह कहते हैं कि परीक्षा पास करने के बाद राजपत्रित अधिकारी बनकर सेवानिवृत्त होना अच्छा लग रहा है। दरअसल, अजय कुमार को एक दिन के लिए ही सही राजपत्रित अधिकारी बनाने का श्रेय पूर्वोत्तर रेलवे के महाप्रबंधक विनय कुमार त्रिपाठी, प्रमुख मुख्य परिचालन प्रबंधक अनिल कुमार सिंह और सहायक कार्मिक अधिकारी राजेश कुमार पांडेय को जाता है। कोरोना काल में भी परिचालन विभाग में कुल चार पदों पर 70 फीसद सीमित विभागीय परीक्षा के तहत लिखित और साक्षात्कार की प्रक्रिया पूरी कर कर्मचारियों को पदोन्नति दे दी है।
सेवानिवृत्ति की राह देख रहे कर्मचारियों को मिला लाभ
इस परीक्षा से पदोन्नित की आस में सेवानिवृत्ति की राह देख रहे कर्मचारियों को लाभ मिला है। आने वाले दिनों में परीक्षा की तैयारी कर रहे वरिष्ठ कर्मचारियों की राह भी आसान हो गई है। पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने कोरोना काल में ही लखनऊ मंडल के रेल लाइनों पर कार्य करने वाले चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को (ट्रैकमैन, प्वाइंटमैन, गेटमैन आदि) बिना दक्षता परीक्षा के ही 1800 से 1900 ग्रेड पे वेतनमान पर पदोन्नति दे दी है।