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गरीबी के कारण अपना बच्‍चा दे दिया दूसरे को Gorakhpur News

गरीबी की मार झेल रहे चंदा और रामकरन प्रस्ताव पर सहमत हो गए। उन्होंने सूरज को हमेशा के लिए सरोज और पिंटू को सौंप दिया। मां और पिता का कहना है कि मां-बाप अपने बच्‍चे को खुश रखने के लिए हर जतन करते हैं। हमारे पास कुछ भी नहीं है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Mon, 28 Sep 2020 06:00 PM (IST)Updated: Mon, 28 Sep 2020 06:00 PM (IST)
नवजात सूरज जिसे मां-बाप ने दूसरे को सौंप दिया।

गोरखपुर, जेएनएन। संतकबीर नगर जनपद में एक दंपती को गरीबी ने ऐसा तोड़ा कि उसने अपने दुधमुंहे लाल को दूसरे के घर का चिराग बना दिया। इस उम्मीद में कि बेटा अच्‍छी जिंदगी पाएगा। पहले से ही तीन बच्‍चों की परवरिश का बोझ उठाने में रामकरन व चंदा खुद को बेबस पा रहे थे। ऐसे में उन्होंने आंखों के तारे सूरज को सरोज की गोद में देने का निर्णय लिया।

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हैंसर ब्लाक के खैराटी गांव के रामकरन यादव और चंदा आर्थिक तंगहाली में जीवन बिता रहे हैं। न रहने को घर है, न ही भोजन का सुनिश्चित इंतजाम। पांच भाइयों में सबसे बड़े रामकरन को पिता ने वर्षों पहले अलग कर दिया। परिवार चलाने के लिए वह दिल्ली में मजदूरी करते हैं। गांव में पत्नी चंदा छह व चार साल की बेटियों सोनम व शिवानी तथा दो साल के बेटे किशन के साथ रहती हैं।

कोरोना काल में काम छूटा तो रामकरन भी गांव आ गए। करीब दो माह पूर्व चंदा को सूरज के रूप में दूसरा बेटा हुआ। अचानक मां की तबीयत बिगड़ गई तो सूरज की देख-रेख चुनौती लगने लगी। संकट की इस घड़ी में बडग़ो के पिंटू और सरोज इनका सहारा बने। उन्होंने नवजात सूरज को अपनाने का प्रस्ताव रखा। पिंटू और सरोज की शादी के 10 वर्ष बीतने के बाद भी कोई संतान नहीं होने से वंश चलाने के लिए किसी बच्‍चे की तलाश थी। खैराटी में पिंटू की ननिहाल है। यहां उनका आना-जाना लगा रहता है। गरीबी की मार झेल रहे चंदा और रामकरन प्रस्ताव पर सहमत हो गए। उन्होंने सूरज को हमेशा के लिए सरोज और पिंटू को सौंप दिया।

खुश रहे लाल, कहीं भी रहे

'कोई बड़ी मजबूरी रही होगी, तभी तो बेटे को अपने से दूर करने का निर्णय करने को कलेजा काठ करना पड़ा। यह कहते हुए चंदा और रामकरन की आंखें पनीली हो जाती हैं। दोनों बोलते हैं, मां-बाप अपने बच्‍चे को खुश रखने के लिए हर जतन करते हैं। हमारे पास कुछ भी नहीं है। दिल भले कचोट रहा है, लेकिन इतनी खुशी तो है कि हमारा लाल अच्‍छे परिवार में पलेगा।

सरकारी योजनाओं से महरूम है परिवार

गरीबों के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार की तमाम योजनाएं हैं, लेकिन यह परिवार इससे अछूता है। उनके पास राशन कार्ड तक नहीं है। आवास, जॉबकार्ड, आयुष्मान और सौभाग्य योजना क्या होती है, इन्हें पता ही नहीं है। अभी तक इनके पास आधारकार्ड तक नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि इन्होंने प्रयास नहीं किया, लेकिन जिम्मेदारों ने ध्यान ही नहीं दिया।

आधारकार्ड न होने से नहीं मिला लाभ

गांव के प्रधान राममिलन यादव कहते हैं कि रामकरन बाहर मजदूरी करता है। उसकी पत्नी भी अक्सर मायके रहती है। आधारकार्ड भी न होने से परिवार को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया।


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